Gorakhpur Tax Raid: आर्बिट ग्रुप के निदेशकों पर बड़ा शिकंजा, घरों और दफ्तरों पर IT की दबिश
गोरखपुर और लखनऊ में आयकर विभाग की बड़ी छापेमारी, आर्बिट ग्रुप के निदेशकों के ठिकानों पर तलाशी। जानिए पूरी खबर।
गोरखपुर और लखनऊ में आयकर विभाग ने एक बड़े ऑपरेशन के तहत आर्बिट ग्रुप के निदेशकों और अन्य प्रमुख कारोबारियों के ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई ने पूरे रियल एस्टेट और ऑटोमोबाइल उद्योग में हलचल मचा दी है।
क्या है पूरा मामला? आर्बिट ग्रुप, जो गोरखपुर में एक उभरता हुआ बड़ा रियल एस्टेट समूह माना जाता है, हाल के वर्षों में काफी तेजी से बढ़ा है। ऑटोमोबाइल व्यवसाय से शुरू हुए इस समूह ने रियल एस्टेट में कदम रखते ही कई बड़े प्रोजेक्ट्स पूरे किए। लेकिन इसी तेज़ी से बढ़ते कारोबार ने आयकर विभाग का ध्यान खींचा।
कब और कैसे हुई छापेमारी? आयकर विभाग ने अचानक गोरखपुर और लखनऊ में आर्बिट ग्रुप के निदेशकों के घरों, दफ्तरों और अन्य व्यावसायिक परिसरों पर छापेमारी की। मुख्य रूप से अभिषेक अग्रवाल और आनंद मिश्रा के घरों पर तलाशी ली गई। अधिकारियों ने उनके फोन, लैपटॉप और महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए।
क्यों पड़ी ये छापेमारी? सूत्रों के मुताबिक, आयकर विभाग को आर्बिट ग्रुप के वित्तीय लेन-देन में अनियमितताओं और टैक्स चोरी की आशंका थी। कंपनी द्वारा किए गए निवेश और मुनाफे में काफी विसंगतियां पाई गईं।
आर्बिट ग्रुप का सफर और विवाद आर्बिट ग्रुप की शुरुआत ऑटोमोबाइल सेक्टर से हुई थी, जिसमें उन्होंने मारुति के शोरूम के साथ बिजनेस शुरू किया। इसके बाद उन्होंने रियल एस्टेट में कदम रखा और कई बड़े प्रोजेक्ट्स जैसे मॉल, रिटेल स्टोर्स, अपार्टमेंट और ऑफिस स्पेस बनाए। उनकी सफलता का मुख्य कारण उनका अनोखा बिजनेस मॉडल था – उन्होंने संपत्तियों को बेचने के बजाय किराए पर देना शुरू किया, जिससे एक स्थिर आय बनी रही।
किन ठिकानों पर हुई कार्रवाई?
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आर्बिट ग्रुप के निदेशक अभिषेक अग्रवाल और आनंद मिश्रा के निजी ठिकाने।
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रामगढ़ताल स्थित फ्लोटिंग रेस्टोरेंट।
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होटल रॉयल रेजीडेंसी और फॉरेस्ट क्लब।
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अन्य साझेदारों और रिश्तेदारों के व्यावसायिक स्थल।
क्या मिले सबूत? आयकर अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल डेटा और बैंक लेन-देन की जानकारी जब्त की है। फिलहाल जांच जारी है और जल्द ही पूरी रिपोर्ट आने की संभावना है।
क्या होगा आर्बिट ग्रुप का भविष्य? यदि टैक्स चोरी साबित होती है, तो आर्बिट ग्रुप पर भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई संभव है। हालांकि, यदि वे निर्दोष पाए जाते हैं, तो उनका व्यवसाय सामान्य रूप से जारी रहेगा।
यह छापेमारी क्यों अहम है? इस घटना ने व्यापार जगत को एक बड़ा संदेश दिया है – टैक्स चोरी और वित्तीय अनियमितताओं पर सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति।
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