Ranchi Cyber Crime : धान बेचकर जमा की पूंजी 3.26 लाख ऐसे उड़ाए, जानिए पूरी कहानी
धुर्वा के चुम्डा पूर्ति के दो बैंक खातों से साइबर अपराधियों ने 3.26 लाख रुपये उड़ा लिए। यह रकम उन्होंने मेहनत से जमा की थी। जानिए कैसे साइबर अपराध ने एक वृद्ध को शिकार बनाया।
धुर्वा के एचइसी सेक्टर-एक में रहने वाले 81 वर्षीय चुम्डा पूर्ति के साथ हाल ही में एक सनसनीखेज साइबर अपराध हुआ। इस मामले में साइबर अपराधियों ने उनके दो बैंक खातों से 3.26 लाख रुपये उड़ा लिये। यह रकम चुम्डा ने अपनी मेहनत से, गांव में धान बेचकर जमा की थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि आठ मार्च को वह अपने पैतृक गांव पश्चिम सिंहभूम के नोवामुंडी गये थे। वहां से बगल के गांव में आयोजित मागे पर्व में शामिल होने गए थे। इसी दौरान उनका फोन गुम हो गया। अगले दिन उन्होंने नया फोन खरीदा और पुराने नंबर का एयरटेल सिम फिर से ले लिया। लेकिन कुछ दिन बाद अचानक उनका फोन बंद हो गया। जब उन्होंने कंपनी से संपर्क किया, तो यह जानकारी मिली कि उनका नंबर जियो नेटवर्क में पोर्ट हो चुका है।
यह जानकर वह सकते में आ गए। इसके बाद उन्होंने पीएनबी और एसबीआइ के खातों की जांच कराई और पाया कि उनके दोनों खातों से साइबर अपराधियों ने 3.26 लाख रुपये की निकासी कर ली थी। यह रकम चुम्डा पूर्ति के लिए जीवन भर की कमाई थी, जिसे उन्होंने पूरे परिवार की भलाई के लिए जमा किया था। चुम्डा ने साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई है और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते मामलों का एक उदाहरण है, जो केवल बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब छोटे गांवों और कस्बों तक भी पहुंच चुका है। खासकर, जब इंटरनेट के माध्यम से बैंकिंग और अन्य सेवाओं का उपयोग बढ़ा है, ऐसे मामलों में साइबर अपराधियों के लिए राह आसान हो गई है।
भारत में साइबर अपराधों की बढ़ती संख्या ने लोगों को अपने व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। खासकर उन लोगों के लिए, जो डिजिटल दुनिया से पूरी तरह वाकिफ नहीं हैं। इसलिए, अपनी ऑनलाइन गतिविधियों के प्रति जागरूकता और सतर्कता बढ़ाना आज की जरूरत है।
इतिहास में पहले भी ऐसे कई मामलों ने सुरक्षा और गोपनीयता की समस्या को उजागर किया है। खासकर 21वीं सदी में, जब इंटरनेट और स्मार्टफोन का उपयोग आम हो गया है, साइबर अपराधों का खतरा और भी बढ़ गया है। यह घटना यह दिखाती है कि साइबर अपराधी किसी भी व्यक्ति को अपना शिकार बना सकते हैं, चाहे वह किसी छोटे गांव का निवासी क्यों न हो।
चुम्डा पूर्ति का यह अनुभव, हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें अपनी डिजिटल सुरक्षा के प्रति कितना गंभीर होना चाहिए। यह भी हमें यह याद दिलाता है कि साइबर अपराधियों के खिलाफ लड़ाई में केवल सरकारी एजेंसियां ही नहीं, बल्कि आम नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, चुम्डा पूर्ति ने भी सरकार से अपील की है कि उनके पैसे वापस किए जाएं, ताकि उनके परिवार की स्थिति बेहतर हो सके। यह घटना दिखाती है कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन चुकी है, जिसे हर किसी को समझना और अपनाना होगा।
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