Bihar Adhikar Yatra 2025 : तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा: क्या 2025 चुनावों से पहले मचाएंगे धमाल?
तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा 16 सितंबर से जहानाबाद में शुरू, 10 जिलों को कवर करेगी। क्या यह सियासी चाल बदलेगी बिहार का रंग? जानें!
पटना, 14 सितंबर 2025 – बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के युवा नेता और विपक्ष के अगुआ तेजस्वी यादव एक और बड़े सियासी दांव की तैयारी में हैं। 16 सितंबर को जहानाबाद से शुरू होने वाली उनकी 'बिहार अधिकार यात्रा' पांच दिनों तक बिहार के 10 जिलों को जोड़ेगी और 20 सितंबर को वैशाली में समापन करेगी। यह यात्रा न केवल मतदाताओं से सीधे संवाद का मंच है, बल्कि महागठबंधन की एकजुटता और तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता का इम्तिहान भी है।
बिहार में चुनावी माहौल पहले ही गर्म हो चुका है। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के प्रदर्शन और राहुल गांधी के साथ तेजस्वी की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने विपक्ष को नई ऊर्जा दी थी। उस यात्रा ने सासाराम से पटना तक कई जिलों को कवर किया था, लेकिन कुछ क्षेत्र छूट गए थे। तेजस्वी की नई यात्रा इन्हीं क्षेत्रों को लक्षित करती है। आरजेडी ने इस यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम जारी कर दिया है, जिसमें जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली शामिल हैं।
यात्रा का रोडमैप और रणनीति
आरजेडी के प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने सभी जिलाध्यक्षों, प्रभारियों, सांसदों, विधायकों, पूर्व जनप्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को पत्र भेजकर यात्रा को ऐतिहासिक बनाने का आह्वान किया है। पत्र में स्पष्ट निर्देश है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक ही स्थान पर जनसंवाद होगा, ताकि भीड़ प्रबंधन और संदेश की स्पष्टता बनी रहे। यह यात्रा न केवल मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास है, बल्कि ग्रामीण और शहरी बिहार के मुद्दों को उजागर करने का मंच भी है।
तेजस्वी ने कहा, “बिहार की जनता बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और अपराध से त्रस्त है। लोग बदलाव चाहते हैं, और हम उनकी आवाज बनेंगे।” उनकी यह बात बिहार के युवा मतदाताओं को लुभाने की रणनीति का हिस्सा है, जो रोजगार और बेहतर शिक्षा के अवसरों की मांग कर रहे हैं। तेजस्वी का दावा है कि सत्ताधारी एनडीए के पास न तो विजन है और न ही जनता के सवालों का जवाब।
सियासी चुनौतियां और विवाद
हालांकि, यात्रा की घोषणा के साथ ही सियासी तंज भी शुरू हो गए हैं। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने जहानाबाद से यात्रा शुरू करने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जहानाबाद में लालू प्रसाद के शासनकाल में नरसंहार हुए थे। तेजस्वी को पहले वहां की जनता से माफी मांगनी चाहिए।” इस बयान ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है। दूसरी ओर, महागठबंधन के सहयोगी दल इस यात्रा को समर्थन दे रहे हैं। जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने कहा, “तेजस्वी की यात्रा बिहार की जनता तक कांग्रेस की गारंटियों को पहुंचाएगी। यह बदलाव का आगाज है।”
महागठबंधन की अंदरूनी चुनौतियां
यात्रा की घोषणा से पहले महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर तनाव की खबरें थीं। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी सीट बंटवारे का पेच सुलझाने के बाद ही यात्रा शुरू करना चाहते थे। हालांकि, आरजेडी ने बिना फॉर्मूले के ऐलान के यात्रा का कार्यक्रम जारी कर दिया, जो विपक्षी एकता का संदेश देता है। यह कदम तेजस्वी के आत्मविश्वास को दर्शाता है, लेकिन क्या यह एकता मैदान में वोटों में तब्दील होगी, यह बड़ा सवाल है।
जनता की अपेक्षाएं
बिहार के युवा और ग्रामीण मतदाता तेजस्वी से ठोस वादों की उम्मीद कर रहे हैं। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के मुद्दे इस यात्रा के केंद्र में होंगे। तेजस्वी की पिछली यात्राओं में उनकी सादगी और जनता से सीधे संवाद की शैली को सराहा गया था। इस बार भी वे छोटे-छोटे जनसंवादों के जरिए स्थानीय मुद्दों को उठाने की कोशिश करेंगे।
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