Bihar Election 2025 Effect : बिहार की चिंगारी से झारखंड में आग? JMM के बिहार चुनाव से हटने ने INDIA गठबंधन की एकता को किया चुनौतीपूर्ण

JMM ने RJD पर 'धूर्तता' का आरोप लगाते हुए बिहार चुनाव से कदम वापस लिया। इस विवाद के झारखंड में INDIA गठबंधन की एकता के लिए खतरा पैदा करने की आशंका। सीट साझेदारी विफलता और राजनीतिक अस्थिरता का विश्लेषण।

Oct 21, 2025 - 18:28
Oct 21, 2025 - 18:30
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Bihar Election 2025 Effect : बिहार की चिंगारी से झारखंड में आग? JMM के बिहार चुनाव से हटने ने INDIA गठबंधन की एकता को किया चुनौतीपूर्ण
Bihar Election 2025 Effect : बिहार की चिंगारी से झारखंड में आग? JMM के बिहार चुनाव से हटने ने INDIA गठबंधन की एकता को किया चुनौतीपूर्ण

पटना/रांची: बिहार के मैदानों में सुलगी एक राजनीतिक आग अब पड़ोसी राज्य झारखंड को अपनी लपेट में लेने की कगार पर है, जिससे विपक्षी INDIA गठबंधन में मौजूद गहरी दरारें सामने आई हैं। इसकी शुरुआत सीट साझेदारी की विफल वार्ताओं के बाद हुई, जिसके चलते झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपने सहयोगी, लालू प्रसाद यादव की राजद (RJD) पर "धूर्तता" का आरोप लगाया और बिहार विधानसभा चुनाव से पूरी तरह से अपना हाथ खींच लिया।

यह विवाद, जो अब आरोप-प्रत्यारोप के स्तर तक पहुँच चुका है, विपक्षी एकजुटता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है और एक महत्वपूर्ण सवाल पैदा करता है: क्या लालू प्रसाद यादव के साम्राज्य का विघटन छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथों से होगा?

चिंगारी: एक मंत्री का "अपमानजनक" बयान और एक पार्टी की आहत प्रतिष्ठा

यह टकराव तब ज़ोर पकड़ा जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी सहयोगी और JMM मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने राजद नेतृत्व पर जमकर हमला बोला। उन्होंने राजद नेताओं को "धूर्त" करार देते हुए, बिहार में JMM को किनारे करने की "राजनीतिक साजिश" का आरोप लगाया।

इस टिप्पणी पर राजद की ओर से तीखी और आहत प्रतिक्रिया सामने आई। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता कैलाश यादव ने इस बयान को "अत्यंत पीड़ादायक और अपमानजनक" बताते हुए इसकी निंदा की। उन्होंने राजद की ताकत का स्मरण कराते हुए इसे "बिहार की सबसे बड़ी और मजबूत पार्टी" बताया और आगामी चुनाव को राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन और NDA के बीच सीधी टक्कर के रूप में पेश किया।

कैलाश यादव ने कहा, "JMM और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हमारे दिल में हैं," गठबंधन धर्म और पार्टी के अभिमान के बीच संतुलन बनाते हुए, "लेकिन उनकी ही पार्टी के एक मंत्री द्वारा राजद नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल निंदनीय है।"

विवाद का केंद्र: वे छह सीटें जिन्होंने तोड़ा गठबंधन

इस सार्वजनिक कटुता के पीछे सीट साझेदारी पर हुई विफल बातचीत थी। JMM, झारखंड से बाहर अपनी मौजूदगी बढ़ाने के मकसद से, बिहार की कुछ चुनिंदा सीटों, खासकर जहाँ आदिवासी आबादी significant है, पर उम्मीदवार उतारने की मांग कर रहा था।

पार्टी ने शुरू में निम्नलिखित छह विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ने का इरादा जताया था:

1. चकाई

2. धमदाहा

3. कटोरिया (ST)

4. मनिहारी (ST)

5. जमुई

6. पिरपैंती (SC)

यह सूची, ST और SC आरक्षित सीटों पर केंद्रित, JMM का अपने मूल मतदाता आधार का लाभ उठाने का एक रणनीतिक कदम था। हालाँकि, बिहार INDIA ब्लॉक में वरिष्ठ भागीदार राजद और कांग्रेस इन सीटों को छोड़ने को तैयार नहीं थे। उनके नज़रिए से, एक दूसरे राज्य की क्षेत्रीय पार्टी को मुट्ठी भर सीटें देना भी, तब एक अस्वीकार्य समझौता है, जब वे एक मजबूत NDA के खिलाफ कड़ी टक्कर में हैं।

JMM के लिए, यह इनकार एक गंभीर अपमान जैसा था। पार्टी ने महसूस किया कि उसके साथ एक समान भागीदार जैसा व्यवहार नहीं किया जा रहा है, उसके प्रभाव को कम करके आंका जा रहा है और उसके नेतृत्व का अनादर हो रहा है। यह अनुभव किया गया अपमान ही मंत्री सोनू के विस्फोट और बाद में बिहार में चुनावी स्पर्धा से हटने के फैसले का कारण बना।

