Sakchi Struggle: सड़क पर मची मारपीट! जमशेदपुर के साकची में ऑटो चालक और 'गुलगुलिया' समूह के बीच खूनी झड़प, ट्रैफिक पुलिस के सामने मचा एक घंटे तक उत्पात!

जमशेदपुर के साकची थाना क्षेत्र में बिरसा मुंडा स्टैच्यू के पास गुरुवार देर शाम एक ऑटो चालक और स्थानीय गुलगुलिया समूह के बीच जमकर मारपीट हुई। ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी के बावजूद एक घंटे तक सड़क पर अफरा-तफरी का माहौल रहा। ऑटो चालक को भागना पड़ा। पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है, जिससे आगामी खतरे की आशंका है।

Oct 23, 2025 - 21:02
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Sakchi Struggle: सड़क पर मची मारपीट! जमशेदपुर के साकची में ऑटो चालक और 'गुलगुलिया' समूह के बीच खूनी झड़प, ट्रैफिक पुलिस के सामने मचा एक घंटे तक उत्पात!
Sakchi Struggle: सड़क पर मची मारपीट! जमशेदपुर के साकची में ऑटो चालक और 'गुलगुलिया' समूह के बीच खूनी झड़प, ट्रैफिक पुलिस के सामने मचा एक घंटे तक उत्पात!

जमशेदपुर, जिसे अक्सर एक शांत और सुरक्षित शहर के रूप में जाना जाता है, वहां कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। शहर के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक, साकची थाना अंतर्गत बिरसा मुंडा स्टैच्यू के समीप गुरुवार देर शाम अचानक उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक ऑटो चालक और सड़क किनारे रहने वाले 'गुलगुलिया' समूह के बीच जमकर मारपीट और खूनी झड़प हुई। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि मौके पर ट्रैफिक पुलिस के मौजूद होने के बावजूद भी गुलगुलियों का आतंक शांत नहीं हुआ और अंततः पीड़ित ऑटो चालक को अपनी जान बचाकर ऑटो लेकर भागना पड़ा।

एक घंटे तक सड़क के बीच उत्पात: पुलिस क्यों रही मूकदर्शक?

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह झड़प इतनी बढ़ गई थी कि सड़क के बीचों-बीच करीब एक घंटे तक गुलगुलिया समूह के लोगों ने उत्पात मचाए रखा। इस समूह की पहचान सड़क किनारे डेरा डालने वाले एक खास वर्ग के रूप में है, जिनके व्यवहार और आक्रामक शैली के चलते अक्सर इलाके में तनाव बना रहता है।

भीड़ वाली जगह पर हो रही यह मारपीट और पुलिस की असमर्थता शहर की शांति के लिए एक गंभीर खतरे का संकेत है। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि ट्रैफिक पुलिस की उपस्थिति के बावजूद भी वे इस हिंसा को रोकने में पूरी तरह से विफल क्यों रहे? क्या पुलिस को इन समूहों पर कार्रवाई करने में कोई डर है, या यह स्थानीय कानून व्यवस्था की कमजोरी है?

मामला दर्ज न होना: खतरे को बुलावा?

यह जानकर और भी आश्चर्य होता है कि इतनी बड़ी झड़प, जिसमें ऑटो चालक को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा, उसके बावजूद पुलिस में कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है। कानून के जानकारों का मानना है कि इस तरह के खुले आम उत्पात और मारपीट के मामलों को यदि समय पर गंभीरता से नहीं लिया गया और दोषियों पर कड़ी नकेल नहीं कसी गई, तो आने वाले दिनों में यह स्थिति और भी बिगड़ सकती है। यह समूह सड़क सुरक्षा के साथ-साथ आम लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकते हैं।

साकची का यह इलाका टाटा नगरी का व्यावसायिक केंद्र है, जहां हर वक्त भारी भीड़ और यातायात रहता है। ऐसे व्यस्ततम स्थान पर पुलिस की मौजूदगी के बावजूद सार्वजनिक मारपीट और उत्पात का होना प्रशासन की छवि पर गहरे प्रश्नचिह्न लगाता है। यह जरूरी है कि पुलिस इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेकर एक मजबूत जांच शुरू करे और गुलगुलिया समूह पर कड़ी कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में किसी बड़ी हिंसा को रोका जा सके।

आपकी राय में, साकची जैसे व्यस्ततम इलाकों में सड़क किनारे रहने वाले आक्रामक समूहों से निपटने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए स्थानीय पुलिस को कौन से दो सबसे ठोस और मानवीय कदम उठाने चाहिए?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।