Chhattisgarh Steel Collapse: रायपुर स्टील प्लांट हादसे में 6 की मौत, सुरक्षा मानकों पर उठे बड़े सवाल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सिलतरा क्षेत्र स्थित गोदावरी स्टील प्लांट में बड़ा हादसा, प्लांट का हिस्सा गिरने से 6 लोगों की मौत और कई घायल। क्या सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने ली मासूमों की जान?

छत्तीसगढ़ की राजधानी के बाहरी इलाके सिलतरा औद्योगिक क्षेत्र से शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाली खबर आई। यहां गोदावरी इस्पात लिमिटेड के स्टील प्लांट का एक बड़ा हिस्सा अचानक गिर गया। इस हादसे में कम से कम 6 मजदूरों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं।
प्लांट में यह हादसा उस समय हुआ जब मेंटेनेंस कार्य के बाद कर्मचारी जांच करने पहुंचे थे। अचानक ऊपर से भारी लोहे की सिल्ली गिरी और मजदूर इसकी चपेट में आ गए। घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।
भीड़ और अफरातफरी
हादसे की खबर मिलते ही इलाके में तनाव और दहशत फैल गई। कंपनी के बाहर मजदूरों और स्थानीय लोगों की भीड़ जुटने लगी। मुख्य गेट को बंद कर दिया गया और अंदर केवल पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि कई मजदूर अब भी मलबे में फंसे हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।
प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
रायपुर के एएसपी लखन पटले ने पुष्टि की कि हादसे में 6 लोगों की मौत हो चुकी है। घायलों को नजदीकी अस्पताल और रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिला प्रशासन और पुलिस की टीमें मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुटी हुई हैं।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
यह हादसा सिर्फ एक दर्दनाक घटना नहीं, बल्कि औद्योगिक सुरक्षा मानकों पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। भारत में स्टील उद्योग छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। रायपुर और भिलाई जैसे क्षेत्र लंबे समय से देश के इस्पात उत्पादन के केंद्र रहे हैं। लेकिन समय-समय पर यहां हादसों की खबरें आती रही हैं।
2014 में भी रायपुर के एक स्टील प्लांट में बड़ा हादसा हुआ था, जिसमें कई मजदूरों की जान गई थी। इससे पहले भिलाई स्टील प्लांट में भी गैस लीक जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हर बार जांच कमेटी बनती है, रिपोर्ट्स आती हैं, लेकिन मजदूरों की सुरक्षा पर ठोस सुधार देखने को नहीं मिलता।
मजदूरों का गुस्सा
हादसे के बाद मजदूर संगठनों ने भी कड़ा विरोध जताना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि कंपनियां लाभ कमाने के चक्कर में मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी करती हैं। अगर समय पर उचित सुरक्षा उपाय किए गए होते तो शायद आज ये जानें न जातीं।
घटना का सामाजिक असर
ऐसे हादसों का असर सिर्फ मृतकों के परिवारों तक सीमित नहीं रहता। मजदूर बस्तियों में मातम पसरा हुआ है, परिवार अपने अपनों की खबर पाने के लिए बेचैन हैं। रायपुर के इस्पात उद्योग से हजारों लोग रोज़ी-रोटी कमाते हैं और ऐसे हादसे उनके भविष्य पर भी अनिश्चितता की छाया डाल देते हैं।
इतिहास से सबक
भारत में औद्योगिक सुरक्षा कानून कई दशकों से मौजूद हैं, लेकिन उनका सही अनुपालन अब भी चुनौती बना हुआ है। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी से लेकर अब तक देश ने कई औद्योगिक हादसे देखे हैं। लेकिन हर हादसे के बाद सवाल वही उठता है — क्या मजदूरों की जान इतनी सस्ती है कि हर बार जिम्मेदारी टाल दी जाए?
सिलतरा के इस हादसे ने एक बार फिर साबित कर दिया कि जब तक कंपनियां मजदूरों की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देंगी, तब तक ऐसे हादसे रुकना मुश्किल है। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही का सबूत है।
अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाते हैं, या यह मामला भी समय के साथ दब जाएगा। फिलहाल, रायपुर के मजदूर परिवार शोक और गुस्से के बीच अपने सवालों के जवाब तलाश रहे हैं।
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