Donald Trump का Nobel Peace Prize का सपना: भारत-पाक, रूस-यूक्रेन, और इजराइल-ईरान युद्धों में दखल, लेकिन क्या मिलेगा सम्मान?

डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की चाहत ने दुनिया का ध्यान खींचा है। भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन, और इजराइल-ईरान युद्धों में उनकी भूमिका को लेकर दावे और विवाद सुर्खियों में हैं। क्या ट्रंप को मिलेगा यह प्रतिष्ठित पुरस्कार? जानें पूरी कहानी।

Aug 18, 2025 - 11:00
Aug 18, 2025 - 11:04
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Donald Trump का Nobel Peace Prize का सपना: भारत-पाक, रूस-यूक्रेन, और इजराइल-ईरान युद्धों में दखल, लेकिन क्या मिलेगा सम्मान?
Donald Trump का Nobel Peace Prize का सपना: भारत-पाक, रूस-यूक्रेन, और इजराइल-ईरान युद्धों में दखल, लेकिन क्या मिलेगा सम्मान?

ट्रंप का नोबेल सपना - शांति दूत या प्रचार की चाल?

20 जनवरी 2025 को अपने दूसरे कार्यकाल की शपथ लेने के बाद से, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक मंच पर एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस बार चर्चा का केंद्र उनका नोबेल शांति पुरस्कार की ओर बढ़ता कदम है। ट्रंप और उनके प्रशासन का दावा है कि उन्होंने छह महीनों में छह बड़े वैश्विक संघर्षों को समाप्त कराया, जिनमें भारत-पाकिस्तान तनाव (2025 कश्मीर संकट), रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-ईरान संघर्ष (12-दिवसीय युद्ध), रवांडा-कांगो समझौता, थाईलैंड-कंबोडिया युद्धविराम, और आर्मेनिया-अजरबैजान शांति संधि शामिल हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने तो यह तक कहा कि ट्रंप हर महीने औसतन एक शांति समझौता करा रहे हैं, और अब समय है कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाए। लेकिन क्या ये दावे पूरी तरह सच हैं? आइए, गहराई से पड़ताल करें।

2025 कश्मीर संकट: भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम:



मई 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर में हिंसा भड़की, जिसे 1971 के बाद का सबसे खतरनाक तनाव माना गया। दोनों परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया को चिंता में डाल दिया था। 8 मई को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि यह युद्धविराम उनकी मध्यस्थता का नतीजा था। उन्होंने कहा, “हमने एक रात की लंबी बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान को युद्ध रोकने के लिए राजी किया।” पाकिस्तान ने भी इस दावे का समर्थन किया, और उनके उप-प्रधानमंत्री इशाक डार ने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया, उनकी “निर्णायक कूटनीतिक भूमिका” की तारीफ करते हुए।लेकिन भारत ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया। विदेश सचिव विक्रम मिश्रा ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधी बातचीत का परिणाम था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में कहा, “किसी भी विश्व नेता ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर रोकने को नहीं कहा।” यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए आतंकी हमले (26 नागरिकों की मौत) के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। ट्रंप के बार-बार दावों के बावजूद, भारत का रुख साफ है कि यह द्विपक्षीय समझौता था।

रूस-यूक्रेन युद्ध:

 

ट्रंप का 24 घंटे का वादा
रूस और यूक्रेन के बीच 2022 से चल रहा युद्ध 2025 में भी अनसुलझा रहा। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में दावा किया था कि वह राष्ट्रपति बनते ही 24 घंटे में इस युद्ध को खत्म कर देंगे। हालांकि, बाद में उन्होंने इसे “रूपक” बताया। अगस्त 2025 तक, ट्रंप रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अलास्का में एक शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहे थे, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी शामिल होने वाले थे। ट्रंप का कहना है कि वह इस युद्ध में “हत्याओं” को रोकना चाहते हैं। लेकिन उनकी इस कोशिश को कई आलोचनाएं भी मिलीं। यूक्रेन के सांसद ओलेक्सांद्र मेरेज़्को ने पहले ट्रंप को नोबेल के लिए नामांकित किया था, लेकिन जून 2025 में उन्होंने अपना समर्थन वापस ले लिया, यह कहते हुए कि ट्रंप ने अपने वादों को पूरा नहीं किया और रूस पर प्रतिबंध लगाने में नरमी बरती। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने ट्रंप पर रूस के प्रति “नरम रवैया” अपनाने का आरोप लगाया, जिससे यूक्रेन की संप्रभुता खतरे में पड़ सकती है।

