Ranchi Raid: रात के अंधेरे में प्लेटफॉर्म पर पकड़े गए शराब तस्कर! झारखंड से बिहार लेकर जा रहे थे हजारों की सिग्नेचर व्हिस्की!
आरपीएफ पोस्ट रांची ने ऑपरेशन सतर्क के तहत रांची रेलवे स्टेशन से दो संदिग्ध युवकों (कनहैया कुमार और अविनाश कुमार) को गिरफ्तार किया है। दोनों बेगूसराय, बिहार के रहने वाले हैं और उनके बैग से करीब 25,800 रुपये की 22 बोतल सिग्नेचर व्हिस्की बरामद हुई है। वे बिहार में ऊंचे दाम पर शराब बेचने जा रहे थे।
रांची रेलवे स्टेशन, जो झारखंड और बिहार के बीच एक प्रमुख सेतु का काम करता है, वह अक्सर अंतरराज्यीय अपराधियों के लिए एक आसान रास्ता बन जाता है। लेकिन झारखंड आरपीएफ (रेलवे सुरक्षा बल) की सतर्कता ने एक ऐसे ही अंतरराज्यीय शराब तस्करी के प्रयास को विफल कर दिया है। आरपीएफ पोस्ट रांची द्वारा 'ऑपरेशन सतर्क' के तहत चलाए जा रहे सघन अभियान के दौरान देर रात यह बड़ी गिरफ्तारी हुई।
संदिग्ध बैग ने खोला तस्करी का राज
देर रात रांची रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या 1 पर आरपीएफ की नजर दो युवकों पर पड़ी, जो भारी भरकम पिट्ठू बैग के साथ संदिग्ध हालत में घूम रहे थे। उनके हाव-भाव संदिग्ध लगने पर आरपीएफ ने उन्हें रोककर पूछताछ शुरू की। शुरुआत में युवकों ने बैग में सिर्फ शराब होने की बात कही, लेकिन जब जांच की गई, तो सामान और उसकी मात्रा ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया।
जांच में दोनों बैग से कुल 22 बोतल सिग्नेचर व्हिस्की बरामद हुई, जिसका अनुमानित मूल्य करीब 25,800 रुपये बताया गया। गिरफ्तार युवकों की पहचान कनहैया कुमार और अविनाश कुमार के रूप में की गई है। दोनों बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले हैं।
बिहार के शराबबंदी का फायदा उठाने की योजना
पूछताछ में दोनों अभियुक्तों ने स्वीकार किया कि वे झारखंड से यह शराब लेकर ट्रेन संख्या 18622 एक्सप्रेस से हथिदा, बिहार जा रहे थे। बिहार में लागू शराबबंदी कानून के चलते वहां शराब की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। इसी अंतर का फायदा उठाते हुए वे झारखंड से सस्ती शराब खरीदकर बिहार में ऊंचे दाम पर बेचकर अवैध मुनाफा कमाने की योजना बना रहे थे।
यह मामला एक बार फिर से यह साबित करता है कि बिहार में शराबबंदी के बाद से झारखंड और बिहार की सीमाओं पर ट्रेनों के माध्यम से अंतरराज्यीय शराब तस्करी का नेटवर्क कितना बढ़ गया है। आरपीएफ ने बरामद शराब को जब्त कर लिया है। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों अभियुक्तों को आगे की कार्रवाई और जांच के लिए आबकारी विभाग, रांची को सौंप दिया गया है। आबकारी विभाग अब इस बात की तफ्तीश करेगा कि क्या इस नेटवर्क के पीछे कोई बड़ा गैंग सक्रिय है और शराब किस स्रोत से खरीदी गई थी।
आपकी राय में, झारखंड से बिहार तक ट्रेनों के माध्यम से होने वाली अंतरराज्यीय शराब तस्करी को रोकने के लिए आरपीएफ और आबकारी विभाग को कौन से दो सबसे प्रभावी संयुक्त कदम उठाने चाहिए?
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