Noida Shutdown: फिटजी का ऐसा पतन किसी ने नहीं देखा, 12000 स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में!
नोएडा में प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान FIITJEE के अचानक बंद होने से 12,000 छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। ईडी की छापेमारी, खातों की सीलिंग और करोड़ों के घोटाले ने हड़कंप मचा दिया है।

देश के सबसे प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों में गिने जाने वाले FIITJEE (फिटजी) का नाम आजकल शिक्षा की दुनिया में चिंता और विवाद का पर्याय बन गया है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाला यह कोचिंग ब्रांड, जिसे कभी सफलता की गारंटी समझा जाता था, अब एक बड़ी साज़िश और घोटाले की कहानी में तब्दील हो गया है।
Noida से शुरू हुआ ये तूफान अब राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनता जा रहा है।
कुछ समय पहले तक, FIITJEE के सेंटरों में दाखिले के लिए लंबी लाइनें लगा करती थीं। माता-पिता बच्चों को दाखिल कराने के लिए लाखों रुपये खर्च करते थे। लेकिन फरवरी 2025 में जब एक-एक कर इसके कई सेंटर बंद होने लगे, तो न केवल छात्रों और अभिभावकों में हड़कंप मचा, बल्कि प्रशासन की नजरें भी इस मामले पर टिक गईं।
12000 बच्चों का भविष्य खतरे में!
जानकारी के अनुसार, फिटजी के सैकड़ों सेंटर बंद हो चुके हैं, जिससे करीब 12000 छात्रों का करियर अधर में लटक गया है। वे न तो क्लास कर पा रहे हैं, न ही फीस की वापसी की कोई गारंटी है। यह संस्थान, जो कभी IIT और NEET जैसी परीक्षाओं के लिए सबसे विश्वसनीय माना जाता था, आज अपने ही नाम से शर्मिंदा नजर आ रहा है।
वेतन नहीं, जवाब नहीं!
बीते महीनों से संस्थान के कर्मचारी वेतन के लिए संघर्ष कर रहे थे। किसी को दो महीने की तनख्वाह नहीं मिली, तो किसी को छह महीने से भुगतान नहीं हुआ। जब शिकायतों का अंबार बढ़ा, तो जांच शुरू हुई और नोएडा पुलिस ने थाना सेक्टर-58 में FIR दर्ज कर दी।
FIITJEE के संस्थापक डीके गोयल पर गंभीर आरोप
एफआईआर में संस्थान के मालिक दिनेश (डीके) गोयल और 7 अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश (Criminal Conspiracy) और विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। इसके बाद पुलिस ने FIITJEE से जुड़े कई बैंक अकाउंट सीज कर दिए। अकेले गोयल के खातों में 11.11 करोड़ रुपये सीज किए गए।
ईडी की बड़ी कार्रवाई
घोटाले की गंभीरता को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी एक्शन में आते हुए दिल्ली, नोएडा और गुरुग्राम स्थित FIITJEE के 10 ठिकानों पर छापेमारी की। बताया जा रहा है कि संस्थान ने छात्रों से फीस लेकर उसका इस्तेमाल गैर-शैक्षिक निवेशों में किया, जिससे संस्थान की आर्थिक रीढ़ ही टूट गई।
इतिहास के आईने से:
FIITJEE की स्थापना 1992 में डीके गोयल द्वारा की गई थी, और जल्दी ही यह देश के सबसे प्रतिष्ठित कोचिंग ब्रांड्स में शामिल हो गया। 2000 के दशक में जब कोटा और हैदराबाद जैसे शहरों में कोचिंग हब बने, तब FIITJEE ने भी राष्ट्रीय विस्तार किया। लेकिन 2020 के बाद से इसके वित्तीय ढांचे में गड़बड़ियां सामने आने लगीं, जो अब जाकर पूरी तरह उजागर हुई हैं।
छात्रों और अभिभावकों की व्यथा:
नोएडा निवासी रचना वर्मा कहती हैं, "हमने बेटे का सपना पूरा करने के लिए लाखों की फीस भरी थी। अब न क्लास है, न पैसा वापस। ये धोखा है!" यही नहीं, सोशल मीडिया पर भी सैकड़ों छात्र संस्थान के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं।
अब आगे क्या?
प्रशासन का कहना है कि छात्रों के हित में उचित कार्रवाई की जाएगी। ED की जांच जारी है और हो सकता है आने वाले दिनों में संस्थान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई भी शुरू हो जाए।
FIITJEE की ये कहानी सिर्फ एक कोचिंग संस्थान के गिरने की नहीं, बल्कि उस भरोसे की टूटने की है, जिसे लाखों छात्रों और अभिभावकों ने सालों तक जिया था। यह घटना देश की शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और नियमन की जरूरत को फिर से रेखांकित करती है।
फिटजी का पतन यह सिखाता है कि सिर्फ ब्रांड नाम ही नहीं, जवाबदेही भी ज़रूरी है।
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