MP Murder: सहपाठी की सनक बनी छात्रा की मौत की वजह, बातचीत बंद करना पड़ा भारी
मध्य प्रदेश के धार जिले में 12वीं की छात्रा की उसके ही सहपाठी ने सिर्फ इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसने बात करना बंद कर दिया था। खेत से मिला शव, आरोपी ने किया जुर्म कबूल।

मध्य प्रदेश के धार जिले से आई यह खबर सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि समाज के उस अंधेरे कोने की कहानी है जहां नाबालिगों की सोच खतरनाक मोड़ ले रही है। एक 17 वर्षीय छात्रा की हत्या उसके ही सहपाठी ने महज इसलिए कर दी क्योंकि लड़की ने उससे बातचीत करना बंद कर दिया था।
घटना धार जिले के उमरबन थाना क्षेत्र की है, जो जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर स्थित है। शनिवार की सुबह जैसे ही एक खेत में छात्रा का शव बरामद हुआ, पूरे इलाके में सनसनी फैल गई।
एकतरफा लगाव या मानसिक सनक?
पुलिस की शुरुआती जांच में जो खुलासे हुए हैं, वो बेहद चौंकाने वाले हैं। मृतका 12वीं कक्षा की छात्रा थी और पढ़ाई में तेज़ थी। लेकिन पिछले कुछ समय से उसका एक सहपाठी उसे बार-बार परेशान कर रहा था। जब छात्रा ने उससे बात करना बंद कर दिया, तो यही बात उस लड़के को इतनी चुभ गई कि उसने न केवल खतरनाक कदम उठाया, बल्कि लड़की को खेत में बुलाकर धारदार हथियार से बेरहमी से उसकी हत्या कर दी।
यह कोई सामान्य झगड़ा नहीं था, बल्कि भावनात्मक असंतुलन और खतरनाक सोच का परिणाम था।
जुर्म कबूलते ही टूटी चुप्पी
जैसे ही पुलिस को संदेह हुआ, संदिग्ध छात्र को हिरासत में लिया गया। पूछताछ के दौरान उसने जुर्म कबूल करते हुए कहा कि वह इस बात से बेहद आहत था कि छात्रा ने उससे बात करना बंद कर दिया था। उसने लड़की को खेत में मिलने बुलाया, जहां पहले से हथियार लेकर वह घात लगाए बैठा था।
हत्या के बाद वह मौके से फरार हो गया, लेकिन पुलिस की टीम ने उसे तेजी से खोज निकालने में सफलता पाई। अब उससे हत्या में प्रयुक्त हथियार की बरामदगी और हत्या के पीछे की गहराई से वजहों की जांच की जा रही है।
फॉरेंसिक टीम जुटी जांच में
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और फारेंसिक टीम घटनास्थल से सबूत जुटाने में लगी हुई है। वहीं, विशेष टीम का गठन कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गीतेश गर्ग खुद मामले की निगरानी कर रहे हैं।
इतिहास की परछाई में आज की घटना
धार जिला ऐतिहासिक रूप से अपनी सांस्कृतिक विरासत और शांति के लिए जाना जाता रहा है, लेकिन बीते वर्षों में यहां किशोर अपराधों की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। इससे पहले भी कुछ मामलों में किशोरों द्वारा भावनात्मक आवेश में आकर अपराध करने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
यह घटना ना सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज की जागरूकता पर भी गंभीर सवाल छोड़ती है।
क्या सीखना चाहिए इस दर्दनाक घटना से?
समाज में युवाओं के मनोविज्ञान को समझना अब वक्त की मांग बन चुकी है। एकतरफा लगाव, अस्वीकार की पीड़ा और डिजिटल युग के प्रभाव ने आज के किशोरों को संवेदनहीनता की ओर धकेल दिया है। यह ज़रूरी है कि परिवार, स्कूल और समाज मिलकर इस दिशा में प्रयास करें।
न्याय की उम्मीद, लेकिन चिंता बनी हुई है
फिलहाल पुलिस आरोपी को कड़ी सजा दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी? क्या हम समय रहते अपने युवाओं को भावनात्मक रूप से सशक्त बना पा रहे हैं?
इस दिल दहला देने वाली घटना ने फिर एक बार हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है — क्या बात न करने भर से किसी की जान जा सकती है?
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