पिता का प्यार - धर्मबीर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड
पिता का दिल सागर से गहरा, हर खुशी में बस उनका पहरा। चुपके से वो थामे हाथ हमारा, दुनिया में उनसे प्यारा न कोई सहारा।....
पिता का प्यार
पिता का दिल सागर से गहरा,
हर खुशी में बस उनका पहरा।
चुपके से वो थामे हाथ हमारा,
दुनिया में उनसे प्यारा न कोई सहारा।
थक कर जब लौटूं जीवन की राह,
उनकी गोदी लगे जैसे स्वर्ग का गाह।
कंधे पे उनके सर रखकर सो जाऊं,
लगता है जैसे खुद को पा जाऊं।
धूप हो चाहे सर्दी की ठंडी रात,
उनका प्यार हो हमेशा मेरे साथ।
हर मुश्किल को वो बनाते आसान,
बिन कहे समझते दिल की हर बात।
चुपचाप खड़े, बनके दीवार,
हर कदम पर रखते मेरा खयाल।
उनके बिना ये जीवन अधूरा सा,
पिता का प्यार जैसे खुदा का कमाल।
जब भी गिरूं तो थामते वो हाथ,
सिखाते उठना, दिखाते नई राह।
पिता का प्यार सच्चा, सुंदर, कोमल,
उनसे ही है ये दुनिया रंगीन और संपूर्ण।
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