Mumbai Reality: गीता कपूर ने खोले रियलिटी शो के पर्दे पीछे के राज़, बोले– सबकुछ स्क्रिप्ट नहीं होता!
मुंबई में भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के पॉडकास्ट में पहुंचीं गीता कपूर ने रियलिटी शोज़ की असलियत बताई। जज के रोने से कंटेस्टेंट्स की कहानी तक, जानिए क्या है सच्चाई।

भारत में रियलिटी शोज़ हमेशा से मनोरंजन का एक बड़ा माध्यम रहे हैं। चाहे डांस हो या सिंगिंग, दर्शकों की भावनाएं और कंटेस्टेंट्स की कहानियां मिलकर इन्हें एक अलग ही ऊंचाई पर ले जाती हैं। लेकिन इन शोज़ को लेकर हमेशा यह सवाल उठता रहा है – क्या ये शो स्क्रिप्टेड होते हैं?
अब इस बहस में एक बार फिर आग लगाई है मशहूर कोरियोग्राफर और जानी-मानी रियलिटी शो जज गीता कपूर ने। हाल ही में वह भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया के पॉडकास्ट में नजर आईं, जहां उन्होंने अपनी निजी और पेशेवर जिंदगी से जुड़ी कई बातें साझा कीं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा हुई रियलिटी शोज़ को लेकर उनके उस बयान की, जिसमें उन्होंने पर्दे के पीछे की हकीकत सबके सामने रख दी।
"जो असली है, वही दिखता है" – गीता कपूर
पॉडकास्ट में भारती ने गीता से सीधे-सीधे पूछ लिया कि क्या रियलिटी शोज़ में दिखाई जाने वाली जजों की भावनाएं, लड़ाइयां और ड्रामा सब सच्चा होता है? गीता का जवाब था साफ – “हां, सबकुछ सच होता है। हम जबरन रो नहीं सकते। अगर हम एक्टिंग कर रहे होते, तो किसी फिल्म में होते, रियलिटी शो में नहीं।”
उन्होंने आगे कहा कि कई बार लोग यह मान लेते हैं कि सब कुछ स्क्रिप्टेड है, लेकिन जब वे खुद मेहमान बनकर शो में आते हैं और कंटेस्टेंट्स की कहानियां सुनकर रोते हैं, तब उन्हें यकीन होता है कि ये सब सच्चा है।
हर्ष लिंबाचिया ने दिया नया नजरिया
हर्ष लिंबाचिया ने इस बातचीत में एक गहरी बात कही – “जब दर्शक टीवी पर रियलिटी शो देखते हैं तो वो एक साथ पांच काम कर रहे होते हैं। उन्हें सिर्फ 2 मिनट की क्लिप दिखाई जाती है, लेकिन हमारे सामने कंटेस्टेंट्स आधे घंटे अपनी कहानी बताते हैं। इतने वक्त तक कोई भी अगर किसी की सच्चाई सुने, तो आंखें नम होना स्वाभाविक है।”
बिग बॉस और कैमरे की असलियत
गीता ने बिग बॉस का उदाहरण देते हुए कहा, “एक शो जहां 24 घंटे कैमरे चलते हैं, वहां आप कितनी एक्टिंग कर सकते हो? कोई स्क्रिप्ट वहां काम नहीं करती। हां, कुछ चीजें प्लान की जाती हैं, ताकि कहानी दिलचस्प बन सके, लेकिन भावनाएं और इंसान की असली प्रतिक्रिया कभी नकली नहीं हो सकती।”
कंटेंट के पीछे की सोच
गीता ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक राइटर या क्रिएटिव टीम यह तय करती है कि दर्शकों को सिर्फ टैलेंट नहीं, उस इंसान की पूरी कहानी दिखानी चाहिए। “लोग कहते हैं कि हम सिर्फ डांस देखना चाहते हैं, लेकिन सच ये है कि सबको कहानी सुननी होती है। अगर ऐसा न होता तो बिग बॉस जैसे शो कभी नहीं चलते।”
इतिहास से सीख और बदलते ट्रेंड्स
भारत में रियलिटी शो का इतिहास करीब दो दशकों से अधिक पुराना है। "इंडियन आइडल", "डांस इंडिया डांस", "सारेगामापा", और "बिग बॉस" जैसे शोज़ ने ना सिर्फ टैलेंट को मंच दिया, बल्कि दर्शकों की भावनाओं से भी गहराई से जुड़ाव बनाया। समय के साथ इन शोज़ की प्रेजेंटेशन में बदलाव जरूर आया है, लेकिन कंटेंट की सच्चाई अब भी वहीं बनी हुई है – इंसानों की कहानियां और उनकी जद्दोजहद।
तो क्या सब स्क्रिप्टेड होता है?
इस सवाल का जवाब गीता कपूर के शब्दों में यही है – “कुछ चीजें प्लान होती हैं, लेकिन जो असली है, वह कैमरे के सामने खुद ही सामने आ जाता है। उसे लिखा नहीं जा सकता।”
अगर आप अब भी सोचते हैं कि रियलिटी शो सिर्फ ड्रामा हैं, तो शायद आपको खुद जाकर एक शो की रिकॉर्डिंग में बैठना चाहिए – क्योंकि असली इमोशन सिर्फ स्क्रिप्ट से नहीं, दिल से आता है।
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