Parliament Drama: शीतकालीन सत्र में हंगामा, मणिपुर और अडाणी बने विवाद की वजह
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हंगामे से हुई। मणिपुर और अडाणी मुद्दे पर लोकसभा और राज्यसभा में जोरदार बहस। कार्यवाही 27 नवंबर तक स्थगित।
25 नवम्बर, 2024: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार सुबह 11 बजे शुरू हुआ, लेकिन कार्यवाही का पहला दिन विपक्षी दलों के हंगामे की भेंट चढ़ गया। लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में मणिपुर और अडाणी मुद्दे को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतांत्रिक मर्यादाओं पर जोर देते हुए सकारात्मक चर्चा की अपील की, लेकिन सांसदों के हंगामे के चलते दोनों सदनों की कार्यवाही 27 नवंबर तक स्थगित कर दी गई।
लोकसभा में हंगामा: मणिपुर और अडाणी पर बहस की मांग
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही दिवंगत सांसदों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद कार्यवाही आगे बढ़ी, लेकिन मणिपुर और अडाणी मुद्दे को लेकर विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों से शांतिपूर्ण बहस और कार्यवाही में सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि संसद का उद्देश्य जनता की समस्याओं पर चर्चा करना और समाधान निकालना है। लेकिन विपक्षी सांसदों ने उनकी अपील को नजरअंदाज करते हुए विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
नतीजा: लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
राज्यसभा में तीखी बहस: सभापति और खड़गे के बीच टकराव
राज्यसभा की कार्यवाही भी हंगामे का शिकार हुई। जैसे ही सभापति जगदीप धनखड़ ने बोलना शुरू किया, विपक्षी सांसदों ने उन्हें टोकते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने देने की मांग की।
धनखड़ ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा,
“संविधान के 75 साल पूरे हो रहे हैं, कम से कम कुछ मर्यादा रखें।”
इस पर खड़गे ने जवाब दिया,
“इन 75 सालों में मेरा योगदान 54 साल का है। मुझे मर्यादा न सिखाएं।”
इसके बाद खड़गे ने राज्यसभा में अडाणी मुद्दा उठाया, लेकिन सभापति ने इसे रिकॉर्ड में शामिल करने से रोक दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विषय नियमों के दायरे में नहीं आता।
परिणाम: बहस और हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही भी 27 नवंबर तक स्थगित करनी पड़ी।
प्रधानमंत्री मोदी की अपील
शीतकालीन सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि संसद को ऐसे संदेश देने चाहिए जो लोकतंत्र और संविधान के प्रति भारत के मतदाताओं की आस्था को मजबूत करें।
उन्होंने यह भी कहा,
“हमने जो समय गंवाया है, उसका पश्चाताप करें और आने वाली पीढ़ियों के लिए सकारात्मक संदेश दें। मुझे आशा है कि इस सत्र से कई अच्छे परिणाम आएंगे।”
इतिहास में हंगामेदार सत्रों का प्रभाव
भारतीय संसद में हंगामा कोई नई बात नहीं है। पहले भी कई सत्र ऐसे रहे हैं, जो विपक्ष और सरकार के बीच तीखी बहस की वजह से बाधित हुए। 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला और 2016 में नोटबंदी जैसे मुद्दों पर भी कार्यवाही कई दिनों तक बाधित रही थी।
सत्र की संभावनाएं
शीतकालीन सत्र के एजेंडे में कई महत्वपूर्ण बिल और नीतिगत चर्चा शामिल हैं। सरकार ने कहा है कि वह विपक्ष के सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है, लेकिन विपक्ष का अडाणी और मणिपुर मुद्दे पर अड़ियल रुख सत्र के सुचारु संचालन में बाधा बन सकता है।
संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे के साथ शुरू हुआ। लोकतंत्र की मर्यादाओं और सत्र की उत्पादकता पर जोर देने के बावजूद, दोनों सदनों में विरोध प्रदर्शन के चलते कार्यवाही बाधित रही। अब यह देखना होगा कि 27 नवंबर से शुरू होने वाली कार्यवाही में क्या सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं या फिर हंगामे का दौर जारी रहेगा।
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