Bihar Election 2025 : कभी आपने 100 नंबर के एग्ज़ाम में 105 नंबर पाए हैं? अच्छा छोड़िए, कभी 10 किलो चावल खरीदने गए हों और दुकानदार ने 15 किलो दे दिया हो? अगर ऐसा हुआ है, तो बिहार चुनाव में कुछ वैसा ही हो रहा है…

क्या बिहार में विपक्षी महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) की सीटों का बंटवारा उसी तरह उलझा हुआ है, जैसे किसी ने 100 में 105 नंबर पा लिए हों? जानिए कैसे 11 सीटों पर अपने ही साथी आमने-सामने हैं और किस पार्टी ने सबसे ज़्यादा दांव यादवों पर लगाया है।

Oct 21, 2025 - 20:31
Oct 21, 2025 - 20:36
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Bihar Election 2025 : कभी आपने 100 नंबर के एग्ज़ाम में 105 नंबर पाए हैं? अच्छा छोड़िए, कभी 10 किलो चावल खरीदने गए हों और दुकानदार ने 15 किलो दे दिया हो? अगर ऐसा हुआ है, तो बिहार चुनाव में कुछ वैसा ही हो रहा है…
Bihar Election 2025 : कभी आपने 100 नंबर के एग्ज़ाम में 105 नंबर पाए हैं? अच्छा छोड़िए, कभी 10 किलो चावल खरीदने गए हों और दुकानदार ने 15 किलो दे दिया हो? अगर ऐसा हुआ है, तो बिहार चुनाव में कुछ वैसा ही हो रहा है…

पटना / बिहार : बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी गर्मी अपने चरम पर है। सभी दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है। सत्ताधारी एनडीए जहां अपनी सत्ता बचाने की रणनीति पर काम कर रहा है, वहीं विपक्षी महागठबंधन (INDIA ब्लॉक) अंदरूनी संघर्षों से जूझता नज़र आ रहा है।

लेकिन कहानी यहीं से दिलचस्प होती है।

कभी आपने 100 नंबर की परीक्षा में 105 नंबर लाए हैं? अच्छा छोड़िए, कभी 10 किलो चावल खरीदने गए हों और दुकानदार ने 15 किलो दे दिया हो? अगर ऐसा हुआ है, तो मान लीजिए या तो आपका सामान खराब है या दुकानदार की नीयत गड़बड़ है।

बिहार चुनाव में फिलहाल कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिल रहा है — जहां महागठबंधन ने जितनी सीटों पर लड़ना तय किया था, उससे ज़्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं।

11 सीटों पर अपने ही बीच ‘मुकाबला’

नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के बाद सामने आई तस्वीर ने सबको चौंका दिया। महागठबंधन ने कुल 243 सीटों पर 254 प्रत्याशी उतारे हैं — यानी 11 सीटों पर उनके अपने ही उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ़ मैदान में हैं।

ये वही सीटें हैं, जिन पर गठबंधन के भीतर आख़िरी समय तक सहमति नहीं बन पाई।

हालांकि सोमवार को कुछ सीटों पर राजद और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को वापस लिया है, लेकिन अभी भी कई जगह “महागठबंधन बनाम महागठबंधन” की लड़ाई बनी हुई है।

इससे यह संदेश जा रहा है कि विपक्षी खेमे में रणनीतिक एकता भले ही दिखाने की कोशिश की जा रही हो, लेकिन ज़मीनी स्तर पर भ्रम और टकराव हावी है।

⚖️ दलगत संघर्ष और सीट शेयरिंग का गणित

जानकारी के अनुसार,

6 सीटों पर RJD और कांग्रेस आमने-सामने हैं,

4 सीटों पर कांग्रेस और वामदल,

और 1 सीट पर RJD और वीआईपी (VIP) उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ़ हैं।

दूसरे चरण के नामांकन के आख़िरी दिन RJD ने अपने 143 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि विपक्षी खेमे में सबसे अधिक सीटें तेजस्वी यादव की पार्टी के खाते में आई हैं।

अन्य दलों की स्थिति इस प्रकार है:

कांग्रेस: 61 सीटें

CPI (ML): 20 सीटें

VIP: 15 सीटें

CPI: 9 सीटें

CPM: 4 सीटें

IIP: 3 सीटें

इस तरह INDIA ब्लॉक में कुल 243 सीटों पर 254 नामांकन दाखिल हुए हैं — जो अपने आप में चुनावी “ओवरलोड” की स्थिति है।

2020 से तुलना — इस बार सीटें कम, संघर्ष ज़्यादा

2020 के विधानसभा चुनावों में RJD को 144 सीटें और कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं। इस बार RJD को 1 सीट कम, जबकि कांग्रेस को 9 सीटें कम मिली हैं।

लेकिन असली चुनौती सीटों की संख्या नहीं, बल्कि उम्मीदवार चयन के सामाजिक समीकरणों में दिख रही है।

 RJD के सबसे अधिक उम्मीदवार यादव समुदाय से

तेजस्वी यादव की रणनीति इस बार जातीय समीकरणों पर ज़ोर देती दिख रही है। RJD ने कुल 143 में से:

51 यादव,

19 मुसलमान,

14 सवर्ण,

और 11 कुशवाहा उम्मीदवारों को टिकट दिया है।

वहीं कांग्रेस ने अपने 61 उम्मीदवारों में:

20 सवर्ण,

12 OBC,

10 मुसलमान,

10 SC-ST,

5 EBC,

और 2 अति पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी उतारे हैं।

स्पष्ट है कि दोनों दलों ने अपने-अपने वोट बैंक को साधने की कोशिश की है, लेकिन तालमेल की कमी से गठबंधन की एकता पर सवाल उठ रहे हैं।

 आंतरिक असंतोष और वोट ट्रांसफर की चुनौती

महागठबंधन के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर हुई रस्साकशी का असर वोट ट्रांसफर पर पड़ सकता है। कई इलाकों में स्थानीय कार्यकर्ता यह मानने को तैयार नहीं कि “साथी दल” का उम्मीदवार समर्थन योग्य है।

यह स्थिति खासकर उन सीटों पर गंभीर है, जहां दो सहयोगी दलों के उम्मीदवार सीधे मैदान में हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह स्थिति सत्ताधारी गठबंधन को अप्रत्यक्ष लाभ पहुंचा सकती है।

 भविष्य की रणनीति — दिखावटी एकता या मजबूर समझौता?

महागठबंधन के नेता भले ही मंचों से एकता की बात करते नज़र आते हैं, लेकिन अंदरूनी समीकरण साफ़ बता रहे हैं कि “अति-लोकतांत्रिक सीट बंटवारा” उन्हें भारी पड़ सकता है।

कई वरिष्ठ नेता मानते हैं कि अगर इस बार भी RJD ने सहयोगियों के बीच संतुलन नहीं बनाया, तो चुनाव परिणाम 2020 से भी ज़्यादा बिखरे हुए हो सकते हैं।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।