Bihar Election 2025: ‘भूरा बाल’ पर बीजेपी का सर्जिकल स्ट्राइक! राजद के गढ़ में सवर्ण वोटों की किलेबंदी
बीजेपी ने बिहार चुनाव 2025 में ‘भूरा बाल’ समीकरण को तोड़ते हुए 31 सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट दिया। जानिए किस जाति को कितना प्रतिनिधित्व मिला और इसका क्या असर होगा NDA पर।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीति का तापमान तेजी से बढ़ गया है। ‘भूरा बाल साफ करो’ का पुराना नारा जैसे ही फिर गूंजा, बीजेपी ने ऐसा दांव चला कि पूरा सियासी समीकरण हिल गया। लालू यादव के पुराने नारे को बीजेपी ने हथियार बनाकर अब जातीय राजनीति की बिसात पर सवर्णों की नई किलेबंदी कर दी है।
“भूरा बाल (भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, लाला)” — जो कभी आरजेडी विरोधी सामाजिक समीकरण का प्रतीक था — अब बीजेपी के लिए रणनीतिक वोट बैंक में तब्दील होता दिख रहा है। पार्टी ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची में 71 सीटों में से 31 सवर्ण चेहरे उतार कर यह साफ कर दिया है कि चुनावी रणभूमि में ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का अगला अध्याय सवर्णों के इर्द-गिर्द लिखा जाएगा।
राजपूत उम्मीदवारों की फौज
बीजेपी ने राजपूत समुदाय को सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व दिया है। कुल 15 सीटों पर इस जाति से उम्मीदवार उतारे गए हैं — जिनमें राणा रणधीर (मधुबन), नीरज बबलू (छातापुर), श्रेयसी सिंह (जमुई), संजय टाइगर (आरा) और त्रिविक्रम सिंह (औरंगाबाद) जैसे नाम शामिल हैं।
राजपूत समाज पर भरोसा जताकर बीजेपी ने आरजेडी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है।
भूमिहार उम्मीदवारों पर बड़ा दांव
भूमिहार जाति से कुल 10 उम्मीदवार टिकट पाए हैं। इनमें हरिभूषण बचौल (बिस्फी), जीवेश मिश्रा (जाले), मनोज शर्मा (अरवल) और अरुणा देवी (वारसलीगंज) जैसे चेहरे हैं।
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, भूमिहार वोट बीजेपी का स्थायी किला रहे हैं, और इस सूची से पार्टी ने उस भरोसे को और मजबूत करने की कोशिश की है।
“यह बीजेपी का सवर्ण पुनर्जागरण है,” एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने कहा।
“राजद के जातीय नारे के जवाब में बीजेपी ने संगठन और सवर्ण चेहरों के संतुलन का संदेश दिया है।”
ब्राह्मण और कायस्थों की उपस्थिति
बीजेपी की पहली सूची में ब्राह्मण जाति से 7 उम्मीदवारों को टिकट मिला है। इनमें मंगल पांडेय (सिवान), विनोद नारायण झा (मधुबनी) और नीतीश मिश्र (झंझारपुर) प्रमुख हैं।
वहीं कायस्थ समाज से नितिन नबीन (बांकीपुर) को मौका मिला है।
दिलचस्प यह है कि बीजेपी ने पारंपरिक कायस्थ सीट कुम्हरार से इस बार वैश्य समाज के संजय गुप्ता को उतारकर एक नए समीकरण की ओर इशारा किया है।
संदेश साफ — जाति नहीं, रणनीति चलेगी
बीजेपी की यह सूची बताती है कि पार्टी अब बिहार की राजनीति में “बैकवर्ड बनाम फॉरवर्ड” की परिभाषा को नया रूप देना चाहती है।
जहां आरजेडी अभी भी ‘सामाजिक न्याय’ की पुरानी स्क्रिप्ट पढ़ रही है, वहीं बीजेपी ने ‘संगठन आधारित वोट बैंक’ पर फोकस कर अपने सवर्ण गढ़ को फिर से सक्रिय कर दिया है।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह कदम एनडीए के लिए “सुरक्षित गणित” साबित हो सकता है — क्योंकि बिहार में सवर्ण मतदाता अब भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
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