Palamu Accident Mystery: पलामू में घाटी के मोड़ पर पलटा ट्रैक्टर, 5 बच्चों के पिता की दर्दनाक मौत!

झारखंड के पलामू में एक दर्दनाक हादसे में ट्रैक्टर पलटने से चालक परदेशी भुइयां की मौके पर ही मौत हो गई। वह पांच बच्चों का पिता था और परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था।

May 3, 2025 - 11:49
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Palamu Accident Mystery: पलामू में घाटी के मोड़ पर पलटा ट्रैक्टर, 5 बच्चों के पिता की दर्दनाक मौत!
Palamu Accident Mystery: पलामू में घाटी के मोड़ पर पलटा ट्रैक्टर, 5 बच्चों के पिता की दर्दनाक मौत!

शनिवार सुबह करीब 5:30 बजे, झारखंड के पलामू जिले के छतरपुर थाना क्षेत्र के डाली गांव से एक खबर आई जिसने दिल दहला दिया। 32 वर्षीय परदेशी भुइयां बालू गिराकर ट्रैक्टर से लौट रहे थे, तभी घाटी के एक तीखे मोड़ पर ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर पलट गया। इंजन के नीचे दबने से परदेशी की मौके पर ही मौत हो गई। वह पाटन थाना क्षेत्र के सकलदीपा गांव के निवासी थे।

मौत का घाट — घाटी में क्यों होता है इतना खतरा?

झारखंड के पहाड़ी इलाकों और घाटियों में भारी वाहनों की आवाजाही हमेशा से जोखिम भरी रही है। खासकर बालू और कोयले से लदे ट्रैक्टर या ट्रक जिनका संतुलन ज़रा सी चूक में बिगड़ सकता है। लेकिन सवाल यह भी है कि इन इलाकों में सुरक्षा उपाय क्यों नहीं किए जाते?

डाली गांव की जिस घाटी में यह हादसा हुआ, वहां पहले भी कई बार छोटे-बड़े वाहन पलटे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को इस मोड़ पर चेतावनी संकेत और बैरिकेड लगाने चाहिए थे, लेकिन हमेशा की तरह कार्रवाई किसी की मौत के बाद ही होती है।

ट्रैक्टर मालिक की बेरुखी पर उठे सवाल

जिस ट्रैक्टर से यह हादसा हुआ, वह पाटन थाना क्षेत्र के सतौवा निवासी जयंत पांडेय का बताया जा रहा है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि हादसे की सूचना मिलने के बाद भी ट्रैक्टर मालिक घटनास्थल पर नहीं पहुंचे, न ही मृतक के परिजनों से मिलने।

सतौवा पंचायत के मुखिया अखिलेश कुमार पासवान ने खुद मौके पर पहुंचकर इस बात की पुष्टि की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब मालिक रात भर ट्रैक्टर चलवा सकते हैं, तो दुर्घटना होने पर इंसानियत क्यों गायब हो जाती है?

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

परदेशी भुइयां के परिवार की हालत ऐसी है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। रोती-बिलखती पत्नी, पांच छोटे-छोटे बच्चे — जिनमें से कोई भी छह साल से ऊपर नहीं — और घर का एकमात्र कमाने वाला चला गया।

यह केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि एक परिवार का सामाजिक और आर्थिक पतन है।

इतिहास की ओर झांकें तो…

झारखंड और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में ट्रैक्टर दुर्घटनाओं का इतिहास काफी लंबा है। 2018 में गढ़वा जिले में भी एक ट्रैक्टर दुर्घटना में चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2021 में चतरा जिले में बालू लदे ट्रैक्टर के पलटने से दो किशोरों की जान गई थी।

इन घटनाओं से एक पैटर्न साफ झलकता है — अनियमित शिफ्ट, नींद की कमी और ओवरलोडिंग, जो कि दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह बनते हैं।

कब जागेगा सिस्टम?

क्या प्रशासन अब भी केवल पंचनामा बनाकर, केस दर्ज कर, फाइलें बंद कर देगा? या इस बार कोई स्थायी समाधान निकलेगा? क्या घाटियों के मोड़ों पर चेतावनी बोर्ड और ड्राइवरों के लिए सुरक्षा प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाएगा?

यह घटना केवल पलामू या डाली गांव की नहीं, बल्कि देश के हर उस क्षेत्र की है जहां मज़दूर वर्ग रात-दिन पसीना बहाकर पेट पालता है और बदले में सिर्फ खामोशी में दफन हो जाता है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।