India Infiltration: शादी-राशन कार्ड के ज़रिये ISI एजेंटों की भारत में घुसपैठ, वोट तक डाल चुके पाकिस्तानी!
पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए घुसपैठिए शादी, फर्जी दस्तावेज और वोटर आईडी के सहारे भारत में न केवल घुसपैठ कर रहे हैं, बल्कि लोकतंत्र को भी खतरे में डाल रहे हैं। क्या देश की सुरक्षा पर मंडरा रहा है नया संकट?
भारत की लोकतांत्रिक और आंतरिक सुरक्षा पर एक अदृश्य मगर गहराता हुआ खतरा मंडरा रहा है — और इसका संचालन हो रहा है पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा। पिछले कुछ वर्षों में, खासकर पश्चिमी सीमाओं और पूर्वी राज्यों के जरिए, भारत में रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी एजेंटों की सघन घुसपैठ हुई है। लेकिन इस बार इनका तरीका और भी चालाक है — ये अब बंदूक लेकर नहीं, बल्कि "शादी", "राशन कार्ड", और "वोटर आईडी" लेकर भारत में आ रहे हैं।
पाकिस्तानी ‘पति’ और भारतीय ‘पत्नी’: जासूसी का नया मॉडल
हाल ही में सामने आए मामलों में पाया गया है कि कई पाकिस्तानी नागरिक भारत में विवाह के बहाने प्रवेश कर रहे हैं। इनकी पत्नियाँ या तो भारत की होती हैं या फिर स्वयं फर्जी दस्तावेज़ के साथ भारतीय बन चुकी विदेशी महिलाएं। एक चौंकाने वाला मामला सामने आया जिसमें रावलपिंडी से आया एक युवक खुद स्वीकार करता है कि उसने भारत में रहकर मतदान तक किया!
क्या यह केवल प्रशासनिक चूक है या जानबूझकर दी गई छूट? ये सवाल अब देश की जनता को झकझोर रहे हैं।
मेडिकल वीजा पर आये ISI एजेंट — फिर हुए 'गायब'
पाकिस्तान द्वारा अपने नागरिकों को मेडिकल वीजा पर भेजने की रणनीति अब संदेह के घेरे में है। कई एजेंट भारत आकर “इलाज” के बहाने भूमिगत हो जाते हैं, पासपोर्ट नष्ट कर देते हैं और बाद में भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं। यह पूरी योजना न केवल खतरनाक है, बल्कि भारत के वीजा सिस्टम की बड़ी विफलता भी उजागर करती है।
वोटर आईडी, राशन कार्ड और फर्जी आधार — लोकतंत्र पर हमला
अहमदाबाद और नागपुर जैसे शहरों में हालिया कार्रवाई में दर्जनों ऐसे अवैध बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिक पकड़े गए जो फर्जी दस्तावेजों के दम पर भारतीय वोटर बन चुके थे। ये लोग स्थानीय प्रशासन को चकमा देकर राशन कार्ड, आधार कार्ड और यहां तक कि बैंक खाते भी खुलवा चुके थे।
इतना ही नहीं, चुनाव के दौरान इन घुसपैठियों द्वारा मतदान करने की पुष्टि ने लोकतंत्र की जड़ों को ही हिला दिया है।
रोहिंग्या-बांग्लादेशी-पाकिस्तानी एजेंटों का गठजोड़
आज भारत में तीन सक्रिय गिरोह हैं — रोहिंग्या मुस्लिम नेटवर्क, बांग्लादेशी नेटवर्क और पाकिस्तानी ISI एजेंट। इनका मकसद सिर्फ जासूसी नहीं है, बल्कि साम्प्रदायिक तनाव, आतंकी फंडिंग और सांस्कृतिक विघटन को हवा देना है।
इनमें से कई लोग OGW यानी ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में कार्य करते हैं — जो आम नागरिकों, वृद्धों, यहां तक कि साधु-संतों के रूप में समाज में घुले-मिले रहते हैं।
केंद्र सरकार की ‘Get Out Pakistan’ नीति — निर्णायक जवाब
बीजेपी सरकार ने इस खतरे को गंभीरता से लेते हुए सख्त नीतियां लागू की हैं। अवैध घुसपैठियों की पहचान, फर्जी दस्तावेजों पर कड़ी सजा और राष्ट्रव्यापी NRC प्रक्रिया इसकी शुरुआत है।
वहीं, विपक्षी दलों की इस मुद्दे पर चुप्पी और 2019 में CAA और NRC के विरोध को अब राष्ट्रविरोधी चुप्पी के रूप में देखा जा रहा है।
यह केवल घुसपैठ नहीं, राष्ट्र की अस्मिता पर आक्रमण है
भारत केवल एक भू-भाग नहीं, एक सांस्कृतिक चेतना है। इस चेतना को कमजोर करने की जो साज़िश पाकिस्तान, बांग्लादेश और इनके एजेंट कर रहे हैं, वह केवल सीमा सुरक्षा का मामला नहीं, बल्कि भारतीय पहचान और लोकतंत्र की आत्मा को बचाने की लड़ाई बन चुका है।
क्या अब भारत और भी कठोर कदम उठाएगा?
क्या 'शादी' अब देश के लिए खतरे का अलार्म बन चुकी है?
आप क्या सोचते हैं — क्या घुसपैठियों के खिलाफ और सख्ती होनी चाहिए?
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