झारखंड के नक्सल प्रभावित गुदड़ी थाना क्षेत्र में रविवार की देर रात भाकपा माओवादी नक्सलियों ने दो निर्दोष लोगों की बेरहमी से धारदार हथियार और कुल्हाड़ी से हत्या कर दी। यह घटना गीरू गांव में हुई, जहां नक्सलियों ने अवैध बालू खनन और ट्रैक्टर से बालू ढुलाई के खिलाफ चेतावनी देते हुए इस क्रूर घटना को अंजाम दिया।
नक्सलियों का मकसद: अवैध बालू खनन रोकने की धमकी
सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने इस हमले का मकसद अवैध बालू खनन और उसकी ढुलाई पर रोक लगाना बताया। घटनास्थल पर नक्सलियों ने चेतावनी पत्र भी छोड़ा है, जिसमें उन्होंने बालू माफियाओं को चेतावनी दी कि अगर वे खनन बंद नहीं करेंगे, तो और कठोर कदम उठाए जाएंगे।
आतंक का संदेश: इस घटना ने इलाके में दहशत का माहौल बना दिया है। स्थानीय ग्रामीण अब अपने घरों से बाहर निकलने में भी डर रहे हैं।
पुलिस की प्रतिक्रिया: सर्च ऑपरेशन जारी
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। गुदड़ी क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और अतिरिक्त जवानों को तैनात किया गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि नक्सलियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
नक्सलियों की हिंसा का इतिहास
झारखंड लंबे समय से नक्सल हिंसा का शिकार रहा है। 2000 में राज्य बनने के बाद से, नक्सली संगठनों ने कई बार अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए निर्दोष ग्रामीणों और सरकारी संपत्तियों को निशाना बनाया है।
2013 में, लातेहार जिले में सुरक्षाबलों पर हमला और 2021 में चतरा में कोयला खदान के ठेकेदार की हत्या जैसी घटनाएं नक्सलियों की रणनीति को उजागर करती हैं।
ग्रामीणों के बीच बढ़ती दहशत
गीरू गांव के स्थानीय लोग इस घटना के बाद दहशत में हैं। एक ग्रामीण ने बताया,
"हम अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। नक्सलियों ने जो किया, वह किसी के भी साथ हो सकता है।"
अवैध खनन और नक्सली संगठनों का गठजोड़
झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में अवैध बालू खनन बड़ा मुद्दा बन चुका है। यह खनन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि नक्सलियों के लिए आय का स्रोत भी बनता है। विशेषज्ञों का कहना है कि नक्सली इन गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए हिंसा का सहारा लेते हैं।
सरकार और प्रशासन की चुनौती
झारखंड सरकार के लिए यह घटना एक बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्यों को तेज करने का निर्देश दिया था। लेकिन ऐसी घटनाएं सरकार की योजनाओं पर सवाल खड़े करती हैं।
गीरू गांव में नक्सलियों द्वारा की गई हत्या ने एक बार फिर से झारखंड में नक्सली हिंसा की गंभीरता को उजागर कर दिया है। पुलिस और प्रशासन को न केवल इन घटनाओं का कड़ा जवाब देना होगा, बल्कि अवैध खनन जैसे मुद्दों पर भी सख्त कदम उठाने होंगे।
झारखंड के ग्रामीणों को सुरक्षा और विश्वास देने के लिए सरकार को ठोस योजनाएं बनानी होंगी। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस चुनौती का सामना कैसे करता है।