Bihar Election 2025 Latest News : खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी का नामांकन खतरे में, मतदाता सूची में नहीं मिल रहा नाम!
क्या भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी का छपरा सीट से नामांकन रद्द हो जाएगा? जानिए कैसे मतदाता सूची में नाम न होने की वजह से आरजेडी की उम्मीदवारी पर मंडरा रहा है खतरा और कैसे मुंबई कनेक्शन ने बिगाड़े राजनीतिक खेल।
पटना/छपरा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 (Bihar Election 2025 Latest news ) में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए एक बड़ा झटका आया है। भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की पत्नी और पार्टी की छपरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी चंदा देवी का नामांकन मतदाता सूची में नाम न होने के कारण खतरे में पड़ गया है। सूत्रों के मुताबिक, नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी के दौरान यह खुलासा हुआ कि चंदा देवी का नाम सारण जिले की मतदाता सूची में दर्ज नहीं है।
मुंबई कनेक्शन ने बढ़ाई मुसीबत
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि चंदा देवी का नाम महाराष्ट्र की मतदाता सूची में दर्ज है क्योंकि उनके मुंबई में फ्लैट और कई संपत्तियां हैं। यही कारण है कि मूल रूप से एकमा विधानसभा के धानाडीह गांव की निवासी होने के बावजूद उनका नाम स्थानीय मतदाता सूची में नहीं मिल रहा है।
एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "मतदाता सूची में नाम न होने की स्थिति में नामांकन पत्र अस्वीकार किया जा सकता है। चंदा देवी के मामले में हम जांच कर रहे हैं। अगर वह मुंबई की मतदाता सूची में दर्ज हैं तो यह नियमों के खिलाफ होगा।"
बीएलओ की जांच जारी, विरोधियों ने उठाए सवाल
धानाडीह गांव के बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) ने बताया कि वे चंदा देवी के नाम का सत्यापन कर रहे हैं। बीएलओ ने कहा, "हमलोग उनके नाम की जांच कर रहे हैं। जल्द ही पूरी बात सामने आ जाएगी।"
हालांकि, खेसारी लाल यादव के राजनीतिक विरोधियों ने इस मामले को लेकर सवाल उठाए हैं। एक स्थानीय नेता ने कहा, "राजद ने नामांकन सूची की जांच किए बिना ही चंदा देवी को टिकट दे दिया। यह पार्टी की लापरवाही है। अगर उम्मीदवार का नाम ही मतदाता सूची में नहीं है तो वह चुनाव कैसे लड़ सकती हैं?"
खेसारी का मतदाता सूची में नाम, पत्नी का संकट
दिलचस्प बात यह है कि खेसारी लाल यादव का नाम मतदाता सूची में दर्ज है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, खेसारी ने पिछले पंचायत चुनाव में अपनी भाभी को उम्मीदवार बनाया था और खुद इलेक्शन एजेंट बने थे। उन्होंने उस चुनाव में मतदान भी किया था।
तेजस्वी यादव के बुलावे पर आए थे खेसारी
इस मामले ने तब और गर्माहट पैदा की जब पता चला कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बुलावे पर ही खेसारी लाल यादव मुंबई से पटना पहुंचे थे। सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने खुद चंदा देवी को टिकट देने का फैसला किया था।
एक आरजेडी नेता ने बताया, "खेसारी लाल यादव को पार्टी में शामिल करना और उनकी पत्नी को टिकट देना रणनीतिक फैसला था। हमें उम्मीद थी कि उनकी लोकप्रियता से छपरा सीट जीती जा सकती है।"
पारिवारिक कनेक्शन और राजनीतिक समीकरण
चंदा देवी का राजनीतिक और पारिवारिक महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वह तेज प्रताप यादव की पत्नी एश्वर्या राय की चचेरी बहन भी हैं। यह पारिवारिक कनेक्शन ही था जिसके चलते आरजेडी ने उन्हें टिकट दिया था।
पिछले विधानसभा चुनाव में छपरा सीट से भाजपा के उम्मीदवार डॉ. सीएन गुप्ता ने राजद उम्मीदवार रणधीर सिंह को हराया था। इस बार भाजपा ने छोटी कुमारी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि आरजेडी ने चंदा देवी पर दांव खेला था।
कानूनी पहलू और संभावित परिणाम
चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, कोई भी उम्मीदवार उसी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ सकता है जहां उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो। अगर चंदा देवी का नाम मुंबई की मतदाता सूची में है तो वह छपरा सीट से चुनाव नहीं लड़ सकतीं।
एक चुनाव विशेषज्ञ ने बताया, "इस मामले में दो संभावनाएं हैं। या तो चंदा देवी अपना नाम मुंबई की मतदाता सूची से हटवाकर छपरा की सूची में दर्ज कराएं, जो समय संभव नहीं है, या फिर उनका नामांकन पत्र रद्द हो जाएगा।"
राजद के लिए बड़ा झटका
यह मामला राजद के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। पार्टी ने खेसारी लाल यादव की लोकप्रियता का फायदा उठाने की रणनीति बनाई थी, लेकिन तकनीकी चूक के कारण यह योजना फेल होती दिख रही है।
एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, "यह मामला राजद की आंतरिक तैयारियों की कमी को दर्शाता है। टिकट देने से पहले उम्मीदवार की बुनियादी जांच न करना पार्टी के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा कर सकता है।"
अब सवाल यह है कि अगर चंदा देवी का नामांकन रद्द हो जाता है तो राजद क्या वैकल्पिक रणनीति अपनाएगी? क्या पार्टी कोई दूसरा उम्मीदवार मैदान में उतारेगी या फिर भाजपा उम्मीदवार के सामने वापस लौट जाएगी?
एक आरजेडी नेता ने हालांकि आश्वासन दिया, "हम इस मामले को सुलझा लेंगे। चंदा देवी का नाम स्थानीय मतदाता सूची में दर्ज है, यह साबित करने के लिए हमारे पास सबूत हैं।"
लेकिन अभी तक ऐसे कोई सबूत सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। आने वाले घंटे इस मामले में निर्णायक साबित होंगे। अगर चंदा देवी का नामांकन रद्द होता है तो यह बिहार चुनाव 2025 ( Bihar Election 2025 Latest News ) का पहला बड़ा विवाद बन जाएगा और आरजेडी की चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े कर देगा।
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, बिहार की राजनीति में नए-नए मोड़ सामने आ रहे हैं। चंदा देवी का मामला साबित करता है कि इस बार का चुनाव तकनीकी पहलुओं और कानूनी चुनौतियों से भरा होगा। सभी दलों को अपनी रणनीति में और सावधानी बरतनी होगी।
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