Bollywood Attack: नवाजुद्दीन सिद्दीकी का गुस्सा फूटा, बोले- हमारी इंडस्ट्री चोर है!

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने बॉलीवुड को बताया 'चोरों की इंडस्ट्री', बोले- हमारी फिल्मों में है रचनात्मक दिवालियापन। जानिए उन्होंने क्यों कहा कि फिल्म इंडस्ट्री ने साउथ और वेस्ट से सब कुछ चुराया है।

May 5, 2025 - 12:49
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Bollywood Attack: नवाजुद्दीन सिद्दीकी का गुस्सा फूटा, बोले- हमारी इंडस्ट्री चोर है!
Bollywood Attack: नवाजुद्दीन सिद्दीकी का गुस्सा फूटा, बोले- हमारी इंडस्ट्री चोर है!

बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी एक बार फिर चर्चा में हैं, लेकिन इस बार उनकी किसी फिल्म से ज़्यादा, उनके बोल्ड बयानों ने हलचल मचा दी है। अपनी नई फिल्म ‘कोस्टाओ’ के प्रमोशन के दौरान नवाज ने सीधे-सीधे बॉलीवुड इंडस्ट्री पर निशाना साधते हुए इसे ‘चोरी करने वाली इंडस्ट्री’ करार दे दिया।

जहां आमतौर पर एक्टर फिल्म प्रमोशन के दौरान सतर्क रहते हैं, वहीं नवाज का ये अंदाज न केवल साहसी था, बल्कि बेहद सटीक और बॉलीवुड की असलियत को उजागर करने वाला भी।

“हमने गाने भी चुराए, कहानियां भी चुराईं!”

एक इंटरव्यू में जब नवाजुद्दीन से पूछा गया कि वह इंडस्ट्री में क्या चीज़ इन्वेस्टिगेट करना चाहेंगे, तो उनका जवाब था – "हमारी इंडस्ट्री शुरू से चोर रही है।" नवाज का दावा है कि बॉलीवुड ने गाने चुराए, कहानियां चुराईं, यहां तक कि साउथ और वेस्टर्न सिनेमा से सीन तक कॉपी किए।

उनका तंज था कि जब एक इंडस्ट्री चोरी पर ही टिकी हो, तो वहां रचनात्मकता (Creativity) की उम्मीद करना बेवकूफी है। यही वजह है कि कई अच्छे एक्टर्स और डायरेक्टर्स आज बॉलीवुड से दूरी बना रहे हैं

“5 साल तक एक ही फॉर्मूला, फिर नया घिसना शुरू”

नवाज ने फिल्म इंडस्ट्री की फॉर्मूला-बेस्ड सोच पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “पहले डाकूओं की फिल्में चलती थीं, फिर लव स्टोरी, फिर गैंगस्टर। हर एक फॉर्मूला को 5 साल तक घिसा जाता है। जब लोग थक जाते हैं, तब जाकर नया ट्रेंड आता है।”

उन्होंने कहा कि ये ट्रेंड न केवल दर्शकों को बोर करता है, बल्कि इंडस्ट्री को रचनात्मक रूप से दीवालिया भी बनाता है। अब हालत यह है कि एक ही फिल्म के 2, 3 और 4 सीक्वल बना दिए जाते हैं, बिना किसी नई सोच के।

बॉलीवुड का यह ‘कॉपी कल्चर’ नया नहीं है

हकीकत यह है कि नवाजुद्दीन की बातें कोई नई नहीं हैं। बॉलीवुड का कॉपी कल्चर दशकों से चला आ रहा है। 90 के दशक में भी कई फिल्में हॉलीवुड और कोरियन सिनेमा से कॉपी की गईं थीं। यहां तक कि मशहूर म्यूजिक डायरेक्टर भी पाकिस्तानी, अफगानी और अफ्रीकी धुनों को चुपचाप उठा लेते थे।

राकेश रोशन की ‘कोई मिल गया’ से लेकर ‘गजनी’ और ‘कबीर सिंह’ जैसी फिल्मों तक, साउथ की रीमेक बॉलीवुड की रीढ़ बन गई हैं। नवाजुद्दीन इसी सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं – “अगर आप सिर्फ चुराकर फिल्म बनाएंगे, तो एक्टर्स क्या नया करें?”

अनुराग कश्यप जैसे लोग क्यों हो रहे हैं किनारे?

नवाज ने इंडस्ट्री से बाहर हो रहे प्रतिभाशाली लोगों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि “अनुराग कश्यप जैसे डायरेक्टर्स जो नयापन लाते थे, अब किनारे हो गए हैं। क्योंकि इंडस्ट्री को अब सिर्फ मुनाफा चाहिए, ना कि कला।”

ये टिप्पणी उस ट्रेंड को भी उजागर करती है जहां कमर्शियल सक्सेस के नाम पर रचनात्मकता का गला घोंटा जा रहा है।

कोस्टाओ: एक रियल इंसिडेंट पर आधारित दमदार फिल्म

नवाज की हालिया फिल्म ‘कोस्टाओ’ ओटीटी पर रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म गोवा के एक कस्टम ऑफिसर की सच्ची कहानी पर आधारित है। इस मूवी में नवाज का किरदार एकदम अलग और गंभीर है, जो रूटीन बॉलीवुड फिल्मों से बिल्कुल हटकर है।

उनका कहना है कि इस तरह की कहानियां ही बॉलीवुड को बचा सकती हैं, लेकिन इसके लिए इंडस्ट्री को अपनी सोच बदलनी होगी।

क्या अब भी वक्त नहीं आया कुछ नया सोचने का?

नवाजुद्दीन सिद्दीकी का यह बयान केवल एक अभिनेता की नाराजगी नहीं है, बल्कि एक बड़ी सिस्टमेटिक समस्या की ओर इशारा है। जब तक बॉलीवुड अपनी चोरी की आदत और फॉर्मूला सोच नहीं छोड़ता, तब तक नवीनता, कला और क्रिएटिविटी महज किताबों तक सीमित रह जाएगी।

अब सवाल यह है – क्या दर्शक सिर्फ रीमेक और चोरी की फिल्में देखना चाहेंगे, या कुछ नया भी मांगेंगे?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।