इजराइल-ईरान संघर्ष:

 

12-दिवसीय युद्ध
जून 2025 में इजराइल और ईरान के बीच 12-दिवसीय युद्ध छिड़ा, जब इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। जवाब में ईरान ने रॉकेट दागे, और अमेरिका ने भी ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हवाई हमले किए। ट्रंप ने इस युद्ध में युद्धविराम की घोषणा की, जिसे उनकी एक बड़ी उपलब्धि माना गया। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जुलाई 2025 में ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया, और व्हाइट हाउस में एक पत्र सौंपकर कहा, “आप इस सम्मान के हकदार हैं।”लेकिन इस उपलब्धि पर भी सवाल उठे। ट्रंप ने इजराइल के गाजा में सैन्य अभियानों का समर्थन किया, जिसे कई लोग “नरसंहार” और “जातीय सफाई” का कारण मानते हैं। अमेरिका द्वारा ईरान पर हमले, जो युद्धविराम वार्ता के दौरान हुए, ने उनकी “शांति दूत” की छवि को धक्का पहुंचाया। पाकिस्तान, जो पहले ट्रंप का समर्थन कर रहा था, ने इन हमलों की निंदा की और इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया।

अन्य संघर्ष और ट्रंप की भूमिकाट्रंप ने रवांडा-कांगो, थाईलैंड-कंबोडिया, और आर्मेनिया-अजरबैजान जैसे संघर्षों में भी मध्यस्थता का दावा किया। रवांडा और कांगो के बीच शांति संधि, थाईलैंड-कंबोडिया युद्धविराम, और आर्मेनिया-अजरबैजान की शांति संधि को ट्रंप की कूटनीति की जीत बताया गया। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने ट्रंप को नोबेल के लिए नामांकित किया। कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने भी थाईलैंड-कंबोडिया युद्धविराम के लिए ट्रंप का समर्थन किया।

क्या ट्रंप नोबेल के हकदार हैं?

नोबेल शांति पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो “राष्ट्रों के बीच भाईचारे, सेनाओं के हथियार कम करने, और शांति सम्मेलनों को बढ़ावा देने” में असाधारण योगदान देते हैं। ट्रंप के समर्थन में कई नेता सामने आए हैं:

  • पाकिस्तान: भारत-पाक युद्धविराम के लिए नामांकन।
  • इजराइल: नेतन्याहू ने इजराइल-ईरान युद्धविराम के लिए समर्थन किया।
  • कंबोडिया: थाईलैंड-कंबोडिया युद्धविराम के लिए।
  • आर्मेनिया और अजरबैजान: शांति संधि के लिए।
  • रवांडा और गैबॉन: मध्य अफ्रीका में शांति प्रयासों के लिए।
  • अमेरिकी नेता: सांसद बडी कार्टर, क्लाउडिया टेनी, सीनेटर बर्नी मोरेनो, मार्शा ब्लैकबर्न, और कई अन्य।
  • हिलेरी क्लिंटन: रूस-यूक्रेन युद्ध बिना क्षेत्रीय नुकसान के खत्म होने पर सशर्त समर्थन।

लेकिन कई कमियां भी हैं। भारत ने उनके दावों को खारिज किया, और ईरान पर हमले ने उनकी शांति की छवि को कमजोर किया। यूक्रेन में कोई ठोस परिणाम नहीं मिला, और गाजा में इजराइल का समर्थन विवादास्पद रहा। जॉन बोल्टन जैसे आलोचकों का कहना है कि ट्रंप का नोबेल का सपना निजी महत्वाकांक्षा और बराक ओबामा से तुलना से प्रेरित है।

क्या कहते हैं आलोचक?
ट्रंप के दावों पर सवाल उठाने वालों में भारत, यूक्रेन, और कई विश्लेषक शामिल हैं। भारत ने साफ किया कि युद्धविराम में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। यूक्रेन के मेरेज़्को ने समर्थन वापस लिया, और पाकिस्तान ने ईरान हमलों की निंदा की। कई लोग मानते हैं कि ट्रंप का प्रचार अभियान नोबेल को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।