Gorakhpur Ceremony: लॉज निपाल नंबर 38 में ऐतिहासिक प्रतिष्ठापन, आलोक श्रीवास्तव बने वर्शिपफुल मास्टर
गोरखपुर के लॉज निपाल नंबर 38 में भव्य प्रतिष्ठापन समारोह आयोजित हुआ, जिसमें आलोक श्रीवास्तव को वर्शिपफुल मास्टर नियुक्त किया गया। जानें इस ऐतिहासिक संस्था के गौरवशाली इतिहास और फ्रीमेसनरी समुदाय के योगदान के बारे में।

गोरखपुर के प्रतिष्ठित लॉज निपाल नंबर 38 में एक भव्य स्थापना समारोह आयोजित किया गया, जहां आलोक श्रीवास्तव को नए वर्शिपफुल मास्टर के रूप में नियुक्त किया गया। यह कार्यक्रम केवल एक साधारण आयोजन नहीं था, बल्कि फ्रीमेसनरी समुदाय के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक था।
फ्रीमेसनरी: रहस्यमयी परंपरा और लॉज निपाल का गौरवशाली इतिहास
फ्रीमेसनरी एक प्राचीन संगठन है, जिसकी जड़ें यूरोप के मध्य युग में मानी जाती हैं। भारत में इसकी स्थापना ब्रिटिश शासन के दौरान हुई, और कई प्रमुख नेता और अधिकारी इस समुदाय से जुड़े रहे। गोरखपुर का लॉज निपाल नंबर 38 इस परंपरा का एक प्रमुख केंद्र है, जिसकी स्थापना 19 अक्टूबर 1883 को हुई थी।
इस लॉज की स्थापना गोरखा भर्ती केंद्र (डिपो) से जुड़े सैन्य और नागरिक अधिकारियों द्वारा की गई थी। इसके पहले वर्शिपफुल मास्टर लेफ्टिनेंट कर्नल फ्रांसिस फ्रेजर जॉन टोके (1883-85) थे, जो बंगाल स्टाफ के सदस्य थे। 1939 में यह यूनियन क्लब की ऊपरी मंजिल में स्थानांतरित हुआ और वर्षों तक वहीं संचालित रहा।
प्रतिष्ठापन समारोह में फ्रीमेसनरी समुदाय की महत्वपूर्ण उपस्थिति
इस भव्य कार्यक्रम में फ्रीमेसनरी समुदाय की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। राइट वर्शिपफुल ब्रदर सुरेश सिंह, डॉ. महेंद्र कुमार, डॉ. शैलेंद्र कुमार, वर्शिपफुल ब्रदर विक्रम सरकार, राजीव प्रसाद, राकेश श्री, दीपक श्रीवास्तव, आशुतोष सिंह और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहे।
वर्शिपफुल ब्रदर डॉ. मिहिर कुमार (डायरेक्टर ऑफ सेरेमनी) ने इस विशेष आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि लॉज निपाल नंबर 38 फ्रीमेसनरी के भ्रातृत्व, एकता और सेवा के मूल्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
गोरखपुर के सामाजिक ताने-बाने में लॉज निपाल की भूमिका
लॉज निपाल न केवल एक ऐतिहासिक संस्था है, बल्कि इसका गोरखपुर के सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में भी अहम योगदान रहा है। इस लॉज ने शताब्दी समारोह 1983 में मनाया, और वर्तमान में इसके 94 सक्रिय सदस्य हैं।
2018 में यह ग्रैंड लॉज ऑफ इंडिया का संस्थापक सदस्य बना और इसे "लॉज निपाल नंबर 38 जीएलआई" के रूप में मान्यता प्राप्त हुई। इस संस्था के माध्यम से शिक्षा, सामाजिक कल्याण और परोपकारी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाता है।
नए वर्शिपफुल मास्टर आलोक श्रीवास्तव की नियुक्ति
इस प्रतिष्ठापन समारोह में आलोक श्रीवास्तव को वर्शिपफुल मास्टर नियुक्त किया गया। समारोह के समापन पर सभी फ्रीमेसन भाइयों ने उन्हें उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएँ दीं।
क्या है लॉज निपाल का भविष्य?
लॉज निपाल नंबर 38 आने वाले समय में भी फ्रीमेसनरी के मूल सिद्धांतों - भ्रातृ प्रेम, सत्य और सेवा को आगे बढ़ाते हुए सामाजिक योगदान देता रहेगा। इस आयोजन ने यह साबित किया कि फ्रीमेसनरी केवल एक रहस्यमयी संस्था नहीं, बल्कि समाज सुधार और सेवा का एक मजबूत आधार है।
गोरखपुर में आयोजित यह प्रतिष्ठापन समारोह केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि फ्रीमेसनरी की ऐतिहासिक विरासत और सामाजिक योगदान का प्रतीक था। लॉज निपाल नंबर 38 आने वाले वर्षों में भी अपनी गौरवशाली परंपराओं और मूल्यों को बनाए रखेगा।
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