झारखंड पर प्रभाव: संकट में एक गठबंधन

हालाँकि, INDIA गठबंधन के लिए असली खतरा बिहार तक सीमित नहीं है। पटना से उठी यह चिंगारी सीधे रांची सत्ता के गलियारों में जा गिरी है। JMM ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि इसके परिणाम झारखंड में देखने को मिलेंगे।

सुदिव्य कुमार सोनू ने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी बिहार चुनाव के बाद झारखंड में कांग्रेस और राजद के साथ अपने गठबंधन की "समीक्षा" करेगी। यह हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार की स्थिरता के लिए एक सीधा खतरा है, जिसे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है और प्रतीकात्मक रूप से राजद का भी।

"अगर हमारे अपने सहयोगी बिहार में हमारे साथ इस तरह का अनादरजनक व्यवहार करेंगे, तो हम झारखंड में उनके साथ सहज साझेदारी कैसे जारी रख सकते हैं?" एक वरिष्ठ JMM नेता ने अनाम रहते हुए सवाल किया। "इस घटना ने अविश्वास के बीज बो दिए हैं।"

यह संभावित अस्थिरता भाजपा के लिए एक तोहफा साबित हो सकती है, जो झारखंड में मुख्य विपक्षी दल है। राज्य में एक कमजोर INDIA गठबंधन भाजपा को भविष्य में एक राजनीतिक संकट पैदा करने के लिए एक मुद्दा दे सकता है।

बड़ी तस्वीर: तेजस्वी का नेतृत्व और लालू की विरासत

यह संकट राजद के अविवादित चेहरे और बिहार में विपक्ष के नेता के रूप में तेजस्वी यादव की पहली बड़ी परीक्षा है। सवाल यह है कि क्या उनके रणनीतिक फैसले पार्टी को मजबूत कर रहे हैं या फिर अनजाने में उसके सबसे पुराने गठबंधनों को कमजोर कर रहे हैं।

JMM का गुस्सा किसी अमूर्त इकाई पर नहीं, बल्कि तेजस्वी के नेतृत्व में राजद के Functioning पर केंद्रित है। आलोचकों का तर्क है कि एक प्रमुख सहयोगी को स्थान दे पाने में उनकी अक्षमता राजनीतिक दूरदर्शिता की कमी को दर्शाती है। वहीं, उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने एक अहम चुनाव में राजद के मूल हितों की रक्षा के लिए एक मुश्किल लेकिन जरूरी फैसला लिया।

यह प्रकरण लालू प्रसाद यादव की विरासत पर भी सवाल खड़ा करता है, जिन्हें अक्सर सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के एक स्तंभ के रूप में देखा जाता है। जातियों और पार्टियों के एक विविध गठबंधन को एक साथ रखने की उनकी क्षमता पौराणिक थी। मौजूदा दरार इस ओर इशारा करती है कि मंडल-काल के गठबंधनों को जोड़ने वाला सार कमजोर पड़ रहा है और अगली पीढ़ी उस जादू को दोहराने के लिए संघर्ष कर रही है।

निष्कर्ष: क्या यह एक विडंबनापूर्ण जीत साबित होगी?

जैसे-जैसे धूल जमती जाएगी, राजद और कांग्रेस ने तात्कालिक चुनाव के लिए बिहार में अपनी सीटों को मजबूत करने में सफलता हासिल कर ली होगी। हालाँकि, यह एक विडंबनापूर्ण जीत (Pyrrhic Victory) साबित हो सकती है।

JMM की वापसी और उसके बाद की कड़वाहट ने INDIA गठबंधन की नाजुकता को उजागर कर दिया है। ब्लॉक के भीतर की अन्य छोटी क्षेत्रीय पार्टियों को सतर्क करने वाला यह संदेश गया है: कि बड़ी पार्टियाँ शायद समान रूप से सत्ता साझा करने को तैयार नहीं हैं।

"बिहार की चिंगारी" ने वास्तव में आग लगा दी है। चुनाव के बाद यह आग विपक्षी एकता को झारखंड और उससे आगे भी जलाती है या फिर शांत दिमागों द्वारा बुझा दी जाती है, यह INDIA गठबंधन का भविष्य तय करेगा। तेजस्वी यादव के लिए, अब लड़ाई सिर्फ बिहार में NDA के खिलाफ नहीं है; बल्कि यह साबित करने की भी है कि वह एक गठबंधन निर्माता हो सकते हैं, न कि सिर्फ अपने पिता की विरासत के उत्तराधिकारी। लालू के विशाल राजनीतिक साम्राज्य का विघटन शायद आसन्न नहीं है, लेकिन पहली दरारें निर्विवाद रूप से दिखाई दे रही हैं।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।