Chhattisgarh Naxal Surrender : छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य इलाके में 208 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण, लोकतंत्र की जीत, 110 महिलाएं शामिल, सरेंडर के बाद सौंपे AK-47 समेत 153 घातक हथियार
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ एक ऐतिहासिक सफलता मिलते हुए दंडकारण्य इलाके में 208 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 110 महिलाएं शामिल हैं। सरेंडर के दौरान उन्होंने 19 AK-47 समेत 153 हथियार सौंपे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे गर्व का दिन बताया।
छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य के जंगलों में दशकों से फैलता चला आ रहा लाल आतंक अब अपने सबसे बड़े पतन के दौर से गुजर रहा है। शुक्रवार को राज्य ने नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक ऐतिहासिक सफलता दर्ज की, जब रिकॉर्ड तोड़ संख्या में 208 नक्सलियों ने लोकतंत्र और संविधान पर विश्वास जताते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में एक बड़ी संख्या 110 महिला नक्सलियों की है, जो दिखाती है कि नक्सल संगठनों की जड़ें कितनी तेजी से कमजोर हो रही हैं।
छत्तीसगढ़ का इतिहास खून-खराबे और संघर्ष से भरा रहा है, जहां नक्सलियों के हमलों में हजारों सुरक्षाकर्मी और निर्दोष ग्रामीण अपनी जान गंवा चुके हैं। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में नक्सलियों का मुख्यधारा में लौटना सिर्फ एक खबर नहीं है, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार की नई रणनीतियों की बड़ी जीत है।
AK-47 से एसएलआर तक: सौंपे गए घातक हथियार
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने अपने साथ जो घातक हथियार सौंपे हैं, वे इस बात का प्रमाण हैं कि ये लोग कितने खतरनाक थे। कुल 153 हथियार अधिकारियों को सौंपे गए, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
-
19 AK-47 राइफल
-
17 SLR (सेल्फ-लोडिंग राइफल)
-
23 इंसास राइफल और 1 इंसास LMG
-
36 .303 राइफल
-
4 कार्बाइन और 11 BGL लॉन्चर
ये हथियार नक्सली हिंसा और राज्य के खिलाफ लड़ने के लिए इस्तेमाल होते थे। इतनी बड़ी संख्या में हथियारों का सरकारी हाथों में आना नक्सली संगठनों की सैन्य शक्ति के लिए एक गंभीर क्षति है।
उत्तर बस्तर लगभग नक्सल मुक्त, अब दक्षिण पर नजर
इस आत्मसमर्पण को राज्य के नक्सल विरोधी अभियान की एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
-
क्षेत्रीय विजय: अधिकारियों ने दावा किया है कि इस बड़े आत्मसमर्पण के बाद उत्तर बस्तर क्षेत्र लगभग नक्सल मुक्त हो चुका है। यह सुरक्षाबलों की लगातार कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास नीतियों का मिला-जुला परिणाम है।
-
अगली चुनौती: अब सुरक्षाबलों का पूरा ध्यान दक्षिण बस्तर के उन इलाकों पर केंद्रित होगा, जो अभी भी नक्सल प्रभावित हैं, ताकि पूरे राज्य को पूरी तरह से लाल आतंक से आज़ाद कराया जा सके।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इसे 'ऐतिहासिक दिन' बताते हुए कहा, “आज न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का दिन है। बड़ी संख्या में नक्सली अब संविधान और लोकतंत्र में विश्वास जताते हुए विकास की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। उनका स्वागत है। ”
आत्मसमर्पण करने वाले इन सभी 208 नक्सलियों को राज्य सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा, जिससे उन्हें एक सामान्य और सम्मानजनक जीवन शुरू करने का मौका मिलेगा। यह घटना दिखाती है कि हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति और विकास की ओर लौटना ही एकमात्र सही मार्ग है।
आपकी राय में, नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने और भविष्य में युवाओं को इस राह पर जाने से रोकने के लिए सुरक्षाबलों की कार्रवाई के अलावा सरकार को विकास और शिक्षा के क्षेत्र में कौन से दो सबसे बड़े और बुनियादी कदम उठाने चाहिए?
What's Your Reaction?


