Ranchi Rages: दीपावली की रात खून की होली! रांची के बड़ा मुड़मु गांव में अखाड़ा में बैठे सोमा उरांव की गोली मारकर हत्या, क्या आपराधिक दुश्मनी बनी मौत का कारण?
झारखंड की राजधानी रांची के बड़ा मुड़मु गांव में दीपावली के अवसर पर हुई गोलीबारी में सोमा उरांव नामक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। सोमा का आपराधिक इतिहास रहा है और बताया जा रहा है कि उसके सहयोगी ने ही उसे गोली मारी। पुलिस और एफएसएल टीम जांच में जुटी है और आरोपी की तलाश जारी है।
दीपावली, रोशनी और खुशियों का पर्व, लेकिन झारखंड की राजधानी रांची के बड़ा मुड़मु गांव में सोमवार की रात त्योहार का माहौल मातम में बदल गया। गांव के अखाड़ा स्थल पर मौजूद लोगों के बीच अचानक हुई फायरिंग ने अफरा-तफरी मचा दी और इस हिंसक वारदात में सोमा उरांव नामक व्यक्ति की मौके पर ही दर्दनाक मौत हो गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सोमा उरांव की हत्या किसी और ने नहीं, बल्कि उसके ही एक करीबी सहयोगी ने गोली मारकर की है।
गोली चलने की आवाज सुनते ही अखाड़ा में मौजूद ग्रामीणों के बीच दहशत फैल गई। दीपावली की रात इस तरह के जघन्य अपराध ने पूरे गांव को दहशत में डाल दिया है। सूचना मिलने के बाद रांची पुलिस और फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी **(FSL) की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। एफएसएल टीम ने हत्या के स्थल से कई अहम सबूत जुटाए हैं, जो जांच की दिशा तय करने में मददगार साबित होंगे।
आपराधिक पृष्ठभूमि: पुरानी दुश्मनी या विश्वासघात?
पुलिस ने जब जांच शुरू की तो पूछताछ में सोमा उरांव के आपराधिक इतिहास के बारे में पता चला। मृतक का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है और वह पहले भी हत्या के एक मामले में जेल जा चुका था। सोमा का आपराधिक पृष्ठभूमि होना इस बात की ओर इशारा करता है कि यह हत्या किसी व्यक्तिगत रंजिश या आपराधिक दुश्मनी का परिणाम हो सकती है।
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सहयोगी पर शक:** हत्या में सोमा के ही सहयोगी का हाथ होना विश्वासघात और आंतरिक टकराव की ओर संकेत करता है। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या हाल ही में दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था या यह कोई पूर्व नियोजित साजिश थी।
फिलहाल, पुलिस सभी पहलुओं पर गहन जांच कर रही है और गोली मारकर फरार हुए आरोपी की तलाश में लगातार छापेमारी की जा रही है। दीपावली के पवित्र पर्व पर इस तरह के हिंसक वारदात ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि अपराधियों के मन से कानून का डर पूरी तरह खत्म हो चुका है।
आपकी राय में, झारखंड के ग्रामीण इलाकों में आपराधिक इतिहास वाले व्यक्तियों से जुड़े हिंसक घटनाओं को रोकने और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए पुलिस प्रशासन को कौन से दो सबसे प्रभावी और सामुदायिक कदम उठाने चाहिए?
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