भारत देश हमारा - डॉ एन एल शर्मा "निर्भय" राजस्थान | काव्य स्पर्धा 2024
वतन हमारा चमन जहां में, है तन मन धन से प्यारा। हम जान लुटाते हैं इस पर, सारे जग से यह न्यारा।।....
भारत देश हमारा
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वतन हमारा चमन जहां में,
है तन मन धन से प्यारा।
हम जान लुटाते हैं इस पर,
सारे जग से यह न्यारा।।
हम सब हैं दीवाने इसके,
प्रेम सभी इससे करते।
करते सेवा तन मन धन से,
सभी देश हित जीते मरते।।
वीर जंग में भूल चले घर,
यहां छोड जाते सारा।
वतन हमारा चमन जहां में,
है तन मन धन से प्यारा।।
आपस में सद्भाव बरसता,
हैं सबके बड़े हितैषी।
बसी एकता सब धर्मो में,
है सोच हमारी घर जैसी।।
है सबके ये दिल में बसता,
सबकी आंखों का तारा।।
वतन हमारा चमन जहां में,
है तन मन धन से प्यारा।।
देश कभी जब इन्हें पुकारे,
जाते सरहद पर लड़ने।
पीठ दिखाते कभी न रण में,
लग जाते अरि से भिड़ने।।
जब अरि जाते टूट हौसले,
डरे अरि हथियार डारा।
वतन हमारा चमन जहां में,
है तन मन धन से प्यारा।।
डॉ एन एल शर्मा "निर्भय"
जयपुर, राजस्थान
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