Jamshedpur Decision: आश्रितों को सरकारी नौकरी की सौगात, जानिए किन्हें मिला नियुक्ति का तोहफा
जमशेदपुर में उपायुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में हुई जिला स्थापना समिति की बैठक में 6 आश्रितों को सरकारी नौकरी की सहमति, जानिए किसे मिला वर्ग-3 और वर्ग-4 में स्थान।
सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे कई परिवारों के लिए 02 मई 2025 की तारीख उम्मीद की नई किरण लेकर आई। जमशेदपुर स्थित समाहरणालय में आयोजित जिला अनुकंपा समिति की अहम बैठक में छह आश्रितों को सरकारी नौकरी देने की स्वीकृति दी गई। इस ऐतिहासिक बैठक की अध्यक्षता खुद जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल ने की।
क्यों होती है अनुकंपा नियुक्ति?
अनुकंपा नियुक्ति की परंपरा की बात करें तो यह व्यवस्था उन परिवारों के लिए बनाई गई है, जिन्होंने किसी सरकारी कर्मचारी को सेवा के दौरान खोया है। यह नियुक्ति उस परिवार के किसी सदस्य को आर्थिक संबल और सम्मान देने के उद्देश्य से की जाती है। झारखंड सरकार की यह नीति संवेदनशील प्रशासन का एक उदाहरण है।
क्या हुआ बैठक में?
बैठक में कुल 14 मामलों को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। लंबी समीक्षा प्रक्रिया के बाद 06 मामलों को मंजूरी मिली। इसमें चार को वर्ग-3 (Class III) और दो को वर्ग-4 (Class IV) की नौकरी के लिए मंजूरी दी गई।
समिति ने हर आवेदक के दस्तावेज़, मृत्यु प्रमाण पत्र, पारिवारिक संरचना, विभागीय एनओसी और संबंधित विभाग में रिक्त पदों की स्थिति का विस्तार से विश्लेषण किया। जिन आवेदनों में त्रुटियाँ थीं, उन्हें सुधार के निर्देश दिए गए।
जानिए किसे मिला रोजगार
वर्ग-3 के पदों पर जिन चार उम्मीदवारों को नियुक्ति की स्वीकृति मिली, वे हैं:
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भास्कर दास, पुत्र स्व. कंचन कुमार दास (पूर्व शिक्षक)
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मुस्कान मार्डी, पुत्री स्व. लखिंद्र मार्डी (पूर्व आदेशपाल)
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शंकर सिंह, आश्रित स्व. पिंकी कुमारी (पूर्व लिपिक)
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कुनाल सिंह, पुत्र स्व. दिलीप कुमार सिंह (पूर्व शिक्षक)
वहीं वर्ग-4 में नियुक्ति पाने वालों में शामिल हैं:
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रामकृष्ण सरदार, पुत्र स्व. बयार सिंह सरदार (पूर्व शिक्षक)
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दोला साहू, पत्नी स्व. गौरीशंकर साहू (पूर्व कल्याण पर्यवेक्षक)
इन सभी को संबंधित विभागों में जल्द ही नियुक्ति पत्र प्रदान किए जाने की संभावना है।
कौन-कौन रहे बैठक में शामिल?
इस निर्णय में भाग लेने वाले प्रमुख अधिकारियों में शामिल थे:
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श्रीमती शताब्दी मजूमदार (धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी)
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श्री भगीरथ प्रसाद (अपर उपायुक्त)
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श्री शंकराचार्य समद (जिला कल्याण पदाधिकारी)
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श्री मनोज कुमार (जिला शिक्षा पदाधिकारी)
साथ ही कई अन्य वरीय अधिकारी भी बैठक में उपस्थित रहे।
क्यों है यह फैसला खास?
झारखंड जैसे राज्य में, जहां कई ग्रामीण और अर्ध-शहरी परिवार अब भी नौकरी की तलाश में संघर्षरत हैं, ऐसे में अनुकंपा नियुक्ति से न केवल एक परिवार को सहारा मिलता है, बल्कि प्रशासन की संवेदनशीलता भी झलकती है।
सरकार की यह पहल बताती है कि किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद भी उसका परिवार राज्य की जिम्मेदारी बना रहता है। यह सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक सम्मान और भरोसे की डोर है जिसे सरकार जनता से जोड़े रखती है।
राहत की सांस बना ये फैसला
इस बैठक के फैसले से छह परिवारों ने राहत की सांस ली है। लेकिन इससे बड़ा सवाल यह भी उठता है कि क्या बाकी आठ मामलों में जल्द सुधार हो पाएगा? क्या झारखंड में ऐसी नीतियों को और सरल और तेज़ किया जा सकता है?
आपके इलाके में भी अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े मुद्दे हैं? क्या ये प्रक्रिया पारदर्शी है?
आपके विचार आने वाले प्रशासनिक बदलावों का हिस्सा बन सकते हैं।
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