Mumbai OGilvy Advertising : विदाई! जिसने बदल दी भारतीय विज्ञापनों की दुनिया, पियूष पांडेय के जाने से क्यों खाली हुआ पूरा इंडस्ट्री का दिल?
क्या आप जानते हैं वो शख्स जिसने फेविकोल के मजबूत जोड़ और कैडबरी की खुशियों को भारतीय घरों तक पहुंचाया? पियूष पांडेय के निधन ने क्यों छीन ली विज्ञापन जगत की आवाज? पढ़ें पूरी कहानी जिसे जाने बिना आपका दिन अधूरा रह जाएगा!
नई दिल्ली: भारतीय विज्ञापन जगत की वो आवाज जिसने फेविकोल के जोड़ को मजबूत बनाया, कैडबरी की दुनिया को रंगीन किया और एशियन पेंट्स को हर घर तक पहुंचाया, आज हमेशा के लिए खामोश हो गई। 74 वर्षीय पियूष पांडेय का शुक्रवार को निधन हो गया। संक्रमण से जूझ रहे पांडेय के निधन ने पूरे विज्ञापन उद्योग को स्तब्ध कर दिया है।
क्या आप जानते हैं उस शख्स के बारे में जिसने बदल दी विज्ञापनों की भाषा?
पियूष पांडेय ने भारतीय विज्ञापनों को अमेरिकी और ब्रिटिश शैली की नकल से निकालकर भारतीय अंदाज दिया। उन्होंने "फेविकोल" के विज्ञापनों में भारतीय गांवों की सच्चाई दिखाई, "कैडबरी" के विज्ञापन में किशोर की खुशी को महत्व दिया, और "एशियन पेंट्स" के जरिए घर की खूबसूरती को नया मकसन दिया।
ओगिल्वी के साथ 40 साल का सफर: कैसे बने विज्ञापन जगत के बादशाह?
पांडेय ने 1982 में ओगिल्वी में कदम रखा और अपना पहला विज्ञापन "सनलाइट डिटर्जेंट" के लिए लिखा। महज 6 साल बाद वह कंपनी के क्रिएटिव डिपार्टमेंट में पहुंचे और फिर शुरू हुआ एक ऐसा सफर जिसने भारतीय विज्ञापन जगत की दिशा ही बदल दी। उनके नेतृत्व में ओगिल्वी भारत लगातार 12 साल तक एजेंसी रेकनर सर्वे में नंबर 1 एजेंसी रही।
क्या आपको याद है "मिले सुर मेरा तुम्हारा"?
पियूष पांडेय सिर्फ विज्ञापनों तक सीमित नहीं थे। उन्होंने "मिले सुर मेरा तुम्हारा" गीत के बोल लिखे जिसने राष्ट्रीय एकता और विविधता में एकता का
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