चंपाई सोरेन का कांग्रेस पर हमला: "आदिवासी धर्म कोड क्यों हटाया? कांग्रेस से पूछें गद्दारी का कारण

चंपाई सोरेन ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आदिवासी धर्म कोड के हटाने के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर आदिवासी आंदोलन को कुचलने और उनके अधिकारों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया।

Oct 19, 2024 - 22:53
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चंपाई सोरेन का कांग्रेस पर हमला: "आदिवासी धर्म कोड क्यों हटाया? कांग्रेस से पूछें गद्दारी का कारण
चंपाई सोरेन का कांग्रेस पर हमला: "आदिवासी धर्म कोड क्यों हटाया? कांग्रेस से पूछें गद्दारी का कारण

झारखंड के वरिष्ठ नेता और आदिवासी अधिकारों के पैरोकार चंपाई सोरेन ने एक बार फिर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए आदिवासी समाज के मुद्दों को उठाया है। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर आदिवासी धर्म कोड को हटाने और आदिवासी समाज के साथ गद्दारी करने का आरोप लगाया। सोरेन का यह तीखा बयान कांग्रेस के आदिवासी अधिकारों पर दावों के जवाब में आया है, जिसने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है।

चंपाई सोरेन ने ट्वीट करते हुए सवाल उठाया कि आजादी के बाद 1951 की पहली जनगणना में जब आदिवासी धर्म कोड का प्रावधान था, तो 1961 में कांग्रेस सरकार ने उसे क्यों हटाया? यह सवाल उठाते हुए उन्होंने कांग्रेस पर आदिवासी समाज के अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि अंग्रेजों के समय से आदिवासी धर्म कोड का प्रावधान था, जिसे आजादी के बाद भी जारी रखा गया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे हटाने का दुस्साहस किया। उन्होंने कांग्रेस से पूछा कि आखिर वह कौन सी वजह थी जिसके कारण आदिवासियों के इस धार्मिक अधिकार को खत्म किया गया?

चंपाई सोरेन ने इस बात पर भी जोर दिया कि कांग्रेस की यह गद्दारी आदिवासी समाज कभी माफ नहीं करेगा। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इसने झारखंड आंदोलन को कुचलने की बारंबार कोशिश की और आंदोलनकारी आदिवासियों पर कई बार गोली चलवाई। इसके अलावा, उन्होंने संथाली भाषा की संवैधानिक मान्यता की मांग को भी नजरअंदाज करने का आरोप कांग्रेस पर लगाया।

आदिवासी आंदोलन और भाजपा की भूमिका

चंपाई सोरेन ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए भाजपा की तारीफ की और कहा कि भाजपा ने आदिवासी समाज के अधिकारों का सम्मान किया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में ही झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे दो आदिवासी राज्यों का गठन हुआ, जिससे आदिवासी समाज के अधिकारों को मान्यता मिली। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में संथाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया, जो आदिवासी समाज के लिए एक ऐतिहासिक कदम था।

चंपाई सोरेन ने यह भी कहा कि भाजपा हमेशा से आदिवासी समाज के प्रति सजग रही है। चाहे हो भाषा (वरांग क्षिति लिपि) को मान्यता दिलाने की बात हो या आदिवासी समाज के अन्य मुद्दे, भाजपा ने हमेशा उनके हितों को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आदिवासी समाज को अपने अधिकारों पर पूरा विश्वास है, और भाजपा उनके हितों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर है।

चुनावी सियासत और सवाल

चंपाई सोरेन के इस तीखे बयान ने झारखंड की चुनावी राजनीति में हलचल मचा दी है। आदिवासी धर्म कोड का मुद्दा हमेशा से आदिवासी समाज के लिए संवेदनशील रहा है, और कांग्रेस के खिलाफ इस आरोप ने चुनावी समीकरणों को और जटिल बना दिया है। सोरेन के इस सवाल से कांग्रेस पर दबाव बढ़ गया है, और जनता भी अब इस सवाल का जवाब चाहती है कि आखिर आदिवासी धर्म कोड क्यों हटाया गया था?

आगामी विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा कितना बड़ा रूप लेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि चंपाई सोरेन के इस बयान ने कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। झारखंड की जनता अब इस बात का फैसला करेगी कि कौन उनकी आवाज को सही तरीके से उठाता है और कौन सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए दावे करता है।

अब वक्त आ गया है कि जनता अपने मताधिकार का सही प्रयोग करे। हो जाएं तैयार, देने को मतदान!

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।