India Warning : Google Chrome और Firefox यूजर्स हो जाएं सावधान, CERT-In ने जारी की गंभीर चेतावनी, क्या हैकर्स आपके सिस्टम को रिमोटली कंट्रोल कर सकते हैं?
भारत सरकार की साइबर सुरक्षा एजेंसी CERT-In ने Google Chrome और Mozilla Firefox के पुराने वर्जनों में गंभीर खामियां मिलने के बाद हाई-रिस्क अलर्ट जारी किया है। हैकर्स इन कमजोरियों का फायदा उठाकर सिस्टम पर कब्जा कर सकते हैं, डेटा चुरा सकते हैं और मैलवेयर इंस्टॉल कर सकते हैं। सुरक्षित रहने के लिए तुरंत अपने ब्राउज़र को अपडेट करें।
डिजिटल इंडिया में साइबर हमलों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, और अब भारत सरकार की सर्वोच्च साइबर सुरक्षा एजेंसी Indian Computer Emergency Response Team **(CERT-In) ने देशभर के इंटरनेट यूजर्स के लिए एक गंभीर 'हाई-रिस्क अलर्ट' जारी किया है। यह चेतावनी उन करोड़ों लोगों के लिए है जो दैनिक रूप से दुनिया के दो सबसे बड़े ब्राउजर Google Chrome और Mozilla Firefox का इस्तेमाल करते हैं। एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि इन ब्राउज़रों के पुराने वर्जनों में ऐसी गंभीर सुरक्षा खामियाँ **(Vulnerabilities) मिली हैं, जिनका फायदा उठाकर कोई भी हैकर्स आपके पूरे सिस्टम पर कब्जा कर सकता है।
CERT-In की रिपोर्ट के अनुसार, ये कमजोरियां इतनी खतरनाक हैं कि इनके माध्यम से हैकर्स आपके कंप्यूटर में अनाधिकृत प्रवेश पा सकते हैं, डेटा चुरा सकते हैं, पासवर्ड हासिल कर सकते हैं और सबसे भयानक बात यह है कि आपके सिस्टम को रिमोटली कंट्रोल करके मैलवेयर या रैनसमवेयर तक इंस्टॉल कर सकते हैं।
खतरनाक बग्स का खुलासा: क्या है आपके डेटा पर खतरा?
Google Chrome के पुराने वर्जनों में Use After Free, Integer Overflow और Heap Buffer Overflow जैसे गंभीर बग्स पाए गए हैं। इन बग्स का मतलब है कि एक मैलिशियस वेबसाइट या संदिग्ध लिंक पर क्लिक करते ही आपका ब्राउज़र क्रैश हो सकता है और खतरनाक कोड आपके सिस्टम पर अपने आप रन हो सकते हैं।
वहीं, Mozilla Firefox में भी Cookie Storage Isolation, JavaScript JIT Error और Graphics Overflow जैसी खामियां सामने आई हैं। इनसे सीधे तौर पर यूजर्स का ब्राउज़िंग डेटा, सेव किए गए पासवर्ड और अन्य व्यक्तिगत जानकारी खतरे में पड़ सकती है।
सरकारी विभागों और बैंकों को सबसे बड़ा खतरा
CERT-In की चेतावनी सिर्फ आम यूजर्स के लिए नहीं है, बल्कि इसका सबसे बड़ा खतरा सरकारी विभागों, निजी कंपनियों और वित्तीय संस्थानों यानी बैंकों के नेटवर्क पर है। अगर कोई नेटवर्क पुराने ब्राउज़र पर चल रहा है, तो हैकर्स एक छोटी सी खामी के ज़रिए पूरे संगठन के सिस्टम में घुसपैठ कर सकते हैं।
ऐसे में, तुरंत कार्रवाई करना ही सबसे बड़ा बचाव है। साइबर सुरक्षा एजेंसी ने यूजर्स को निम्नलिखित सलाह दी है:
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Chrome यूजर्स: अगर आपका वर्ज़न 137.0.7151.119 **(**Windows/Linux) या 137.0.7151.120 **(**macOS) से पुराना है, तो तुरंत ब्राउज़र की सेटिंग्स में जाकर 'Help' → 'About Google Chrome' पर क्लिक करके अपडेट करें।
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Firefox यूजर्स: "Menu" → "Help" → "About Firefox" में जाकर सुरक्षा पैच के साथ जारी किए गए नए वर्ज़न को इंस्टॉल करें।
इसके अलावा, किसी भी संदिग्ध लिंक या वेबसाइट पर क्लिक न करें और अनजान ईमेल से सावधान रहें। ब्राउज़र को अपडेट करना सिर्फ नई सुविधाएँ पाने के लिए नहीं, बल्कि ऑनलाइन दुनिया में खुद को सुरक्षित रखने के लिए आपकी पहली और सबसे ज़रूरी प्राथमिकता होनी चाहिए।
आपकी राय में, Google और Mozilla जैसे बड़े ब्राउज़र डेवलपर्स को अपने यूजर्स को ऑटोमैटिक अपडेट के लिए मजबूर करने और साइबर सुरक्षा बढ़ाने हेतु कौन से दो सबसे प्रभावी और सख्त कदम उठाने चाहिए?
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