Vatican Shocked News: पहली बार लैटिन अमेरिकी पोप का भारत से खास रिश्ता, अब दुनिया भर में शोक की लहर
लैटिन अमेरिका के पहले रोमन कैथोलिक पोप फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। भारत में उनके प्रति सम्मान में तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की गई है। पढ़िए उनका भारतीयों से जुड़ाव और इतिहास।
वेटिकन सिटी, वो स्थान जिसे पूरी दुनिया ईसाई धर्म के सबसे बड़े केंद्र के रूप में देखती है, वहां से एक अत्यंत भावुक खबर आई है। पोप फ्रांसिस, जो पहले लैटिन अमेरिकी और येसुइट पंथ के पोप थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 88 वर्ष के पोप ने ईस्टर मंडे की सुबह अंतिम सांस ली। वो लंबे समय से दोहरे निमोनिया से जूझ रहे थे और पिछले 38 दिनों से अस्पताल में भर्ती थे।
उनके निधन की खबर आते ही न केवल वेटिकन, बल्कि पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई। भारत में भी उनका गहरा प्रभाव था, और यही कारण है कि केंद्र सरकार ने तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है।
भारत से पोप का गहरा रिश्ता
पोप फ्रांसिस का भारत से जुड़ाव केवल आध्यात्मिक नहीं, भावनात्मक भी था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा कि पोप भारतीयों के लिए विशेष स्नेह रखते थे। मोदी ने अपनी दोनों मुलाकातों को याद करते हुए कहा कि पोप ने हमेशा शांति, सेवा और समावेश की बात की।
इतिहास गवाह है कि भारत और वेटिकन के संबंध सदैव सौहार्दपूर्ण रहे हैं। जब 2016 में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को 'संत' की उपाधि दी थी, तो पूरी दुनिया की नजरें भारत पर थीं। यही नहीं, उन्होंने हमेशा भारत के विविध धार्मिक स्वरूप की सराहना की और यहां के गरीबों और पिछड़ों के लिए विशेष चिंता जताई।
कौन थे पोप फ्रांसिस?
जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो, जिन्हें पूरी दुनिया पोप फ्रांसिस के नाम से जानती है, अर्जेंटीना के रहने वाले थे और 2013 में पोप बने। वो पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे और साथ ही पहले येसुइट संप्रदाय से चुने गए पोप भी।
उन्होंने हमेशा करुणा, नम्रता और सरल जीवनशैली को बढ़ावा दिया। उन्होंने वेटिकन की पुरानी व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाई और चर्च को आधुनिक युग के अनुरूप ढालने का प्रयास किया। जलवायु परिवर्तन से लेकर शरणार्थी संकट तक, उन्होंने हमेशा सामाजिक मुद्दों पर बेबाक राय रखी।
भारत में तीन दिवसीय राजकीय शोक
गृह मंत्रालय की ओर से घोषित शोक के अनुसार, 22 और 23 अप्रैल को देशभर में राजकीय शोक रहेगा, और अंतिम संस्कार वाले दिन भी। इस दौरान सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सरकारी आयोजन या मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा।
यह निर्णय सिर्फ एक धार्मिक नेता के सम्मान में नहीं, बल्कि एक ऐसे वैश्विक मानवतावादी के लिए है, जिसने धर्म से परे मानव सेवा को प्राथमिकता दी।
सोशल मीडिया पर भी संवेदना की बाढ़
पोप फ्रांसिस के निधन के बाद सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों की बाढ़ आ गई है। भारतीय नेताओं, सेलिब्रिटीज़ और आम जनता ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। एक यूजर ने लिखा, "पोप ने हमेशा प्रेम, करुणा और एकता की बात की। उनका जाना पूरी दुनिया के लिए एक अपूरणीय क्षति है।"
पोप फ्रांसिस का जीवन केवल धार्मिक नेतृत्व तक सीमित नहीं था। उन्होंने एक ऐसे नेता के रूप में पहचान बनाई, जो हर वर्ग, हर धर्म और हर देश के लिए सोचता था। भारत के लिए उनका स्नेह और उनके द्वारा दिखाए गए मूल्य आज भी हमारे लिए प्रेरणा हैं।
उनकी मृत्यु ने न केवल ईसाई समुदाय को झकझोरा है, बल्कि एक ऐसे युग का अंत कर दिया है जिसमें धार्मिक नेतृत्व सामाजिक बदलाव का वाहक भी बन गया था।
What's Your Reaction?


