Chakradharpur Chase: आधी रात 35 ट्रैक्टर की लूट! पुलिस के आते ही फरार हुए बालू माफिया, क्या गुदड़ी थाना के पास से रोज निकलता है अवैध खनन का खजाना?
झारखंड के चक्रधरपुर-सोनुवा मार्ग पर पुलिस की छापेमारी से क्यों मचा हड़कंप? क्या हर रात 35-40 ट्रैक्टर की निकलती है अवैध बालू की खेत? गुदड़ी और गोइलकेरा थाने के नजदीक होने पर भी यह धंधा क्यों नहीं रुक रहा था? थाना प्रभारी ने सुबह 4 बजे छापेमारी करके किन दोषियों पर शक जताया है? पूरी चौंकाने वाली खबर यहां पढ़ें!
चक्रधरपुर, 25 अक्टूबर 2025 - पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले के चक्रधरपुर में शनिवार की सुबह जो हुआ, उसने न सिर्फ बालू माफियाओं में बड़ा हड़कंप मचा दिया है, बल्कि इलाके के अन्य विभागीय मिलीभगत की ओर भी इशारा किया है। चक्रधरपुर पुलिस ने चक्रधरपुर – सोनुवा मुख्य मार्ग पर भोर होते ही छापेमारी कर अवैध बालू लदे दो ट्रैक्टर ट्रॉलियों को जब्त किया।
लेकिन यह कार्रवाई महज दो ट्रैक्टरों तक सीमित नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, यह खुलासा हुआ है कि इस रास्ते पर हर रात 35 से 40 ट्रैक्टर ट्रॉलियां अवैध बालू की ढुलाई में लगे रहते हैं, और इन पर कोई कार्रवाई न होना कई गंभीर सवालों को जन्म देता है।
रात का अंधेरा, बालू का काला धंधा
जानकारी के अनुसार, गुदड़ी और गोइलकेरा के कारो नदी घाटों से अवैध खनन का यह खेल रात होते ही शुरू हो जाता है। यह जानकर हैरानी होती है कि इन नदी घाटों से कुछ ही दूरी पर गुदड़ी थाना और सोनुवा थाना मौजूद हैं, लेकिन इसके बावजूद पूरी रात अवैध बालू लदे ट्रैक्टर बेखौफ सड़कों पर दौड़ते रहते हैं।
कहा जा रहा है कि यह सब कुछ विभागीय मिलीभगत और उदासीनता के कारण संभव हो पाता है। गुदड़ी, गोइलकेरा के पोकाम और दलकी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से रोज अवैध रूप से बालू निकालकर चक्रधरपुर तक लाया जाता है, जिससे सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है, और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति पहुँच रही है।
थाना प्रभारी का मास्टरस्ट्रोक: सुबह 4 बजे रेड!
बालू माफियाओं के इस सिंडिकेट को तोड़ने के लिए चक्रधरपुर थाना प्रभारी अवधेश कुमार ने एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई की। उन्होंने शनिवार की सुबह 4 बजे के बीच छापेमारी का जाल बिछाया।
जैसे ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची, अवैध बालू लदे ट्रॉलियों के चालक अपने वाहन छोड़कर अंधेरे का फायदा उठाकर मौके से फरार हो गए। पुलिस ने फौरन दो ट्रैक्टरों को जब्त कर लिया।
लेकिन सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब यह जानकारी फैली। छापेमारी की भनक लगते ही पीछे चल रहे करीब दर्जनभर अवैध बालू लदे ट्रैक्टर सड़कों से गायब हो गए। यह दिखाता है कि बालू माफियाओं का नेटवर्क कितना मजबूत है और उन्हें पुलिस की हर गतिविधि की तुरंत सूचना मिल जाती है।
कड़ी कार्रवाई का दबाव
चक्रधरपुर पुलिस की इस कार्रवाई से बालू माफियाओं के पूरे नेटवर्क में डर फैल गया है। थाना प्रभारी ने जब्त ट्रैक्टरों और पूरे मामले की सूचना जिला खनन पदाधिकारी और डीटीओ को दे दी है, ताकि अवैध खनन और परिवहन के खिलाफ सख्त कानूनी प्रक्रिया शुरू की जा सके।
इतिहास और माफिया राज: झारखंड में बालू खनन माफिया का इतिहास काफी पुराना और खूनी रहा है। यह धंधा अक्सर राजनीतिक संरक्षण और निचले स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से चलता है, जिससे आम जनता को महंगे दामों पर बालू खरीदना पड़ता है और नदियों का पारिस्थितिकी तंत्र तबाह होता है। चक्रधरपुर की यह कार्रवाई उस गहरे सिंडिकेट को तोड़ने की दिशा में पहला कदम हो सकती है।
अब सबकी निगाहें जिला खनन विभाग और डीटीओ पर टिकी हैं कि वे इस मामले में चक्रधरपुर पुलिस का कितना साथ देते हैं और क्या इन बालू माफियाओं के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो पाती है।
पाठकों से सवाल:
आपकी राय में, अन्य विभागों की मिलीभगत के बिना क्या यह अवैध बालू का धंधा चल सकता था? इस तरह के माफिया राज को तोड़ने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? कमेंट करके अपनी प्रतिक्रिया दें।
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