Jamshedpur Tragedy: सड़क पर मौत का जाल, किसकी है जिम्मेदारी?
जमशेदपुर के सुनसुनिया गेट के पास सड़क पर बालू होने के कारण बाइक स्किट कर गई, जिससे 24 वर्षीय सनी शर्मा की मौत हो गई। अस्पताल ने बिल नहीं चुकाने पर शव देने से इनकार कर दिया। जानें पूरी घटना!

जमशेदपुर : शहर की सड़कों पर मौत का साया मंडरा रहा है! बर्मामाइंस थाना क्षेत्र के रेलवे कैरेज कॉलोनी निवासी सनी कुमार शर्मा (24) की टीएमएच अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। 16 मार्च को सुनसुनिया गेट के पास उसकी बाइक स्किट कर गई थी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। इस हादसे के बाद से ही सनी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा था, लेकिन आखिरकार शनिवार को उसकी सांसों ने साथ छोड़ दिया।
अस्पताल ने शव देने से किया इनकार!
परिजनों के लिए यह हादसा किसी डरावने सपने से कम नहीं था, लेकिन उनकी मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब अस्पताल प्रशासन ने पैसे नहीं चुकाने की वजह से शव देने से इनकार कर दिया। परिवार पहले ही बेटे की मौत से टूटा हुआ था, ऊपर से यह बेरुखी उन्हें और झकझोरने लगी। इसके बाद सांसद विद्युत वरण महतो के हस्तक्षेप के बाद ही रविवार को शव परिजनों को सौंपा गया।
कैसे हुआ दर्दनाक हादसा?
मृतक सनी कुमार शर्मा, जो पेशे से कारपेंटर था, हादसे वाले दिन साकची की ओर किसी काम से निकला था। जैसे ही वह सुनसुनिया गेट के पास पहुंचा, सड़क पर बालू फैला हुआ था। बाइक स्किट कर गई और सनी सड़क पर गिर पड़ा। हेलमेट सिर से निकलकर दूर जा गिरा, जिससे उसे सिर में गंभीर चोट लगी। राहगीरों ने उसे तुरंत एमजीएम अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां से हालत गंभीर होने पर उसे टीएमएच रेफर कर दिया गया। टीएमएच में कई दिनों तक इलाज चला, लेकिन आखिरकार शनिवार को सनी की मौत हो गई।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
सनी शादीशुदा था और उसकी एक छोटी बच्ची भी है। घर के इकलौते कमाने वाले की मौत के बाद परिवार पर संकट का पहाड़ टूट पड़ा है। मां-बाप की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे, पत्नी बेसुध पड़ी है और मासूम बच्ची को शायद अभी यह भी नहीं पता कि उसके सिर से पिता का साया उठ चुका है।
'सुनसुनिया गेट पर अक्सर होती हैं दुर्घटनाएं!'
सनी के मौसेरे भाई संटू कुमार शर्मा ने बताया कि सुनसुनिया गेट पर सड़क पर बालू जमा रहने के कारण अक्सर हादसे होते रहते हैं। यह इलाका दुर्घटनाओं के लिए कुख्यात हो चुका है, लेकिन जिला प्रशासन इस पर ध्यान नहीं देता। स्थानीय लोगों ने कई बार इस मामले को उठाया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक लापरवाही की यह भेंट मासूम लोगों की जान लेती रहेगी?
क्यों नहीं सुधरती सड़कें?
भारत में हर साल हजारों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा देते हैं। सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। खराब सड़कें, अव्यवस्थित यातायात, और प्रशासन की अनदेखी हर दिन किसी न किसी परिवार का चिराग बुझा रही है। सुनसुनिया गेट जैसे संवेदनशील इलाकों में दुर्घटनाएं रोकने के लिए प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करनी होगी, वरना न जाने और कितने सनी अपनी जान गवां देंगे।
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