Asrani Passes Away: 'शोले' का जेलर चुपके से चला गया! दिवाली की रात महान हास्य अभिनेता असरानी का निधन, 84 की उम्र में ली आखिरी सांस
हिंदी सिनेमा के दिग्गज हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का 84 वर्ष की आयु में सोमवार शाम को जुहू के अस्पताल में निधन हो गया। फेफड़ों में पानी भरने के कारण वे पिछले पांच दिनों से अस्पताल में थे। उनकी इच्छा के अनुसार उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज श्मशान घाट पर गुपचुप तरीके से किया गया। 'शोले' और 'चुपके चुपके' जैसी फिल्में उनके यादगार कॉमिक टाइमिंग के लिए जानी जाती हैं।
हिंदी सिनेमा के आसमान का एक और चमकता सितारा हमेशा के लिए ओझल हो गया। अपनी बेमिसाल कॉमिक टाइमिंग और अनोखे चेहरे के भावों से करोड़ों दर्शकों को हंसाने वाले प्रसिद्ध हास्य अभिनेता गोवर्धन असरानी का सोमवार शाम को 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। यह खबर दिवाली की रात आई और पहले तो फैंस को लगा कि यह पुरानी अफवाह है, लेकिन जब उनके इंस्टाग्राम अकाउंट की पुष्टि की गई, तो यह खबर सहीं साबित हुई।
जानकारी के मुताबिक, असरानी पिछले करीब पांच दिनों से जुहू के आरोग्य निधि अस्पताल में भर्ती थे और उनकी तबीयत काफी खराब चल रही थी। निधन का कारण फेफड़ों में पानी भरना बताया जा रहा है। दिलचस्प बात यह है कि मौत से कुछ ही देर पहले उन्होंने इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपने फैंस को 'हैप्पी दिवाली' विश किया था, जो उनका आखिरी सार्वजनिक संदेश बन गया।
'आम नागरिक' की तरह चुपचाप विदा
असरानी का अंतिम संस्कार सोमवार शाम को सांताक्रूज श्मशान घाट पर किया गया, लेकिन यह पूरी प्रक्रिया चुपचाप और गुपचुप ढंग से संपन्न हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, असरानी की यह व्यक्तिगत इच्छा थी। अपने करियर के दौरान उन्होंने स्टारडम देखा, लेकिन दुनिया से जाते वक्त वे एक आम नागरिक की तरह विदा लेना चाहते थे। उन्होंने अपनी पत्नी मंजू से कहा था कि उनकी मौत के बाद कोई हंगामा न हो और अंतिम संस्कार हो जाने के बाद ही सबको खबर दी जाए। यही वजह रही कि महज परिवार की मौजूदगी में उन्हें अंतिम विदा दी गई।
कॉमेडी का एक युग: शोले से चुपके चुपके तक
गोवर्धन असरानी भारतीय सिनेमा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक सक्रिय हास्य कलाकारों में से एक थे। उन्होंने फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया **(एफटीआईआई), पुणे से अभिनय सीखा और 1960 के दशक के मध्य में हिंदी फिल्म जगत में प्रवेश किया। अपने पांच दशकों से अधिक के करियर में उन्होंने 350 से अधिक फिल्मों में काम किया।
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यादगार भूमिकाएं: 70 और 80 के दशक में वे हिंदी सिनेमा का एक प्रमुख चेहरा बन गए, जहां वे अक्सर प्यारे मूर्ख, परेशान क्लर्क या मज़ाकिया सहायक की भूमिकाएँ निभाते थे। उनकी सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक थी फिल्म 'शोले' में हिटलर की नकल करने वाले जेलर की भूमिका, जिसका डायलॉग आज भी मशहूर है। इसके अलावा, 'चुपके चुपके' में उनका कॉमिक अभिनय भी बेहतरीन था।
कॉमेडी के अलावा, उन्होंने 'आज की ताजा खबर' और 'चला मुरारी हीरो बनने' जैसी फिल्में निर्देशित भी कीं और गुज़राती और राजस्थानी समेत कई अन्य भाषाओं में काम किया। असरानी का निधन हिंदी सिनेमा के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
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