America Teens: सोशल मीडिया से क्यों भाग रहे हैं अमेरिकी बच्चे? रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला सच!

Pew Research की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अमेरिका के किशोर तेजी से सोशल मीडिया से दूरी बना रहे हैं। जानिए क्यों स्मार्टफोन और सोशल प्लेटफॉर्म अब उन्हें नुकसानदेह लगने लगे हैं।

Apr 24, 2025 - 17:24
 0
America Teens: सोशल मीडिया से क्यों भाग रहे हैं अमेरिकी बच्चे? रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला सच!
America Teens: सोशल मीडिया से क्यों भाग रहे हैं अमेरिकी बच्चे? रिपोर्ट में हैरान कर देने वाला सच!

America में सोशल मीडिया का क्रेज कभी बच्चों और किशोरों के लिए जादू की तरह था। लेकिन अब वही प्लेटफॉर्म, जो कभी मनोरंजन और जुड़ाव का जरिया था, अब उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरे की घंटी बन गया है। Pew Research Center की एक नई रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका के टीनएजर्स अब डिजिटल दुनिया की चकाचौंध से दूरी बनाने लगे हैं।

क्या बदल रहा है सोशल मीडिया का असर?

Pew Research Center द्वारा 13 से 17 साल के 1,391 किशोरों और उनके माता-पिता पर किया गया सर्वे इस बदलाव की गवाही देता है।
इस रिपोर्ट के अनुसार:

  • 44% किशोरों ने खुद माना कि उन्होंने सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का इस्तेमाल पहले से कम कर दिया है।

  • 48% बच्चों का मानना है कि सोशल मीडिया उनके साथियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है – जबकि 2022 में यही आंकड़ा सिर्फ 32% था।

  • दिलचस्प बात यह है कि केवल 14% किशोर ही खुद के लिए सोशल मीडिया को नुकसानदायक मानते हैं, यानी दूसरों की परेशानी वो देख पा रहे हैं, लेकिन खुद को नहीं।

Teen Girls Vs Boys: कौन ज्यादा प्रभावित?

लड़कियों में सोशल मीडिया के प्रभाव को लेकर चिंता का स्तर लड़कों से कहीं अधिक है:

  • 42% लड़कियों ने मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर मुद्दा बताया, जबकि

  • सिर्फ 28% लड़कों ने ऐसा माना।

  • 25% लड़कियों को लगता है कि सोशल मीडिया उनकी मानसिक सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है।

  • लगभग 20% लड़कियों ने आत्मविश्वास में गिरावट की बात कही और 50% को नींद की समस्या का सामना करना पड़ता है — जो लड़कों के मुकाबले 10% ज्यादा है।

Parents की बढ़ती चिंता: माएं ज्यादा चिंतित

माता-पिता की चिंता भी इस डिजिटल परिवर्तन में झलक रही है:

  • 61% माएं बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बेहद या काफी चिंतित हैं, जबकि

  • पिताओं में यह संख्या 47% है।

  • कुल मिलाकर 50% माता-पिता मानते हैं कि सोशल मीडिया बच्चों की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर रहा है।

सोशल मीडिया: जुड़ाव या जाल?

भले ही सोशल मीडिया को लेकर निगेटिव अनुभव सामने आए हैं, लेकिन इसके कुछ सकारात्मक पहलू भी किशोरों ने बताए हैं:

  • 74% किशोर मानते हैं कि सोशल मीडिया दोस्ती निभाने का अच्छा जरिया है।

  • 63% ने इसे रचनात्मकता को दिखाने का मंच बताया है।

लेकिन 2022 की तुलना में बदलाव साफ है:

  • 2022 में 67% किशोरों ने कहा था कि सोशल मीडिया मुश्किल समय में उनका सहारा बना,

  • जबकि 2024 में यह आंकड़ा गिरकर सिर्फ 52% रह गया है।

नींद और पढ़ाई पर असर: डिजिटल नुकसान के संकेत

सोशल मीडिया का असर सिर्फ मानसिक नहीं, बल्कि शारीरिक और अकादमिक रूप से भी देखने को मिला:

  • 45% युवाओं ने कहा कि इसकी वजह से उनकी नींद प्रभावित हुई।

  • 40% ने स्वीकार किया कि सोशल मीडिया ने उनकी उत्पादकता घटा दी।

  • इसके बावजूद, सिर्फ 10% से कम युवाओं को लगता है कि सोशल मीडिया उनके सोने या काम करने में मदद करता है।

इतिहास से सबक: क्या ये बदलाव स्थायी होंगे?

अगर हम 2010 के दशक की शुरुआत देखें, जब Facebook, Instagram और Snapchat का आगमन हुआ, तो ये प्लेटफॉर्म बच्चों और युवाओं के लिए ‘डिजिटल पनाहगाह’ थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, नकारात्मक प्रभावों ने चेतावनी देना शुरू कर दिया।

अब Pew Research की रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिकी किशोर खुद इन प्रभावों को पहचानकर दूरी बना रहे हैं, जो इस बात का संकेत है कि वे अब सोच-समझकर डिजिटल फैसले ले रहे हैं।

क्या सोशल मीडिया अब Cool नहीं रहा?

Pew की रिपोर्ट हमें यह समझाने की कोशिश करती है कि अमेरिका के किशोर अब सिर्फ सोशल मीडिया के ट्रेंड्स में नहीं बहते, बल्कि उसके मानसिक, सामाजिक और शारीरिक प्रभावों को भी गंभीरता से ले रहे हैं।

क्या भारत में भी यह बदलाव देखने को मिलेगा? या क्या सोशल मीडिया के पीछे भागती पीढ़ी कभी रुक कर सोचेगी?
ये सवाल आने वाले वर्षों में और अधिक जरूरी होते जाएंगे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।