Bihar Election 2025 Tension : तेजस्वी के सामने फीके पड़े हेमंत के सुर! क्यों JMM ने बिहार चुनाव से मारी पल्टी, क्या राहुल नहीं चाहते थे चुनाव लड़े?

बिहार चुनाव से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का ऐतिहासिक एक्जिट! राजद और कांग्रेस ने 5 सीटों के वादे को तोड़ा, हेमंत सोरेन नाराज। जानें क्यों राहुल गांधी की चुप्पी बन गई आखिरी कील?

Oct 22, 2025 - 19:36
 0
Bihar Election 2025 Tension : तेजस्वी के सामने फीके पड़े हेमंत के सुर! क्यों JMM ने बिहार चुनाव से मारी पल्टी, क्या राहुल नहीं चाहते थे चुनाव लड़े?
Bihar Election 2025 Tension : तेजस्वी के सामने फीके पड़े हेमंत के सुर! क्यों JMM ने बिहार चुनाव से मारी पल्टी, क्या राहुल नहीं चाहते थे चुनाव लड़े?

पटना/रांची: बिहार की सियासत में आज एक ऐसा भूचाल आया है जिसने महागठबंधन की नींव हिला कर रख दी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार विधानसभा चुनाव से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है, और यह फैसला तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर भारी पड़ता दिख रहा है!

"5 सीटों का वादा हुआ था, मगर राजद-कांग्रेस ने तोड़ा विश्वास"

JMM के नगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने सोमवार को एक जोरदार प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि 7 अक्टूबर को पटना में हुई वार्ता में JMM को 5 सीटें देने पर सहमति बनी थी। लेकिन आखिरी वक्त पर महागठबंधन ने अपना वादा तोड़ दिया। उन्होंने कहा, "यह महज सीटों का मामला नहीं, गठबंधन धर्म का सवाल है। राजद पूरी तरह जिम्मेदार है, और कांग्रेस की चुप्पी भी उतनी ही दोषी है।"

क्या राहुल गांधी नहीं चाहते थे JMM का चुनाव लड़ना?

सवाल यह उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी और कांग्रेस की उच्च कमान JMM को बिहार में मजबूत होते नहीं देखना चाहती थी? JMM के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने इस पूरे मामले में कोई मदद नहीं की, बल्कि चुप्पी साधे रखी। क्या यह कांग्रेस की वही रणनीति है जो पश्चिम बंगाल में चिरंजीवी के साथ अपनाई गई थी?

हेमंत सोरेन का राजनीतिक कद बड़ा हुआ या छोटा?

JMM के इस फैसले से हेमंत सोरेन की छवि को क्या फायदा हुआ? एक तरफ जहां उन्होंने पार्टी के सम्मान के लिए बिहार जैसे बड़े राज्य की राजनीति से किनारा कर लिया, वहीं दूसरी ओर उनके राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं पर इसका क्या असर पड़ेगा? क्या हेमंत सोरेन अब तेजस्वी यादव से एक कदम आगे निकल गए हैं?

तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ीं!

JMM के बाहर निकलने से तेजस्वी यादव की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। JMM बिहार के कोईी-संथाल इलाकों में अपना अच्छा प्रभाव रखता है। क्या तेजस्वी अब इन सीटों पर BJP के सामने टिक पाएंगे? क्या यह फैसला महागठबंधन की हार का कारण बनेगा?

2015 से जारी है धोखे का सिलसिला!

JMM ने याद दिलाया कि उसने 2015 के चुनाव में राजद की मदद की थी। 2020 में 3 सीटों के वादे को भी राजद ने पूरा नहीं किया। वहीं 2024 के झारखंड चुनाव में JMM ने राजद और कांग्रेस को पूरा समर्थन दिया। लेकिन बदले में उसे लगातार धोखा ही मिला।

अब क्या होगा? झारखंड की सरकार भी खतरे में?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह फैसला झारखंड की महागठबंधन सरकार पर भी असर डालेगा? JMM नेता ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि "पार्टी संगठन महागठबंधन के क्रियाकलापों की समीक्षा करेगा।" क्या हेमंत सोरेन केंद्र में BJP के साथ नए समीकरण बनाने की ओर बढ़ रहे हैं?

JMM का यह कदम बिहार की राजनीति में एक बड़ा वैक्युम पैदा करेगा। क्या तेजस्वी यादव इस झटके से उबर पाएंगे? क्या राहुल गांधी अब JMM को मनाने की कोशिश करेंगे? या फिर यह महागठबंधन के टूटने का पहला बड़ा संकेत है?

एक बात तय है: बिहार का यह चुनाव अब और भी रोमांचक हो गया है! हमारे साथ बने रहिए, क्योंकि यह स्टोरी अभी और भी गर्म होने वाली है!

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।