Nawada Straw Burning : धान पराली जलाने से खेतों की उर्वरता घट रही, प्रदूषण बढ़ रहा

नवादा जिले में धान की पराली जलाने से खेतों की उर्वरता घट रही है और वातावरण प्रदूषित हो रहा है। पढ़ें इस समस्या के बारे में और जानें कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव।

Dec 8, 2024 - 15:24
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Nawada Straw Burning : धान पराली जलाने से खेतों की उर्वरता घट रही, प्रदूषण बढ़ रहा
Nawada Straw Burning : धान पराली जलाने से खेतों की उर्वरता घट रही, प्रदूषण बढ़ रहा

नवादा। जिले के विभिन्न प्रखंडों में धान की कटाई के बाद पराली जलाने की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। यह समस्या न केवल खेतों की उर्वरता को प्रभावित कर रही है बल्कि वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा रही है। किसान फसल कटाई के बाद जल्दी से रबी फसल बोने के लिए खेतों में पराली को जला रहे हैं, जिससे धुएं से वातावरण खराब हो रहा है।

कृषि विभाग की चेतावनी और जागरूकता अभियान

कृषि विभाग द्वारा समय-समय पर किसान चौपाल, रबी महाभियान, और खरीफ कार्यशाला जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया गया है। इन कार्यक्रमों में किसानों को बताया जाता है कि पराली जलाने से खेतों की मृदा की उर्वरता घटती है, और वातावरण में कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद होती है। इसके अलावा, यह वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों जैसे कि सांस की समस्याएं और फेफड़े के कैंसर का कारण बन सकती है।

खेतों की उर्वरता पर पड़ रहा असर

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पराली जलाने से खेतों में मिट्टी की सतह पर निवास करने वाले जीवाणुओं और अन्य सूक्ष्म जीवों की मौत हो जाती है। इनमें कई ऐसे बैक्टीरिया शामिल होते हैं, जो फसल के लिए आवश्यक होते हैं। परिणामस्वरूप, खेत की उर्वरता धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है। इसके अलावा, पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी पराली जलाने का गंभीर दुष्प्रभाव होता है, जिससे प्रदूषण और अधिक बढ़ता है।

कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. जयवंत कुमार सिंह ने बताया कि किसानों को अपने खेतों में किसी भी परिस्थिति में पराली नहीं जलानी चाहिए। उन्होंने फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए 'पूषा वायो डी कम्पोजर कैप्सूल' का उपयोग करने की सलाह दी। इस कैप्सूल को पानी में घोलकर फसल अवशेषों पर छिड़कने से पांच से आठ दिनों में अवशेष गलकर कंपोस्ट में तब्दील हो जाते हैं, जिससे खेतों की उर्वरता बढ़ती है।

सरकारी प्रावधान और कानूनी कार्रवाई

सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कई योजनाएं और लाभकारी उपाय तय किए हैं। यदि कोई किसान पराली जलाता है, तो उसे सरकारी योजनाओं से वंचित रखा जा सकता है, और कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। यह कदम किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उठाया गया है, ताकि पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके और खेतों की उर्वरता को बढ़ावा दिया जा सके।

पराली जलाने की समस्या को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं। किसानों को चाहिए कि वे फसल अवशेषों को जलाने के बजाय उसे सही तरीके से प्रबंधित करें, जिससे न केवल उनके खेतों की उर्वरता बनी रहे बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रह सके।

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