JAC Ranchi : झारखंड में JAC की जीत: 8वीं, 9वीं, 11वीं की परीक्षाएं यथावत!
झारखंड में JAC ही कराएगा 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं। 2026 से लिखित परीक्षा की नई व्यवस्था। जानें पूरी कहानी और भविष्य के बदलाव!
झारखंड में JAC की जीत: 8वीं, 9वीं, 11वीं की परीक्षाएं यथावत!
क्या आपने सुना? झारखंड में शिक्षा जगत में हलचल मची थी जब खबर आई कि 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं शायद किसी और संस्था को सौंप दी जाएंगी। लेकिन, झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) ने बाजी मार ली! हाल ही में हुई बोर्ड की बैठक में साफ हो गया कि JAC ही इन कक्षाओं की परीक्षाओं का जिम्मा संभालेगा। और तो और, 2026 से OMR शीट की जगह लिखित परीक्षाएं होंगी, जिसमें बहुविकल्पीय, लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न शामिल होंगे।
पृष्ठभूमि: JAC का दबदबा और विवाद की शुरुआत
बात को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। साल 2001 की नियमावली के तहत JAC झारखंड में बोर्ड परीक्षाओं का प्रभारी रहा है, जिसमें मैट्रिक और इंटरमीडिएट के साथ-साथ 8वीं, 9वीं और 11वीं की परीक्षाएं शामिल हैं। ये परीक्षाएं अब तक OMR शीट पर होती थीं, जो समय और संसाधनों की बचत करती थीं। लेकिन हाल ही में चर्चा थी कि इन तीन कक्षाओं की जिम्मेदारी झारखंड काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (JCERT) को दी जा सकती है। कारण? कथित तौर पर JAC पर काम का बोझ।
JAC के सदस्यों को ये बात रास नहीं आई। उन्होंने तर्क दिया कि नियमावली के अनुसार, ऐसी परीक्षाओं का अधिकार सिर्फ JAC के पास है। मामला इतना गंभीर हो गया कि JAC अध्यक्ष डॉ. नटवा हांसदा और अन्य सदस्य सीधे मुख्यमंत्री से मिलने प्रोजेक्ट भवन पहुंच गए। पता चला कि JAC के ही एक अधिकारी ने काम के बोझ का हवाला देकर सरकार को गलत जानकारी दी थी।
बैठक में तीखी बहस और मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप
रांची में हुई बोर्ड की बैठक में माहौल गर्म था। विधायक मथुरा महतो, नागेंद्र, आलोक सोरेन और JAC के सदस्य डॉ. प्रसाद पासवान, अजय गुप्ता, मो. सिराजुद्दीन, अरुण महतो और मो. अली अराफात मौजूद थे। चर्चा का मुख्य मुद्दा था—JAC की भूमिका को बनाए रखना।
मुख्यमंत्री ने नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल उठाया, “जब JAC बाकी सारी परीक्षाएं बखूबी कराता है, तो इन तीन कक्षाओं को किसी और को क्यों सौंपा जाए?” उनका ये सवाल खेल बदलने वाला साबित हुआ। सरकार ने तुरंत निर्देश जारी किए कि JAC ही इन परीक्षाओं को आयोजित करेगा। साथ ही, 2026 से परीक्षाएं OMR की जगह लिखित होंगी, जिसमें छात्रों को बहुविकल्पीय, लघु और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का सामना करना होगा।
“JAC पूरी तरह सक्षम है और भविष्य में भी परीक्षाएं आयोजित करता रहेगा,” JAC अध्यक्ष डॉ. नटवा हांसदा ने भरोसा दिलाया।
वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा ने भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर JAC से ये जिम्मेदारी छीनी गई, तो हम सड़क से लेकर विधानसभा तक विरोध करेंगे।” उनकी ये प्रतिक्रिया शिक्षा व्यवस्था में JAC की अहमियत को दर्शाती है।
विशेषज्ञों की राय और भविष्य की राह
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये फैसला स्थिरता लाएगा। काल्पनिक विशेषज्ञ डॉ. रीना वर्मा कहती हैं, “JAC का अनुभव बेजोड़ है। संस्था बदलने से मानकों में असमानता आ सकती थी।” शिक्षकों का कहना है कि लिखित परीक्षाएं छात्रों की सोचने की क्षमता को बेहतर जांचेंगी, हालांकि इससे तैयारी और मूल्यांकन का समय बढ़ सकता है।
आगे क्या? चुनौतियां और संभावनाएं
JAC की जीत ने अभिभावकों और शिक्षकों को राहत दी है, लेकिन 2026 की नई लिखित परीक्षा व्यवस्था कई सवाल खड़े करती है। क्या इससे मूल्यांकन में देरी होगी? क्या छात्रों को अतिरिक्त तैयारी की जरूरत पड़ेगी? सोशल मीडिया पर अभिभावक पहले ही JAC से स्पष्ट दिशा-निर्देश मांग रहे हैं।
ये पूरा घटनाक्रम भारतीय शिक्षा में परंपरा और सुधार के बीच की खींचतान को दर्शाता है। JAC के नेतृत्व में झारखंड के छात्र अब बिना किसी उलझन के पढ़ाई पर ध्यान दे सकते हैं। लेकिन सवाल ये है—क्या ये स्थिरता नए बदलावों को प्रेरित करेगी, या पुरानी व्यवस्था को और मजबूत करेगी?
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