Delhi Warning: अमित शाह का कश्मीर पर कड़ा ऐलान, 'आतंक के खिलाफ अब आर-पार की लड़ाई'
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले बैसरन में हुए आतंकी हमले ने देश को हिला दिया। 26 लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने कड़ा एक्शन शुरू कर दिया है।

जिस जगह को लोग जन्नत कहते हैं, जहां की वादियों में पर्यटक सुकून की तलाश में आते हैं, उसी बैसरन घाटी में मंगलवार को कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया। दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर इस हसीन वादी में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ हमला किया, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।
पर्यटन के नाम पर दहशतगर्दी का नंगा नाच
कश्मीर घाटी में यह कोई पहली आतंकी वारदात नहीं है, मगर बैसरन जैसे पर्यटन केंद्र को निशाना बनाना साफ दिखाता है कि आतंक का नया चेहरा अब घाटी की शांति और पर्यटन की छवि को खत्म करने पर तुला है। जिस समय पर्यटक पहलगाम की ठंडी हवाओं और हरियाली का आनंद ले रहे थे, उसी दौरान आतंकी गोलियों की बौछार लेकर वहां मौत का नंगा नाच कर रहे थे।
अमित शाह का श्रीनगर दौरा, एयर सर्वे के साथ बड़ा बयान
जैसे ही आतंकी हमले की खबर आई, केंद्र सरकार हरकत में आ गई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद श्रीनगर पहुंचे, वहां उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की और बुधवार को पहलगाम का एरियल सर्वे कर हालात का जायजा लिया।
अमित शाह ने ‘एक्स’ पर एक कड़ा संदेश देते हुए लिखा –
"भारत आतंकवाद के आगे कभी नहीं झुकेगा। पहलगाम हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।"
उन्होंने शहीदों को पुष्पचक्र अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी और कहा कि देश इन हत्याओं को कभी माफ नहीं करेगा।
NSA अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री की सुरक्षा समीक्षा बैठक
घटना के 24 घंटे के अंदर ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने NSA अजीत डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक आपात बैठक बुलाई। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति, आतंकवाद विरोधी अभियानों की प्रगति और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की गई।
बैठक करीब ढाई घंटे तक चली और रक्षा मंत्री ने साफ निर्देश दिए कि सेनाएं अपनी युद्ध तत्परता बढ़ाएं और आतंकवादियों के खिलाफ सख्त और त्वरित कार्रवाई करें।
पीएम मोदी ने बीच में छोड़ी सऊदी यात्रा
इतनी बड़ी घटना की जानकारी मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में ही छोड़ दी और बुधवार सुबह भारत लौट आए। दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की जानकारी ली। उन्होंने दो टूक कहा,
"आतंकी चाहे जहां छिपे हों, उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाएगा।"
इतिहास के आइने से: कश्मीर में आतंक की नई रणनीति
अगर हम इतिहास में झांकें, तो 1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाया, तब भी पर्यटकों और आम नागरिकों को निशाना बनाना आतंकियों की रणनीति का हिस्सा रहा है। मगर 1996 के बाद धीरे-धीरे हालात सुधरे, और 2014 के बाद घाटी में पर्यटकों की वापसी ने एक नई उम्मीद जगाई थी।
मगर बीते कुछ सालों में, विशेषकर अनुच्छेद 370 हटने के बाद, आतंकी संगठनों का गुस्सा उन क्षेत्रों की ओर मुड़ रहा है, जहां शांति और विकास की आहट महसूस की जा रही थी—जैसे पहलगाम और गुलमर्ग।
क्या अब आतंक पर आखिरी प्रहार होगा?
बैसरन की खूबसूरत वादियों में फैली लाशें और चीखते-बिलखते लोग हमें मजबूर करते हैं सोचने पर, कि क्या अब वक्त आ गया है कि आतंक के खिलाफ आखिरी और निर्णायक लड़ाई लड़ी जाए?
देश के गृहमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक, सभी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है कि अब आतंक के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। आने वाले दिनों में सेना और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ऑपरेशन तेज़ किया जाएगा, और शायद यह कश्मीर की उस दर्दनाक कहानी का अंत बन सकता है जो पिछले तीन दशकों से बार-बार दोहराई जा रही है।
पर्यटन से तबाही तक – बदलती घाटी की हकीकत
पहलगाम और बैसरन जैसे पर्यटन स्थलों पर हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा, कश्मीर की पहचान और विकास की दिशा पर सीधा हमला है।
अब यह केवल सुरक्षा एजेंसियों का नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र का कर्तव्य बन जाता है कि ऐसे नापाक मंसूबों को जड़ से खत्म किया जाए। क्योंकि कश्मीर की वादियां सिर्फ खूबसूरती के लिए नहीं, अब शांति की लड़ाई की गवाह भी बन चुकी हैं।
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