Bihar Election 2025: तेजस्वी की '10 जिलों वाली साजिश' – NDA ने बाकी 28 में 'परिवर्तन' कर दिया या राहुल का 'टूलकिट' चल पड़ा?
क्या तेजस्वी यादव सिर्फ 10 जिलों में बिहार अधिकार यात्रा क्यों चला रहे हैं? NDA ने बाकी 28 जिलों के अधिकार पूरे कर दिए या ये RJD की चाल है? बिहार चुनाव से पहले राहुल-तेजस्वी का गठबंधन टूटेगा या बिहार बदलेगा?
पटना, 14 सितंबर 2025: बिहार की धरती पर फिर से यात्राओं का तूफान आ गया है। एक तरफ राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने 16 दिनों में 23 जिलों को छुआ, तो दूसरी तरफ तेजस्वी यादव अब 16 सितंबर से 'बिहार अधिकार यात्रा' शुरू करने जा रहे हैं – वो भी सिर्फ 10 जिलों में। जहानाबाद से शुरू होकर वैशाली में समाप्त यह 5 दिवसीय यात्रा क्यों इतनी सीमित? क्या बाकी 28 जिलों में NDA ने लोगों के 'अधिकार' पूरे कर दिए हैं, जैसा तेजस्वी का इशारा लगता है? या ये RJD की चालाकी है, जो 243 सीटों पर दावा ठोकते हुए भी गठबंधन की कमजोरी छिपा रही है? बिहार की राजनीति का ये मंथन सिर्फ वोट की जंग नहीं, बल्कि राज्य के उत्थान का आईना है – जहां प्रशांत किशोर की पुरानी यात्रा से लेकर नीतीश कुमार का 'सुकून' तक सब कुछ दांव पर है। आखिरकार, क्या इन यात्राओं से बिहार की जनता को फायदा होगा, या फिर चुनाव का इंतजार ही अंतिम हथियार है?
तेजस्वी की 'चुनिंदा 10': रणनीति या मजबूरी?
तेजस्वी यादव की यह यात्रा कोई संयोग नहीं। राहुल की 'वोटर अधिकार यात्रा' (1-16 सितंबर) ने 1300 किलोमीटर लांघते हुए 23 जिलों को कवर किया, जहां 'SIR' (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) को 'वोट चोरी' का हथियार बताकर विपक्ष ने हंगामा मचाया। लेकिन 38 जिलों में से 13-15 बचे रह गए। तेजस्वी ने खुद कहा, "पिछली यात्रा में 20 जिलों तक हम पहुंच चुके थे, लेकिन कुछ जिले छूट गए। अब उनमें भी हमारा संदेश पहुंचेगा।" यह 10 जिले (जैसे जहानाबाद, नालंदा, पटना ग्रामीण आदि) वे हैं जहां वोटर लिस्ट डिलीशन की शिकायतें सबसे ज्यादा हैं – 2020 चुनाव में RJD ने कई सीटें महज 12 वोटों से गंवाई थीं।
लेकिन सवाल वाजिब है: अगर RJD पूरे 243 सीटों पर लड़ने का दावा कर रही है, तो क्यों सिर्फ 10 पर फोकस? NDA के मंत्री संजय सरावगी इसे 'ड्रामा' बता रहे हैं: "चाहे कितनी भी यात्रा करें, NDA की सरकार बनेगी।" तेजस्वी के मुताबिक, बाकी 28 जिलों में NDA ने 'अधिकार' पूरे नहीं किए – बल्कि विकास की बातें तो हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी और प्रवासन की मार वैसी ही है। ये यात्रा 'नया बिहार मूवमेंट' का हिस्सा है, जो युवाओं को जागृत करने का दावा करती है। लेकिन क्या ये सीमित फोकस गठबंधन की दरार दिखा रहा है? कांग्रेस के राजेश राठौर कहते हैं, "INDIA गठबंधन के सभी दल स्वतंत्र रूप से कार्यक्रम चला सकते हैं," लेकिन ये बयान बेचैनी छिपा रहा है।
राहुल-तेजस्वी: 'बड़े भाई' का साथ या राष्ट्रीय 'टूलकिट'?
तेजस्वी ने 19 अगस्त को राहुल को 'बड़े भाई' कहा और 2029 में उन्हें PM बनाने का वादा किया। लेकिन बिहार चुनाव पर फोकस क्यों नहीं? विपक्ष की संयुक्त रैलियां (राहुल-तेजस्वी) SIR और 'जुगाड़ आयोग' पर केंद्रित हैं, जो राष्ट्रीय वोट बैंक (मुस्लिम-यादव-EBC) को मजबूत करने का तरीका लगता है। X पर बहस छिड़ी है: क्या राहुल तेजस्वी-RJD को 'Toolkit' की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं, बिहार को स्टेपिंग स्टोन बनाकर? अखिलेश यादव की एंट्री ने इसे और हवा दी। तेजस्वी की स्वतंत्र यात्रा (बिना कांग्रेस के) सीट शेयरिंग की जंग दिखाती है – RJD 100+ सीटें चाहती है, जबकि कांग्रेस विजिबिलिटी के लिए भूखी। फिर भी, तेजस्वी का राहुल समर्थन गठबंधन को बांधे रखने की कोशिश है। क्या ये बिहार के लिए फायदेमंद है, या राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा राज्य को नजरअंदाज कर रही है?
यात्राओं का फायदा: जागरूकता या सिर्फ शोर?
प्रशांत किशोर की 2022 'जन सुराज यात्रा' ने हाइप तो पैदा किया, लेकिन उनका JSP अभी कमजोर है। वो खुद कर्घार से नीतीश के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं। राहुल-तेजस्वी की यात्राओं ने लाखों वोटरों को लिस्ट चेक करने के लिए प्रेरित किया – शॉर्ट टर्म में फायदा साफ। लेकिन लॉन्ग टर्म? बिहार को जॉब्स, शिक्षा और बुनियादी ढांचे की जरूरत है, न कि यात्राओं के ड्रामे की। X पर युवा कह रहे हैं, "ये परिवर्तन का संकेत है," लेकिन NDA के विजय सिन्हा तंज कसते हैं, "16 दिनों में पूरे बिहार का दौरा? ये विकास की गति दिखाता है।" इन यात्राओं से जनता जागेगी, लेकिन असली फायदा पॉलिसी से आएगा – जो चुनाव के बाद ही संभव है।
बिहार उत्थान: वोट की राजनीति या नीतीश ही विकल्प?
बिहार का मंथन साफ कहता है: सब वोट की राजनीति है। C-Voter सर्वे में नीतीश CM पसंद (34.6%) हैं, तेजस्वी(28%) पीछे, लेकिन प्रशांत किशोर उभर रहे हैं। नीतीश का 'सुकून' और NDA का विकास (सड़कें, योजनाएं) वोटरों को लुभा रहा है, लेकिन अलायंस स्विचिंग ने थकान पैदा की। तेजस्वी युवा आइकन हैं, जो 'परिवर्तन' का वादा करते हैं। लेकिन बिहार के उत्थान के लिए स्टेबल गवर्नेंस चाहिए – चाहे NDA हो या INDIA। AAP की एंट्री और ट्राइबल वोट्स नया ट्विस्ट जोड़ रहे हैं।
What's Your Reaction?


