Bulandshahr Shock : युवक ने गुस्से में निगल लिए 29 चम्मच और 19 टूथब्रश, डॉक्टर भी रह गए दंग

बुलंदशहर में नशा मुक्ति केंद्र भेजे जाने से नाराज एक युवक ने हैरान कर देने वाला कदम उठाया। उसने गुस्से में आकर स्टील के चम्मच, टूथब्रश और पेन तक निगल लिए। ऑपरेशन में डॉक्टरों ने उसके पेट से 50 से ज्यादा सामान निकाले।

Sep 25, 2025 - 20:51
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Bulandshahr Shock : युवक ने गुस्से में निगल लिए 29 चम्मच और 19 टूथब्रश, डॉक्टर भी रह गए दंग
Bulandshahr Shock : युवक ने गुस्से में निगल लिए 29 चम्मच और 19 टूथब्रश, डॉक्टर भी रह गए दंग

यह कहानी किसी फिल्मी सीन जैसी लगती है, लेकिन यह हकीकत है। 40 वर्षीय सचिन नामक युवक को जब परिवार वालों ने नशा छुड़ाने के लिए जबरन नशा मुक्ति केंद्र भेजा, तो उसने गुस्से और जिद में ऐसा कदम उठा लिया, जिसने डॉक्टरों तक को हिला कर रख दिया।

गुस्से में निगल गया धातु और प्लास्टिक

सचिन ने केंद्र में रहते हुए एक-एक करके 29 स्टील के चम्मच, 19 टूथब्रश और 2 पेन निगल लिए। जब उसकी तबीयत बिगड़ने लगी तो परिजन तुरंत उसे हापुड़ के देवनंदिनी अस्पताल लेकर पहुंचे।

डॉक्टरों ने जब उसका एक्स-रे किया तो उनके भी होश उड़ गए। पेट में धातु और प्लास्टिक से भरा साफ दिख रहा था। डॉक्टर श्याम कुमार के नेतृत्व में तुरंत ऑपरेशन का निर्णय लिया गया।

ऑपरेशन बना चुनौती

करीब दो घंटे चले ऑपरेशन में डॉक्टरों ने उसके पेट से एक-एक सामान निकालकर सभी को हैरान कर दिया।

  • 29 स्टील के चम्मच

  • 19 टूथब्रश

  • 2 पेन

कुल मिलाकर 50 से ज्यादा सामान निकालने के बाद ही सचिन की जान बच पाई।

डॉक्टर श्याम कुमार ने बताया कि अगर समय पर इलाज न होता तो आंत फटने या आंतरिक रक्तस्राव से उसकी मौत भी हो सकती थी।

डॉक्टरों का क्या कहना है?

डॉक्टरों के मुताबिक यह मामला मानसिक समस्या (Psychiatric Disorder) से जुड़ा हो सकता है।
ऐसे रोगी तनाव, गुस्से या जिद में अजीबोगरीब चीजें निगल लेते हैं। इसे मेडिकल साइंस में Pica Disorder भी कहा जाता है, जिसमें इंसान खाने लायक न होने वाली चीजें भी निगल जाता है।

इतिहास में भी कई बार ऐसे केस सामने आ चुके हैं –

  • कुछ साल पहले राजस्थान में एक युवक के पेट से 1 किलो सिक्के और कीलें निकाली गई थीं।

  • विदेशों में भी ऐसे मामले दर्ज हैं, जहां मरीजों के पेट से चाकू, कैंची और यहां तक कि बल्ब तक निकाले गए हैं।

परिवार की चिंता, लेकिन मिली राहत

सफल ऑपरेशन के बाद सचिन की तबीयत अब स्थिर है। कुछ दिनों की निगरानी के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। परिवार ने राहत की सांस तो ली है, लेकिन अब वे उसके मानसिक उपचार और नशे की लत छुड़ाने की नई योजना पर विचार कर रहे हैं।

नशे की लत और मानसिक बीमारी का मेल

यह घटना सिर्फ एक चौंकाने वाली खबर नहीं, बल्कि समाज को आईना दिखाती है।
भारत में नशे की लत तेजी से बढ़ रही है। नेशनल ड्रग डिपेंडेंसी सर्वे (2019) के अनुसार, देश में 16 करोड़ से ज्यादा लोग शराब या नशे के किसी न किसी रूप में लिप्त हैं।

नशा छुड़ाने की कोशिश में अक्सर मरीज मानसिक तनाव से गुजरते हैं। कई बार यह तनाव इतना बढ़ जाता है कि मरीज खतरनाक और आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। सचिन का मामला भी इसी ओर इशारा करता है।

सबक क्या है?

  • परिवार को नशे की लत से जूझ रहे व्यक्ति को प्यार और धैर्य से समझाना चाहिए।

  • मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ-साथ काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक मदद बेहद जरूरी है।

  • समाज को भी ऐसे मरीजों को जज करने के बजाय उन्हें सहारा देने की जरूरत है।

सचिन के पेट से निकले 50 से ज्यादा सामान सिर्फ एक मेडिकल केस नहीं, बल्कि एक चेतावनी हैं।
 नशा सिर्फ शरीर को नहीं, बल्कि दिमाग और मानसिक स्वास्थ्य को भी खा जाता है।
 अगर समय रहते सही इलाज और परामर्श न मिले, तो मरीज खुद के लिए और परिवार के लिए खतरा बन सकता है।

आज सचिन की जान बच गई, लेकिन सवाल यह है – क्या समाज हर ‘सचिन’ को बचाने के लिए तैयार है?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।