Jamshedpur Protest: फ्लाईओवर पर सियासी संग्राम, विधायक सरयू राय पर लगा बड़ा आरोप!
जमशेदपुर के मानगो फ्लाईओवर निर्माण को लेकर कांग्रेस ने विधायक सरयू राय पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगाया है। जानिए पूरा मामला और इसके पीछे की सियासत।

जमशेदपुर के मानगो फ्लाईओवर को लेकर उठे सियासी तूफान ने अब नया मोड़ ले लिया है। जहां एक तरफ वर्षों पुरानी जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए यह परियोजना उम्मीद की किरण बनी थी, वहीं अब यह राजनीतिक टकराव का मैदान बनती जा रही है। गुरुवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने फ्लाईओवर निर्माण कार्य में कथित रूप से अड़चन डालने के विरोध में उपायुक्त कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया और विधायक सरयू राय पर गंभीर आरोप लगाए।
क्या है पूरा विवाद?
मानगो क्षेत्र, जो कि जमशेदपुर का अत्यंत भीड़भाड़ वाला इलाका है, वहां के लोग लंबे समय से ट्रैफिक जाम की समस्या से परेशान हैं। इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने मानगो फ्लाईओवर परियोजना को स्वीकृति दी थी। इस परियोजना की आधारशिला झारखंड के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने रखी थी और बाद में मुख्यमंत्री ने इसका शिलान्यास किया था। उद्देश्य सीधा था—लोगों को राहत देना और आवागमन सुगम बनाना।
लेकिन 23 अप्रैल को इस योजना को लेकर विवाद तब गहराया जब स्थानीय विधायक सरयू राय के समर्थकों ने निर्माण कार्य को रोक दिया। कांग्रेस का आरोप है कि यह कदम न केवल जनहित के खिलाफ है, बल्कि विकास विरोधी भी है।
कांग्रेस का बड़ा हमला
प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरयू राय के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और उन्हें “विकास विरोधी” करार दिया। पार्टी का कहना है कि जब कोई जनप्रतिनिधि, जो जनता के हित में कार्य करने की शपथ लेता है, वही विकास कार्यों में बाधा डालता है, तो यह लोकतंत्र के मूल्यों के साथ खिलवाड़ है।
ज्ञापन में क्या कहा गया?
प्रदर्शन के बाद कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा जिसमें विधायक सरयू राय पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया गया और उनके खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई की मांग की गई। कांग्रेस का कहना है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोबारा न हों और फ्लाईओवर का निर्माण बिना किसी अड़चन के जारी रह सके।
इतिहास की झलक:
यह पहली बार नहीं है जब झारखंड में विकास कार्यों को लेकर राजनीतिक टकराव सामने आया हो। 2005 में भी जमशेदपुर के ही बिस्टुपुर क्षेत्र में रेलवे ओवरब्रिज निर्माण को लेकर स्थानीय नेताओं में मतभेद उत्पन्न हुआ था, जिसके कारण परियोजना में दो वर्षों की देरी हुई थी। इतिहास गवाह है कि जब विकास कार्यों को सियासत की भेंट चढ़ाया गया, तो उसका खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ा।
विधायक सरयू राय का पक्ष?
अब तक इस मामले में विधायक सरयू राय की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन सूत्रों की मानें तो उनके समर्थकों का तर्क है कि निर्माण कार्य में कुछ “तकनीकी गड़बड़ियां” हैं, जिनकी ओर प्रशासन का ध्यान दिलाना जरूरी था।
जनता की आवाज:
मानगो निवासी दीपक वर्मा कहते हैं, “हमें राजनीति से मतलब नहीं, हमें राहत चाहिए। अगर फ्लाईओवर बन रहा है तो वह जनता के लिए है, न कि किसी पार्टी के लिए। उसे रोका जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
क्या होगा अगला कदम?
अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं कि वह इस विवाद को किस प्रकार सुलझाता है। कांग्रेस द्वारा दिए गए ज्ञापन पर क्या कार्रवाई होती है और क्या विधायक पर कोई कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।
मानगो फ्लाईओवर का निर्माण एक ज़रूरी जनहित परियोजना है, जिसे राजनीतिक रंजिशों की भेंट नहीं चढ़ना चाहिए। यह मामला न सिर्फ एक विकास परियोजना की देरी का संकेत देता है, बल्कि झारखंड की राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही की ज़रूरत को भी उजागर करता है।
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