Jamshedpur Accident: पाइपलाइन की खुदाई बनी मौत का कुआं, एक की मौके पर मौत
जमशेदपुर के बगबेड़ा में पाइपलाइन खुदाई के दौरान दो युवक गड्ढे में गिर गए, जिसमें एक की मौत हो गई। स्थानीय लोगों में ठेकेदार की लापरवाही को लेकर भारी आक्रोश है।

जमशेदपुर के बगबेड़ा क्षेत्र में एक निर्माण कार्य अचानक मातम में तब्दील हो गया, जब पाइपलाइन बिछाने के दौरान की जा रही खुदाई में दो युवक जानलेवा हादसे का शिकार हो गए।
जिस गड्ढे को लोग पाइपलाइन का हिस्सा मानकर नजरअंदाज कर रहे थे, वही एक युवक के लिए जीवन की आखिरी जगह बन गया।
क्या है पूरा मामला?
घटना सोमवार की है, जब बगबेड़ा के प्रधानटोला इलाके में पाइपलाइन बिछाने के लिए खुदाई का काम चल रहा था। दो युवक, कृष्णा (24 वर्ष) और पंचू, अचानक उस गहरे गड्ढे में फिसलकर गिर गए। मिट्टी इतनी गीली और ढीली थी कि दोनों उसमें दबने लगे।
कृष्णा की मौके पर ही दम घुटने से मौत हो गई, जबकि पंचू को लोगों ने किसी तरह बाहर निकाला और उसे एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। पंचू की हालत गंभीर बताई जा रही है।
सुरक्षा नाम की कोई व्यवस्था नहीं थी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह हादसा ठेकेदार की घोर लापरवाही का नतीजा है। न तो किसी तरह की बैरिकेडिंग की गई थी, न ही चेतावनी बोर्ड लगाए गए थे। यहां तक कि खुदाई स्थल पर कोई वर्क साइट सेफ्टी गाइडलाइन भी पालन में नहीं थी।
लोग राह चलते अचानक मौत के मुंह में जा सकते हैं, और यही सोमवार को हुआ।
ठेकेदार पर आक्रोश, कार्रवाई की मांग
घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। लोग ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि इस तरह की घटनाएं पहली बार नहीं हुई हैं। पिछले साल भी एक नाला निर्माण के दौरान एक बच्चा गड्ढे में गिर गया था, हालांकि वह बच गया था।
प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल
घटना के बाद लोग नगर निगम और प्रशासन पर भी सवाल उठा रहे हैं कि जब इस प्रकार की खुदाई की अनुमति दी जाती है, तो क्या सुरक्षा मानकों की जांच नहीं होती?
कई लोगों का कहना है कि ठेकेदार केवल निर्माण कार्य पूरा करने पर ध्यान देते हैं, जबकि सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
हादसों की लम्बी फेहरिस्त
झारखंड में ऐसे हादसे पहले भी सामने आते रहे हैं।
2018 में रांची के कोकर इलाके में नाली निर्माण के दौरान एक मजदूर की मौत हो गई थी।
2021 में जमशेदपुर के ही परसुडीह में सड़क चौड़ीकरण के दौरान एक बाइक सवार गड्ढे में गिर गया था और मौके पर ही उसकी मौत हो गई थी।
ये घटनाएं दर्शाती हैं कि सुरक्षा मानकों की अनदेखी कोई नई बात नहीं, लेकिन सवाल यह है कि कब तक लापरवाही की कीमत जान देकर चुकाई जाएगी?
प्रधानटोला की यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की असफलता का जीता-जागता उदाहरण है।
जब तक ठेकेदारों और प्रशासन पर जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी।
अब बारी है शासन और प्रशासन की—क्या वे जागेंगे या फिर अगली लापरवाही का इंतजार करेंगे?
सवाल अब सिर्फ कृष्णा की मौत का नहीं है, सवाल है—हम कितनी और जानें खोने के बाद जागेंगे?
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