Ranchi Caught: डॉक्टर और रिटायर्ड अधिकारी से 8.35 करोड़ की ठगी! रांची के साइबर अपराधियों ने बनाया हाई-प्रोफाइल शिकार
रांची में निवेश पर उच्च मुनाफे का झांसा देकर एक डॉक्टर और रिटायर्ड मर्चेंट नेवी अधिकारी से कुल 8.35 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। रांची साइबर पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपियों में से एक, पवन गौर को मध्य प्रदेश से गिरफ्तार किया है। पुलिस डिजिटल फुटप्रिंट के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में है।
झारखंड की राजधानी रांची में साइबर अपराधियों ने इस बार सिर्फ आम लोगों को ही नहीं, बल्कि समाज के सबसे पढ़े-लिखे और स्थापित वर्ग को निशाना बनाकर देशभर में सनसनी फैला दी है। निवेश पर आकर्षक और उच्च मुनाफे का झांसा देकर एक वरिष्ठ डॉक्टर और एक रिटायर्ड मर्चेंट नेवी अधिकारी से कुल 8.35 करोड़ रुपये की भारी भरकम ठगी की गई है। यह साइबर क्राइम गिरोह कितना बड़ा और संगठित है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन्होंने इतनी बड़ी रकम को झांसे के जरिए ठग लिया।
रांची साइबर अपराध थाना की टीम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल कार्रवाई शुरू की और एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए मुख्य आरोपी पवन गौर को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से गिरफ्तार किया। आरोपी के कब्जे से मोबाइल फोन, कई सिम कार्ड और धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए WhatsApp चैट बरामद किए गए हैं।
हाई-प्रोफाइल शिकार: कैसे फंसे पढ़े-लिखे पेशेवर?
ठगी के तरीके और फर्जी निवेश प्लेटफॉर्म की जानकारी से पता चलता है कि यह गिरोह कितना पेशेवर था।
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पहला शिकार **(डॉक्टर): सदर अस्पताल के एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर को “Fyers Securities Pvt. Ltd.” नामक एक फर्जी वॉट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। उन्हें “Fyers” नामक नकली निवेश ऐप के जरिए आकर्षक मुनाफे का भरपूर भरोसा दिलाया गया, जिसके चलते डॉक्टर ने विभिन्न बैंक खातों में करीब 3.75 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। जब डॉक्टर ने पैसे निकालने की कोशिश की, तो पूरा सेटअप फर्जी साबित हुआ।
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दूसरा शिकार **(रिटायर्ड अधिकारी): रिटायर्ड मर्चेंट नेवी अधिकारी फेसबुक पर “Nomura & GTPF” नामक एक निवेश विज्ञापन के झांसे में आ गए। उच्च रिटर्न के लगातार लालच में फंसकर उन्होंने 4.60 करोड़ रुपये फर्जी खातों में ट्रांसफर किए।
इंटर-स्टेट नेटवर्क: पुलिस के सामने बड़ी चुनौती
दोनों मामलों में प्राथमिकी 10 सितंबर को अलग-अलग दर्ज की गई थी। आरोपी को मध्यप्रदेश से गिरफ्तार किया जाना साफ संकेत देता है कि यह गिरोह अंतर-राज्यीय स्तर पर सक्रिय है।
एसीपी साइबर थाना ने बताया कि आरोपी के बैंक ट्रांजेक्शन और डिजिटल फुटप्रिंट की गहन जांच जारी है। संभावना है कि इस गिरोह के अन्य सदस्य देश के अलग-अलग राज्यों में सक्रिय हैं। पुलिस पीड़ितों के पैसे ट्रेस करने और फर्जी खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया में जुटी है। रांची पुलिस की यह गिरफ्तारी राज्य के साइबर अपराधियों के लिए एक कड़ी चेतावनी है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि साइबर अपराधी अब तकनीक और साइकोलॉजी का इस्तेमाल करके सबसे सावधान लोगों को भी शिकार बना सकते हैं।
आपकी राय में, इस तरह के फर्जी निवेश ऐप्स और वॉट्सएप ग्रुपों के जरिए होने वाली धोखाधड़ी को इंटरनेट पर रोकने के लिए भारतीय नियामक निकायों **(SEBI, RBI, IT Ministry) को कौन से दो सबसे प्रभावी तकनीकी और जागरूकता कदम उठाने चाहिए?
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