Bangladesh Lynch: खौफनाक मंजर, हिंदू युवक को पीटा फिर पेड़ से बांधकर जिंदा जलाया, बांग्लादेश में कट्टरपंथ का तांडव
बांग्लादेश के मयमनसिंह में कट्टरपंथ की सारी हदें पार हो गई हैं जहाँ एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या करने के बाद उसके शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई। पैगंबर के अपमान के कथित आरोप और हिंसक भीड़ के नारों के बीच हुई इस बर्बरता ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। यूनुस सरकार के आश्वासन और इस जघन्य अपराध की पूरी हकीकत यहाँ देखें।
ढाका/मयमनसिंह, 19 दिसंबर 2025 – बांग्लादेश में चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच मानवता को शर्मसार करने वाला एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर रूह कांप जाए। मयमनसिंह जिले में एक 30 वर्षीय हिंदू युवक, दीपू चंद्र दास, की उन्मादी भीड़ ने न केवल पीट-पीटकर हत्या कर दी, बल्कि बर्बरता की पराकाष्ठा पार करते हुए उसके शव को रस्सी से पेड़ पर बांधा और 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारों के बीच आग के हवाले कर दिया। यह घटना तब हुई है जब देश पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता और कट्टरपंथ की आग में जल रहा है।
इतिहास: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों का सिलसिला
बांग्लादेश के गठन ($1971$) के समय से ही वहां की राजनीति में धर्मनिरपेक्षता और कट्टरपंथ के बीच एक गहरी जंग रही है। $1971$ के मुक्ति संग्राम में हिंदू समुदाय ने भारी कीमत चुकाई थी, और हाल के दशकों में राजनीतिक बदलाव के हर दौर में हिंदू अल्पसंख्यकों को सॉफ्ट टारगेट बनाया गया है। अगस्त $2024$ में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में अभूतपूर्व तेजी आई है। दीपू चंद्र दास की लिंचिंग उसी नफरत की राजनीति का ताजा और सबसे खौफनाक चेहरा है, जो अब 'मॉब जस्टिस' के नाम पर खुलेआम सड़कों पर नाच रही है।
विवाद की चिंगारी: एक आरोप और मौत का तांडव
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स और 'बार्ता बाजार' के अनुसार, यह पूरी घटना 'विश्व अरबी भाषा दिवस' के एक कार्यक्रम के दौरान शुरू हुई। दीपू चंद्र पर आरोप लगाया गया कि उसने एक कारखाने में आयोजित कार्यक्रम में इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है।
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मॉब लिंचिंग: जैसे ही यह आरोप फैला, इलाके में तनाव व्याप्त हो गया और हजारों की भीड़ इकट्ठा हो गई। भीड़ ने दीपू को पकड़ लिया और उसे तब तक पीटा जब तक कि उसकी सांसें नहीं थम गईं।
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अमानवीय कृत्य: मौत के बाद भी भीड़ का गुस्सा शांत नहीं हुआ। शव को रस्सी से एक पेड़ से बांधा गया और फिर उस पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी गई। आसपास मौजूद लोग इस खौफनाक मंजर का वीडियो बनाते रहे और नारे लगाते रहे।
घटना का घटनाक्रम और वर्तमान स्थिति
| विवरण | जानकारी |
| मृतक का नाम | दीपू चंद्र दास (30 वर्ष) |
| स्थान | भालुका उपजिला, मयमनसिंह (बांग्लादेश) |
| कथित आरोप | ईशनिंदा (Blasphemy) |
| सरकारी प्रतिक्रिया | अंतरिम सरकार द्वारा कड़ी निंदा और जांच का वादा |
हिंसा की आग में झुलसता बांग्लादेश
यह घटना उस समय हुई है जब बांग्लादेश में 'जुलाई विद्रोह' के एक प्रमुख नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। हादी की मौत ने कट्टरपंथी समूहों को और अधिक उकसा दिया है। अवामी लीग के नेता मोहम्मद अली अराफात ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बांग्लादेश अब पूरी तरह कट्टरपंथ की ओर बढ़ रहा है और वहां कानून का शासन खत्म हो चुका है।
मोहम्मद यूनुस का आश्वासन: क्या न्याय मिलेगा?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार रात राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने इस लिंचिंग की कड़ी निंदा की और कहा कि 'नए बांग्लादेश' में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने वादा किया कि इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।
यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने भी फेसबुक पर पोस्ट कर जान-माल के विनाश और इस तरह की भीड़ तंत्र की हिंसा को खारिज करने की अपील की है। भालुका उपजिला के कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद फिरोज हुसैन ने पुष्टि की है कि दीपू का शव अब पुलिस हिरासत में है और मामले की जांच जारी है।
दहशत में अल्पसंख्यक समुदाय
मयमनसिंह की इस घटना ने बांग्लादेश में रह रहे हिंदू अल्पसंख्यकों के मन में गहरे डर और असुरक्षा का भाव भर दिया है। जब सरेआम किसी व्यक्ति को जला दिया जाए और प्रशासन केवल आश्वासनों तक सीमित रहे, तो न्याय की उम्मीद धुंधली पड़ने लगती है। दुनिया की निगाहें अब यूनुस सरकार पर हैं कि क्या वे सचमुच इन हत्यारों को सजा दिला पाएंगे या यह भी इतिहास के उन पन्नों में दब जाएगा जहाँ अल्पसंख्यकों की चीखें अनसुनी कर दी जाती हैं।
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