Deoghar Accident: छुट्टी में घर लौट रहे जवान की सड़क पर दर्दनाक मौत, रहस्य बना रहा टक्कर मारने वाला वाहन

देवघर के मोहनपुर में छुट्टी लेकर घर लौट रहे पुलिस जवान नीलमणि पासवान की सड़क हादसे में मौत, अज्ञात वाहन की टक्कर से हुई घटना ने उठाए सुरक्षा पर सवाल।

May 2, 2025 - 14:10
May 2, 2025 - 14:21
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Deoghar Accident: छुट्टी में घर लौट रहे जवान की सड़क पर दर्दनाक मौत, रहस्य बना रहा टक्कर मारने वाला वाहन
Deoghar Accident: छुट्टी में घर लौट रहे जवान की सड़क पर दर्दनाक मौत, रहस्य बना रहा टक्कर मारने वाला वाहन

झारखंड के देवघर जिले में गुरुवार की देर रात एक दिल दहला देने वाली सड़क दुर्घटना में पुलिस विभाग ने अपना एक ईमानदार और समर्पित सिपाही खो दिया। मोहनपुर थाना क्षेत्र के चोपा मोड़ के पास अज्ञात वाहन की चपेट में आकर जैप जवान नीलमणि पासवान की मौत हो गई। हादसे के बाद घटनास्थल पर सन्नाटा पसर गया और परिवार में मातम छा गया।

छुट्टी लेकर घर लौट रहे थे, नहीं जानते थे ये सफर आखिरी होगा
36 वर्षीय नीलमणि पासवान मूलतः देवघर के महेशमारा के रहने वाले थे, लेकिन वर्तमान में गोड्डा जिले में तैनात थे। वर्ष 2011 में उन्होंने झारखंड आर्म्ड पुलिस (JAP) में योगदान दिया था और अपनी ईमानदारी व सेवा भाव के लिए वे हमेशा सहकर्मियों के बीच चर्चित रहे। गुरुवार को वह छुट्टी लेकर अपने घर लौट रहे थे। लेकिन किसे पता था कि यह सफर उनकी जिंदगी का अंतिम सफर साबित होगा।

चोपा मोड़ बना मौत का मोड़
जानकारी के मुताबिक, जब नीलमणि अपनी बाइक से घर की ओर लौट रहे थे, तब देर रात चोपा मोड़ के पास एक तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने उनकी बाइक में जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि जवान सड़क पर कई मीटर दूर जा गिरे और गंभीर रूप से घायल हो गए।

स्थानीय लोगों की तत्परता, पर वक्त हार गया
स्थानीय लोगों ने घायल नीलमणि को देखकर तुरंत मोहनपुर थाना पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची और एंबुलेंस की मदद से उन्हें देवघर सदर अस्पताल भेजा गया। लेकिन समय पर इलाज नहीं मिल सका और डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। एक सिपाही जो हमेशा लोगों की जान बचाने में तत्पर रहता था, खुद किसी की मदद का मोहताज बनकर इस दुनिया से चला गया।

पुलिस लाइन में दी गई अंतिम सलामी
शुक्रवार की सुबह नीलमणि पासवान के शव को पोस्टमार्टम के बाद देवघर पुलिस लाइन लाया गया, जहां उन्हें पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और जवानों ने अंतिम सलामी दी। इस दौरान माहौल गमगीन रहा। उनके शव के सामने नतमस्तक होकर हर कोई यही सोचता रहा कि आखिर उस अज्ञात वाहन का कोई सुराग अब तक क्यों नहीं मिला।

दो बच्चों का सहारा छिना, परिवार में मातम
नीलमणि पासवान अपने पीछे पत्नी, एक बेटा और एक बेटी को छोड़ गए हैं। परिवार अब बेसहारा महसूस कर रहा है। बच्चों की मासूम आंखों में सवाल हैं—"पापा अब कब आएंगे?" लेकिन जवाब में सिर्फ सन्नाटा है। रिश्तेदार, मोहल्ले वाले और जिले के कांग्रेस अध्यक्ष उदयप्रकाश समेत कई लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और शोक व्यक्त किया।

इतिहास की पुनरावृत्ति या लापरवाही की गूंज?
यह कोई पहली घटना नहीं है। झारखंड के विभिन्न जिलों में ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं, जहां रात के अंधेरे में अज्ञात वाहन निर्दोष लोगों की जान ले जाते हैं और बाद में पुलिस केवल "जांच जारी है" का बयान देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल देती है। ऐसे में सवाल उठता है—क्या पुलिसकर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर है कि एक जवान भी रात में सुरक्षित घर नहीं लौट सकता?

प्रशासन पर उठते सवाल
इस हादसे ने एक बार फिर सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खोल दी है। आखिर क्यों नहीं ऐसे संवेदनशील मोड़ों पर पर्याप्त प्रकाश, सीसीटीवी कैमरे और ट्रैफिक कंट्रोल की व्यवस्था होती? और कब तक आम जनता और यहां तक कि पुलिसकर्मी भी सड़क दुर्घटनाओं के शिकार बनते रहेंगे?


नीलमणि पासवान की मौत केवल एक दुर्घटना नहीं, एक चेतावनी है। यह घटना हमें झकझोरती है कि सिस्टम में कहीं न कहीं बहुत बड़ी चूक है। एक जवान जो ड्यूटी निभाने के बाद घर लौट रहा था, अब खुद न्याय की उम्मीद में ‘फाइल’ बन गया है।
क्या प्रशासन अब भी सोता रहेगा, या कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।