पोटका विधानसभा: भाजपा से नाराज मेनका सरदार का बड़ा कदम, निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव!

पोटका के पूर्व विधायक मेनका सरदार ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। मीरा मुंडा को प्रत्याशी बनाए जाने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने यह कदम उठाया। जानें पूरी खबर।

Oct 19, 2024 - 23:00
Oct 19, 2024 - 23:01
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पोटका विधानसभा: भाजपा से नाराज मेनका सरदार का बड़ा कदम, निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव!
पोटका विधानसभा: भाजपा से नाराज मेनका सरदार का बड़ा कदम, निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव!

पोटका विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जब पोटका विधानसभा सीट से मीरा मुंडा को अपना प्रत्याशी घोषित किया, तो पूर्व विधायक मेनका सरदार ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और घोषणा की कि वह अब निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। इस कदम से पोटका विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में हड़कंप मच गया है और चुनावी समीकरणों में बड़ा बदलाव आ सकता है।

मेनका सरदार की नाराजगी

मेनका सरदार, जो भाजपा की वरिष्ठ नेता और पोटका क्षेत्र की पूर्व विधायक रह चुकी हैं, ने मीरा मुंडा को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने पर खुलकर नाराजगी जताई। उनका मानना है कि पार्टी ने उनके अनुभव और योगदान को दरकिनार कर मीरा मुंडा को टिकट देकर उनके साथ अन्याय किया है। नाराज मेनका ने कहा कि वह अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पोटका से चुनाव लड़ेंगी और अपने क्षेत्र के लोगों के साथ खड़ी रहेंगी।

मीरा मुंडा का चयन

डॉ. मीरा मुंडा, झारखंड के तीन बार के मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी हैं। वे पिछले 30 सालों से सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं और राज्यभर में समाज सेवा का महत्वपूर्ण कार्य कर रही हैं। मीरा मुंडा कोल्हान विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त हैं और 1999 से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। पार्टी ने उनके अनुभव और सामाजिक कार्यों को ध्यान में रखते हुए उन्हें पोटका से प्रत्याशी बनाया, जिससे पार्टी में कई नेताओं के बीच नाराजगी बढ़ गई है।

राजनीति में उठा-पटक

मेनका सरदार के इस्तीफे से भाजपा को झटका लगा है। पार्टी के लिए यह चुनावी मुकाबला अब और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है क्योंकि निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मेनका सरदार का पोटका में मजबूत जनाधार है। दूसरी ओर, मीरा मुंडा के सामाजिक और राजनीतिक अनुभव को देखते हुए भाजपा उन्हें एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में पेश कर रही है।

भविष्य की चुनौतियां

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पोटका के मतदाता किसे अपना समर्थन देते हैं। क्या मेनका सरदार अपने क्षेत्र के लोगों के बीच अपनी पहचान और अनुभव के दम पर निर्दलीय चुनाव जीत पाती हैं या फिर मीरा मुंडा का सामाजिक कार्य और अर्जुन मुंडा का राजनीतिक प्रभाव उन्हें जीत दिलाएगा? इस चुनावी संघर्ष ने पोटका को झारखंड की सबसे हॉट सीटों में से एक बना दिया है, और जनता का फैसला ही तय करेगा कि किसका प्रभाव भारी पड़ेगा।

मतदाता तय करेंगे

पोटका विधानसभा का यह चुनाव भाजपा के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। मेनका सरदार के इस्तीफे और निर्दलीय लड़ने के फैसले से पार्टी के अंदर असंतोष की स्थिति पैदा हो गई है। अब देखना होगा कि भाजपा अपने मतदाताओं को किस तरह से एकजुट कर पाती है, और क्या यह चुनाव भाजपा के लिए जीत या हार का बड़ा कारण बनेगा। जनता को अब सही फैसला लेना होगा और अपने मताधिकार का प्रयोग करना होगा।

हो जाएं तैयार, देने को मतदान!

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।