Chaibasa Illegal Mining: मधु कोड़ा ने पकड़ी 6 ट्रकों की अवैध लोहा तस्करी, सरकार पर उठाए गंभीर सवाल
चाईबासा में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने नोवामुंडी क्षेत्र में 6 ट्रकों में लदे अवैध लोहा को पकड़ा। सरकार और प्रशासन की चुप्पी पर उठाए सवाल, अवैध खनन के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी।

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में एक बार फिर अवैध खनन का जिन्न बोतल से बाहर आ गया है — और इस बार पर्दाफाश किया है राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड के जमीनी नेता मधु कोड़ा ने। नोवामुंडी क्षेत्र में छिपकर चल रही लोहा तस्करी की परतें तब खुलीं, जब कोड़ा ने स्थानीय सूचनाओं और मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर त्वरित कार्रवाई की।
हाल ही में नोवा मेटल्स कंपनी के आस-पास के इलाकों में 6 ट्रकों में लदे अवैध आयरन स्लैग को जब्त किया गया। ट्रक चालकों के पास कोई वैध कागजात नहीं थे। शक गहराया और कोड़ा ने तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। कार्रवाई हुई, ट्रक जब्त हुए और एक बार फिर यह साफ हो गया कि झारखंड में प्राकृतिक संसाधनों की लूट बदस्तूर जारी है।
क्या झारखंड बनता जा रहा है खनन माफियाओं का अड्डा?
झारखंड की खनिज संपदा, खासकर आयरन ओर, बालू और कोयले की भरमार है। लेकिन जिस तरह सरकारी खामोशी में यह खनिज संपदा माफिया के हाथों बिक रही है, वह न सिर्फ राज्य के राजस्व को नुकसान पहुंचा रही है बल्कि स्थानीय आदिवासियों की जमीन, जल और जंगल पर भी गहरी चोट कर रही है।
मधु कोड़ा ने इस पूरे मामले को एक बड़े षड्यंत्र की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि यह घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। क्षेत्र में नियमित रूप से अवैध खनन, बालू तस्करी, लकड़ी की कटाई और अब लोहा चोरी हो रही है। और यह सब कुछ सरकारी नाक के नीचे।
सरकार की चुप्पी, जनता की चिंता
झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस की सरकार जब सत्ता में आई थी, तो जल, जंगल और जमीन की रक्षा का वादा किया गया था। लेकिन मधु कोड़ा की मानें तो अब वही सरकार अवैध खनन पर मौन साधे बैठी है। जनता जहां बंद पड़ी खदानों को फिर से चालू करने की मांग कर रही है, वहीं सरकारी तंत्र अवैध कारोबारियों को खुली छूट दे रहा है।
आंदोलन की चेतावनी
मधु कोड़ा ने चेताया है कि अगर सरकार ने अब भी आंखें मूंदे रखीं, तो भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर आंदोलन छेड़ेंगे। यह आंदोलन केवल अवैध उत्खनन के खिलाफ नहीं होगा, बल्कि यह एक व्यापक संघर्ष होगा जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा, “हमारी लड़ाई आखिरी सांस तक चलेगी। हम इस राज्य को खनन माफियाओं के हवाले नहीं छोड़ सकते। सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ अब निर्णायक मोर्चा खोलने का समय आ गया है।”
क्या यह सिर्फ खनन का मामला है?
इस मुद्दे का दूसरा पहलू राजनीतिक भी है। कोड़ा झारखंड की राजनीति के ऐसे चेहरे हैं जो सत्ता से बाहर रहकर भी जनहित के मुद्दों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। 2006 में झामुमो के टूटने के बाद उन्होंने अपनी अलग राह बनाई और मुख्यमंत्री बने। उन्होंने हमेशा झारखंड के आदिवासी समुदाय और संसाधनों की रक्षा को अपनी प्राथमिकता में रखा।
आज जब वे लोहा चोरी जैसे गंभीर मुद्दे पर प्रशासन को घेर रहे हैं, तो यह सिर्फ एक अवैध ट्रांसपोर्ट का मामला नहीं बल्कि पूरे राज्य की नीति, राजनीति और नियत पर सवाल है।
चाईबासा और नोवामुंडी में जो हो रहा है, वह सिर्फ खनिज तस्करी नहीं, बल्कि एक बड़े प्रशासनिक और राजनीतिक विफलता का प्रतिबिंब है। जब तक नेता, जनता और मीडिया सजग नहीं होंगे, तब तक झारखंड के जंगलों से लेकर उसके खदानों तक, लूट की यह कहानी यूं ही चलती रहेगी। मधु कोड़ा का यह कदम इस दिशा में एक चेतावनी है — अब और चुप्पी नहीं, अब आवाज उठानी ही होगी।
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