जीवन की दुर्गम राहों पर, राही तुझ को चलना होगा । सर्दी, गर्मी, वर्षा आतप मौसम...
मां का पहला रूप शैलपुत्री है दुर्गा मां के रूप में श्री गायत्री है सफेद चीजों ...
भाई भाई का काल बने जो धनुष बाण संधान न चाहिए। हे केशव मुझे छोड़ अकेला ऐसा मुझक...
वतन हमारा चमन जहां में, है तन मन धन से प्यारा। हम जान लुटाते हैं इस पर, सारे...
पेड़ उसका आवास डाली में उसका निवास मित्रों के साथ सहवास देखने में सुंदर एहसा...
माता पिता क्यों बने बोझ असहाय हुए अति क्यों लाचार, निज सुअन दिए क्यों बिसार ...
आप कुछ भी कहें वो बजा है जनाब और हम कुछ कहें तो खता है जनाब .....
पिता का दिल सागर से गहरा, हर खुशी में बस उनका पहरा। चुपके से वो थामे हाथ हमारा...