Ratu Abduction: नाबालिग के साथ बर्बरता की कहानी, जिसने झारखंड को हिला दिया
रातू थाना क्षेत्र में 12 साल की बच्ची के साथ हैवानियत, अपहरण और दुष्कर्म की सनसनीखेज घटना। जानिए कैसे आरोपियों ने वीरान मकान में 6 घंटे तक किया अत्याचार, वीडियो बनाकर दी धमकी, और पुलिस की जांच में क्या है नया अपडेट।
रातू थाना क्षेत्र (झारखंड) के डंडई-हेहल मार्ग से 16 अप्रैल की रात एक ऐसी घटना हुई, जो न सिर्फ़ इंसानियत को शर्मसार करती है, बल्कि समाज के सामने सवाल खड़े कर देती है। 12 साल की एक मासूम बच्ची को शादी समारोह से लौटते वक्त दो युवकों ने अगवा कर लिया। उसे वीरान मकान में ले जाकर 6 घंटे तक यातनाएं दी गईं, बलात्कार किया गया, और वीडियो बनाकर वायरल की धमकी दी गई। यह घटना न सिर्फ़ रातू बल्कि पूरे राज्य में सनसनी फैला रही है।
क्या हुआ था उस रात?
पीड़िता अपनी भाभी के साथ शादी समारोह में गई थी। रात करीब 11 बजे, जब वह अकेले घर लौट रही थी, तभी जामुनटोली निवासी सागर उरांव (चंपा उरांव का बेटा) और दीपक उरांव (रवि उरांव का बेटा) ने उसे जबरन बाइक पर बैठा लिया। दोनों ने उसे गांव के बाहर एक वीरान एस्बेस्टस के मकान में ले जाकर ताला लगा दिया।
6 घंटे का काला सच
आरोपियों ने न सिर्फ़ बच्ची के साथ बलात्कार किया, बल्कि उसे मारपीट करते हुए वीडियो भी बनाया। सागर ने उस पर हवस की हदें पार कीं, जबकि दीपक ने वीडियो बनाकर धमकी दी: "अगर किसी को बताया तो यह वीडियो पूरे इंटरनेट पर वायरल कर देंगे।" पीड़िता ने बाथरूम जाने का बहाना बनाकर सुबह 4 बजे भागने में सफलता पाई और घर पहुंची।
परिवार का सदमा और पुलिस की कार्रवाई
अगली सुबह बच्ची के चेहरे पर डर और चुप्पी देखकर परिवार ने पूछताछ की। जब सच सामने आया, तो पिता ने रातू थाना में POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज कराया। पीड़िता का मेडिकल सदर अस्पताल में कराया गया, लेकिन आरोपी अभी तक फरार हैं। पुलिस का कहना है कि "टीम ने छापेमारी शुरू कर दी है, जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।"
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रातू का इतिहास: अपराध और न्याय का लंबा सफर
रातू थाना क्षेत्र झारखंड के उन इलाकों में शामिल है, जहां पिछले एक दशक में POCSO के मामले 40% बढ़े हैं। 2018 में यहां एक 14 साल की लड़की के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया था, जिसमें 3 आरोपियों को उम्रकैद हुई थी। हालांकि, इस नए मामले ने स्थानीय लोगों के मन में फिर से सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्यों ख़तरनाक है 'वीडियो वायरल' की धमकी?
आज डिजिटल युग में अपराधी पीड़ितों को ब्लैकमेल करने के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल करते हैं। झारखंड पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2023 में ऐसे 22% केस सामने आए, जहां आरोपियों ने वीडियो बनाकर पीड़ितों को चुप कराया। यह केस भी उसी रणनीति की ओर इशारा करता है।
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समाज क्या सीखे?
इस घटना ने सवाल उठाया है कि क्या सिर्फ़ कानून बनाने से बच्चों की सुरक्षा हो पाएगी? रातू जैसे ग्रामीण इलाकों में स्ट्रीट लाइट और पुलिस पेट्रोलिंग की कमी अक्सर अपराध को बढ़ावा देती है। स्थानीय नेता रामेश्वर उरांव कहते हैं, "हमें महिला सुरक्षा दस्ते और सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग पर जोर देना होगा।"
अब क्या है अगला कदम?
- पुलिस को आरोपियों के सोशल मीडिया और फोन डेटा की जांच करनी होगी।
- पीड़िता के परिवार को कानूनी सहायता और सुरक्षा मुहैया करानी होगी।
- स्थानीय स्कूलों में बाल सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम चलाने की ज़रूरत है।
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"Ratu Abduction" केस ने एक बार फिर साबित किया है कि नाबालिगों की सुरक्षा के लिए सिर्फ़ कानून नहीं, समाज की सक्रिय भागीदारी ज़रूरी है। जब तक आरोपियों को सज़ा नहीं मिलती, तब तक यह केस झारखंड की न्याय प्रणाली पर सवाल बना रहेगा।
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