Uttarakhand Uproar: केदारनाथ के कपाट बंद! बर्फबारी से पहले बाबा की भव्य विदाई, आर्मी बैंड की धुन पर भावुक हुए श्रद्धालु!
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। बाबा की डोली अब 55 किमी की पैदल यात्रा करते हुए 25 अक्टूबर को उखीमठ पहुंचेगी। इस साल 17.68 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जो 2013 की आपदा के बाद एक रिकॉर्ड है। अगले छह महीने तक बाबा के दर्शन उखीमठ में होंगे।
देवभूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री केदारनाथ धाम के कपाट आज एक भव्य और भावुक समारोह के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मंदिर को पूरी तरह से बंद किए जाने से ठीक पहले बाबा केदार की विदाई का दृश्य देखने के लिए हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी थी, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे और इस पवित्र क्षण के साक्षी बने। पारंपरिक आर्मी बैंड की करुण धुन पर बाबा की डोली अब अपने शीतकालीन आवास उखीमठ की ओर प्रस्थान कर चुकी है।
आपदा के बाद इस साल टूट गया रिकॉर्ड
बाबा केदार के कपाट 2 मई को खुले थे और छह महीने की इस अवधि में श्रद्धालुओं का उत्साह अभूतपूर्व रहा। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुसार, इस साल रिकॉर्ड तोड़ते हुए करीब 17 लाख 68 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा के दर्शन किए हैं। यह संख्या साल 2013 की भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद सबसे अधिक है, जो केदारनाथ धाम के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा और विश्वास को दर्शाती है।
आज सुबह 2:30 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई का कार्य हुआ और सुबह 4 बजे से परंपरागत रूप से 'समाधि पूजा' शुरू हुई, जो करीब 6 बजे तक चली। पूजा संपन्न होने के साथ ही गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए गए और आखिरकार सुबह 8:30 बजे मंदिर का मुख्य द्वार भी शीतकाल के लिए बंद कर दिया गया।
तीन दिन की 55 किमी की पैदल यात्रा: उखीमठ में होंगे बाबा के दर्शन
पहाड़ी परंपरा के अनुसार, शीतकाल में जब मंदिर बर्फबारी के कारण अगम्य हो जाता है, तब बाबा केदार अपने शीतकालीन आवास उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होते हैं। बाबा की डोली की तीन दिन की यह पैदल यात्रा कुल 55 किलोमीटर की है, जिसका कार्यक्रम निम्न प्रकार है:
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23 अक्टूबर (आज): केदारनाथ से रामपुर तक 26 किलोमीटर की यात्रा और रात्रि प्रवास।
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24 अक्टूबर: रामपुर से फाटा होते हुए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी तक 17 किलोमीटर की यात्रा।
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25 अक्टूबर: गुप्तकाशी से उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर तक 12 किलोमीटर की अंतिम यात्रा, जहां बाबा शीतकालीन गद्दी पर विराजमान होंगे।
श्रद्धालु अब 25 अक्टूबर से लेकर अगले छह महीने तक बाबा केदारनाथ के दर्शन उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में कर सकेंगे। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो पहाड़ी संस्कृति और आस्था की अद्वितीय मिसाल है। अगले साल कपाट खुलने की तिथि भी बसंत पंचमी के अवसर पर तय की जाएगी।
आपकी राय में, केदारनाथ यात्रा के दौरान रिकॉर्ड तोड़ भीड़ के प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्तराखंड सरकार को शीतकाल की इस अवधि में कौन से दो सबसे बड़े और दूरगामी कदम उठाने चाहिए?
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