Pune Murder: रिश्तेदार ने उतारा एक ही परिवार के 7 लोगों को मौत के घाट, जानिए पूरी सच्चाई!
पुणे के दौंड तालुका में एक ही परिवार के 7 लोगों की हत्या ने सनसनी मचा दी। जानें कैसे रिश्तेदार ने अपनी नफरत के चलते पूरे परिवार की जान ले ली और पुलिस ने किसे गिरफ्तार किया।

पुणे में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया। जनवरी 2023 में, पुणे के दौंड तालुका के भीमा नदी से एक ही परिवार के 7 शव बरामद किए गए। इस हत्याकांड में सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि यह हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि परिवार के एक रिश्तेदार ने की थी। यह हत्या एक प्रतिशोध की भावना से की गई, जिसका परिणाम अत्यधिक दर्द और दुख के रूप में सामने आया।
क्या हुआ था इस हत्याकांड में?
इस हत्याकांड का सिलसिला 18 जनवरी 2023 से शुरू हुआ, जब पारगांव गांव में भीमा नदी में एक अज्ञात महिला का शव मिला। यह शव एक ऐसी महिला का था, जिसकी पहचान बाद में संगीता मोहन पवार के रूप में हुई। यह महिला महाराष्ट्र के बीड जिले की रहने वाली थी। फिर, 20 जनवरी को उसी स्थान के पास एक और शव मिला, और 22 जनवरी को दो और शवों का पता चला, जिसमें एक महिला भी थी। मृतकों के बारे में जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और शवों की पहचान की।
रिश्तेदारों ने उठाया मौत का कदम
पुलिस जांच से यह साफ हुआ कि यह सारी हत्याएं परिवार के रिश्तेदारों ने की थी। यह हत्याएं प्रतिशोध की भावना से की गई थीं। जांच में यह पाया गया कि मृतक मोहन उत्तम पवार, उनकी पत्नी संगीता पवार, उनके दामाद शमराव फुलवारे, और उनकी बेटी रानी फुलवारे के साथ उनके तीन बच्चे भी लापता थे। 24 जनवरी को, नदी में इन लापता बच्चों के शव भी मिले।
कैसे हुआ यह भयंकर हादसा?
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि अशोक कल्याण पवार, मोहन का रिश्तेदार, अपने बेटे धनंजय पवार की सड़क दुर्घटना में मौत का दोष मोहन पर डालता था। अशोक का मानना था कि मोहन और उसके बेटे ने जानबूझकर उसके बेटे की हत्या की थी। इस गुस्से और बदले की भावना ने अशोक को अपने पूरे परिवार को खत्म करने की योजना बनाने की प्रेरणा दी।
जांच में पुलिस को यह भी पता चला कि अशोक और उसके परिवार के सदस्य घटनास्थल के पास मौजूद थे, और उनकी मोबाइल फोन लोकेशन ने यह साबित कर दिया कि वे इस कांड में शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने अशोक और उसके साथियों शाम कल्याण पवार, शंकर कल्याण पवार, प्रकाश कल्याण पवार, और कांताबाई सरजेराव जाधव को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इसके अलावा अशोक के परिवार के एक नाबालिग सदस्य को भी हिरासत में लिया, जिसे किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया।
मोबाइल फोन की मदद से खुलासा
पुलिस ने यह भी पाया कि मोहन पवार और उनकी पत्नी संगीता पवार के मोबाइल फोन की लोकेशन से यह पुष्टि हुई कि वे 17 और 18 जनवरी को घटनास्थल के पास थे। पुलिस ने इस डिजिटल सबूत के आधार पर हत्या की साजिश का पर्दाफाश किया और रिश्तेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की।
अशोक के प्रतिशोध ने बदला मोहन के परिवार की किस्मत
यह पूरा हत्याकांड बदला लेने की भावना से किया गया था। अशोक का मानना था कि मोहन ने उसके बेटे धनंजय की जान ली थी, और इसी के कारण उसने परिवार के बाकी सदस्यों की जान लेने का फैसला किया। अशोक ने सगी रिश्तेदारों को ही मौत के घाट उतारकर, अपने गुस्से और प्रतिशोध को पूरा किया।
अदालत में मामला और सजा की उम्मीद
इस मामले की सुनवाई अब बारामती की अदालत में चल रही है। विशेष सरकारी वकील शिशिर हिरय ने बताया कि, “पुलिस की जांच में यह सामने आया कि आरोपियों ने गला घोंटकर हत्या की और शवों को नदी में फेंक दिया।” अब अदालत में मामले की सुनवाई शुरू होने वाली है, और यह कुख्यात हत्याकांड अपने अंतिम मुकाम तक पहुंचने के करीब है।
क्या सिखाती है यह घटना?
यह घटना रिश्तेदारों के बीच के गहरे कुटिल प्रतिशोध और बदले की भावना के परिणामस्वरूप घटित हुई है। यह हमें यह समझने का मौका देती है कि कभी-कभी पारिवारिक रिश्ते भी अत्यधिक हिंसा में बदल सकते हैं। साथ ही, यह हमें यह याद दिलाती है कि पुलिस की त्वरित कार्रवाई और डिजिटल सबूतों की मदद से सच्चाई का पर्दाफाश किया जा सकता है।
अंत में, यह हत्याकांड न केवल पुणे बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए एक बड़े खौफनाक संदेश के रूप में उभरकर सामने आया है कि कभी-कभी हमारे करीबी रिश्ते भी हमें अंधेरे रास्तों पर ले जा सकते हैं।
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